कुछ लोग बहुत कहते हैं कि गांधी मंदिर में क़ुरान तो पढ़ता था लेकिन कभी मस्जिद में गीता पढ़ने का साहस नहीं जुटा पाया. इस पर मैं क्या ही कहूँ, ज़्यादा अच्छा होगा कि ये बताऊँ की तब जब गांधी जिंदा थे तब उन्होंने इस पर क्या कहा था. ऐसे लोग तब भी थे.

पढ़ते जाइए, मज़ा आएगा.

#Gandhi
एक उमादेवी थी. खुद को धर्मसेविका कहती थी. गांधी को एक चिट्ठी लिखी. नीचे पढ़ सकते हैं 👇. वो मूलतः क़ुरान पढ़ने का विरोध निम्न कारणों से कर रही थी.
1. क़ुरान पढ़ने से मंदिर की मर्यादा नष्ट होती है.
2. क़ुरान पढ़ने वालों ने राक्षसों जैसा अत्याचार किया है जिसे देखते हुए इसे पढ़ना
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मैं (यानी उमा देवी) हिन्दुओं के लिए महान पाप समझती हूँ.

तीसरा एवं सबसे महत्वपूर्ण - किसी मस्जिद में गीता या रामायण पढ़ने का साहस आपने किया हो ऐसा मालूम नहीं होता.

गांधी जी ने अपनी प्रार्थना सभा में इस चिट्टी का आराम से उत्तर दिया. यह उत्तर आज और भी प्रासंगिक हो जाता है.
गांधी कहते हैं, "इस चिट्टी में जो लिखा है उसमें हिन्दू धर्म का ज्ञान नहीं, कोरा अज्ञान भरा है. इस तरह धर्म को बचाने की चेष्टा की है वह वास्तव में पतन की चेष्टा है. मैं एक एक कर के इस बहन के प्रश्नों का उत्तर दूँगा.
1. मंदिर में कुरान पढ़ने से वह अपवित्र हो जाता है, यह कहना ठीक नहीं है. मंदिर में इश्वर की स्तुति करना अधर्म कैसे हो सकता है? कल हिन्दी में 'ओज अबिल्ला' का अर्थ मैंने सुनाया तो किसीने उसका विरोध नहीं किया. क्या गीता का अरबी में अनुवाद सुनाए तो वह अधर्म कैसे हो जाएगा?"
'ओज अबिल्ला' का हिन्दी में अर्थ गांधी जी ने सुनाया था. इसकी तस्वीर नीचे अटैच कर रहा हूँ. इससे किसी को आपत्ति नहीं हुई. उनकी प्रार्थना सभाओं में कुरान की इसी आयात को बोला जाता था बौद्ध धर्म के जापानी भाषा के मंत्र, गीता के श्लोक, फ़ारसी में मंत्र, भजन, राम नाम की धुन के साथ. Image
दूसरे प्रश्न का उत्तर देते हुए गांधी कहते हैं, "यदि आप कहें कि मुसलामानों ने पाप किया है तो हिन्दुओं ने कौनसा कम पाप किया है? बिहार में हिन्दुओं ने जो किया है वो आप को जानना चाहिए. इसपर अगर कोई मुसलमान आए और कहे कि गीता पढ़ने वाले ने पाप किया है तो वह कितनी गलत बात होगी.

+
मेरी समझ में ये नहीं आता कि की क़ुरान को पढ़ने वाला पापमय है इसलिए वह भी पापमय है. इस तरह से तो गीता, उपनिषद, वेद सब के सब धर्म ग्रंथ पाप के ग्रंथ साबित हो जाते हैं."

+
तीसरे और सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर गांधी जी ने बहुत बढ़िया ढंग से दिया. वो कहते हैं,

"आपको यह मालूम होना चाहिए कि मैं कई जगह मुसलामानों के घर में ठहरता हूँ. वहां बड़े आराम से और बिना संकोच के नियमित प्रार्थना करता हूँ.

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और वहां नोआखाली में जब मैं घूम रहा था तो ख़ास मस्जिद तो नहीं लेकिन बिल्कुल ही मस्जिद के पास मैंने प्रार्थना की है. एक बार तो मस्जिद के अहाते में - मस्जिद के अंदर के मकान में भी - मैंने प्राथना की है. वहां तो मेरे साथ पूरा साज बाज भी रहता था. ढोल भी बजती थी और रामधुन भी होती थी.
+
मैं वहाँ के मुसलामान भाइयों से कहता था कि जैसे आप रहीम का नाम लेते हैं वैसे ही मैं यहां रामनाम लूँगा. रहीम का नाम जो लेते हैं उन्हें रामनाम लेने वालों को नहीं रोकना चाहिए और उन्होंने मुझे नहीं रोका था."

+
इस ज़वाब की सबसे बढ़िया लाइन,

"मुसलामानों के पास जाकर मैं प्रार्थना नहीं कर सकता, ऐसा जो कहे वह गांधी को नहीं जानता. यह बेचारी उमादेवी क्या जाने कि गांधी किस मसाले का बना है."

😀
यह उक्त वक्तव्य गांधी जी ने सात मई 1947 को अपनी प्रार्थना सभा में दिया था.

इसे आप राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित 'प्रार्थना प्रवचन' के पहले खंड पृष्ठ 84,85,86 पर देख सकते हैं.

अच्छा लगा हो तो और लोगों तक पहुंचाइये 😀

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Apr 2
क्या हुआ जब 600 की भीड़ ने गांधी पर हमला किया? कैसे हिंसक भीड़ को गांधी ने अपनी अहिंसा से जीता?

पढ़िए - एक थ्रेड 🧵
1939 की बात है. राजकोट में गांधी प्रार्थना सभा कर रहे थे. तभी 600 लोगों की हथियारों से लैस भीड़ ने उस सभा में हमला कर दिया. सारी व्यवस्था तहस-नहस कर दी. जो लोग गांधी की रक्षा के लिए उनके पास थे उनको भगा दिया गया. भीड़ ने चारो तरफ़ से घेर लिया गांधी को.
काका कालेलकर के पुत्र बाल कालेलकर गांधी के साथ थे. इस किस्से के बारे में वो विस्तार से बताते हैं. वो कहते हैं,

"मैंने अचानक देखा कि बापूजी का पूरा शरीर हिंसक रूप से कांपने लगा था. लेकिन यह डर के कारण नहीं था.

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Read 9 tweets
Mar 24
कुछ लोग बहुत कहते हैं कि गांधी मंदिर में क़ुरान तो पढ़ता था लेकिन कभी मस्जिद में गीता पढ़ने का साहस नहीं जुटा पाया. इस पर मैं क्या ही कहूँ, ज़्यादा अच्छा होगा कि ये बताऊँ की तब जब गांधी जिंदा थे तब उन्होंने इस पर क्या कहा था. ऐसे लोग तब भी थे.

पढ़ते जाइए, मज़ा आएगा.

#Gandhi
एक उमादेवी थी. खुद को धर्मसेविका कहती थी. गांधी को एक चिट्ठी लिखी. वो मूलतः क़ुरान पढ़ने का विरोध निम्न कारणों से कर रही थी.
1. क़ुरान पढ़ने से मंदिर की मर्यादा नष्ट होती है.
2. क़ुरान पढ़ने वालों ने राक्षसों जैसा अत्याचार किया है जिसे देखते हुए इसे पढ़ना मैं हिन्दुओं के लिए महान पाप समझती हूँ.
तीसरा एवं सबसे महत्वपूर्ण - किसी मस्जिद में गीता या रामायण पढ़ने का साहस आपने किया हो ऐसा मालूम नहीं होता.
Read 14 tweets
Mar 23
क्या गांधी ने भगत सिंह को बचाने की कोशिश नहीं की?

गांधी के खिलाफ सबसे बार-बार लगाए गए आरोपों में से एक और सबसे बड़ा मिथक यह है कि उन्होंने भगत सिंह को फांसी से बचाने की कोशिश नहीं की। आइए भगत सिंह की शहादत के अवसर पर सच्चाई जानें

पढ़िए - एक थ्रेड 🧵

#BhagatSingh
#भगतसिंह
गांधी ने भगत सिंह को बचाने की पूरी कोशिश की। तब लॉर्ड इरविन वाइसराय थे. गांधी ने गांधी-इरविन पैक्ट के दौरान सवाल उठाया था। गांधी ने 18 फरवरी 1931 को भगत सिंह की मौत की सजा का सवाल उठाया।
उन्होंने होशियारी के साथ वायसराय के समक्ष रखा, और इस मुद्दे पर वायसराय के साथ चर्चा की और उन पर दबाव डाला।

गांधी ने वायसराय से कहा, "यदि आप वर्तमान माहौल को और अधिक अनुकूल बनाना चाहते हैं, तो आपको भगत सिंह की फांसी को रोक देना चाहिए।"
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Jan 19
बहुत लोग कहते हैं कि गांधी ने हर जगह अनशन किया लेकिन विभाजन रोकने के लिए अनशन नहीं किया. 'क्यूँ गांधी नहीं बैठ गए जिन्ना के खिलाफ़ अनशन पर?'

जो लोग ऐसा कहते हैं उन्हें शायद गांधी जी की अनशन की नीति के बारे में नहीं पता. गांधी बता गए हैं इस पर भी.

पढ़िए - एक थ्रेड 🧵 Image
जिस तरह एक ही कपड़ा हर व्यक्ति को फ़िट नहीं होगा उसी तरह एक ही उपाय ना हर जगह प्रयोग किया जा सकता है ना वो हर जगह सफल हो सकता है. अनशन के साथ भी यही खेल है. गांधी जी बता के गए हैं कि कहाँ अनशन करना है कहाँ नहीं, किसके सामने करना है किसके सामने नहीं.

+
12 अप्रैल 1924 को जॉर्ज जोसफ को लिखे एक पत्र में गांधी कहते हैं,

"आप एक अत्याचारी के खिलाफ़ अनशन नहीं कर सकते. अनशन तो किसी प्रेमी के खिलाफ़ किया जाता है, सो भी अधिकार प्राप्त करने की दृष्टि से नहीं अपितु उसे सुधारने की दृष्टि से...

+ Image
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Jan 18
#MythBuster: Was Gandhi silent on Moplah? NO

Gandhi was NOT silent on the Moplah rebellion. He spoke a lot. Let's debunk this highly exaggerated myth.

[THREAD🧵] Malabar Coast painting
A lot is being said on the Moplah rebellion that Gandhi was responsible for this and that. It has become a fashion to make Gandhi guilty of everything - for the problems of his age and also for the problems of the current age. Let's check the reality. ↓
(Note: I'll be directly quoting from Collected Works of Mahatma Gandhi which is published by Publication Division of Ministry of I&B ministry, Government of India. Thus its authenticity is unquestionable. It contains all the speeches, letters, telegrams of Mahatma Gandhi.)
Read 34 tweets
Oct 31, 2021
Sardar Vallabhbhai Patel:
Let's see some of quotes by him that are indigestible for certain sections of people.

“I'm determined to make India a truly secular state.” — Sardar Patel
(Source: On Hindustan Times 17/12/48)

[THREAD🧵]

↓↓↓ Image
“Hindu Raj is a mad idea.”
— Sardar Patel

(Source: On Hindustan Times 6/12/48)
“It was a fanatical wing of the Hindu Mahasabha directly under Savarkar that [hatched] the conspiracy (of Gandhi murder) and saw it through.”

— From Sardar Patel's Letter To JL Nehru

(Source: Sardar Patel correspondence edited by Durga Das volume 6 page no. 56) Image
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