@Gajapati (ଗଜପତି) Profile picture
ଅନାଲୋଚିତ ଓଡିଶାର ପ୍ରଚାର ଓ ପ୍ରସାର #polyglot_Techie_Art_Architucture_litrature_culture_Resercher handle by: BM Adhikari

Sep 25, 2020, 5 tweets

ପବିତ୍ର ଇନ୍ଦ୍ରାବତୀ
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इंद्रावती कि गाथा:
इंद्रावती बस्तर तथा छत्तीसगढ़ की प्राणदायिनी नदी है । यह नदी ओड़िसा के कलाहांडी से निकलकर दक्षिण ओडिशा कि नबरंगपुर से भोपालपटनम के आगे गोदावरी में विलीन हो जाती है ।
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इस नदी में जगदलपुर के पास विश्वप्रसिद्ध चित्रकोट एवं दुसरा ऐतिहासिक नगरी बारसूर के पास सातधार जलप्रपात है।
सातधार जलप्रपात इतिहास और प्रकृति की सुंदरता का अदभुत मेल है । इसी नदी के आगे नागो की राजधानी बारसूर है । जहां आज भी कई ऐतिहासिक महत्व के मंदिर है
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इंद्रावती नदी के किनारे कई प्राचीन धरोहर पाए जाते है।
दक्षिण ओडिशा की प्राचीन नगरी
पुष्करि तथा नबरंगपुर जिल्ला की उमरकोट से लेकर कोरापुट के कोटपाड़ तक जिसकी सूचना मिलती है।
यह कलिंगवन का एक हिस्सा था। जो कि नल, नाग ओर गंग राजाओं के द्वारा शाशित हुआ करता था
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इन्द्रावती नदि कि किनारे बसा हुआ मन्दिर ओर गुफाएं इसके प्रमाण देती हैं।
इंद्रावती और नारंगी नदी के संगम पर बसे नारायणपाल ग्राम में भगवान विष्णु को समर्पित एक विशाल मंदिर अवस्थित है ।
1069 ई में चक्रकोट में महाप्रतापी नाग राजा राजभूषण सोमेश्वर देव का शासन था ।
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सोमेश्वर देव का शासन चक्रकोट ( बस्तर ,कोरापुट) का स्वर्णिम युग था ।
उसके सम्मान में कुरूषपाल का शिलालेख कहता है कि वह दक्षिण कौशल के छ : लाख ग्रामों का स्वामी था । उसका यश चारों तरफ फैला था ।
इंद्रावती कि पूण्य गाथा यहीं खत्म नहीं होता है।
To be continued......
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