हिंदू_केशु🙏🚩💞🇮🇳 (मोदी का परिवार) Profile picture
#राम_का_वंशज_हूँ #गीता_मेरी_गाथा_है #छाति ठोक के कहता हूं #भारत_मेरी_माता_है #जय_श्री_राम

Aug 21, 2021, 12 tweets

#गांधार (आज का अफगानिस्तान
महाभारत में #गांधारी का नाम तो सुना ही होगा
लेकिन क्या आपको पता है कि उनका नाम गांधारी इसलिए था क्योकि वह गांधार देश की राजकुमारी थीं
आपको शायद पता नाहो लेकिन #शकुनी इसी जनपद का राजा था
महाभारत के अनुसार भारत को मुख्‍यत:16 जनपदों में स्थापित किया गया था

इन्हीं जनपदों में से एक गांधार था
महाभारत में हमको गांधार नरेश और गांधारी की चर्चा मिलती है गांधार कभी भारत का सबसे खुशहाल राज्य, जनपद था
बड़े आयुर्वेद अस्पतालों के लिए यह जाना जाता था
आज का पाकिस्तान के पश्चिमी तथा अफगानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र उस काल में भारत का गंधारप्रदेश था

भारत में घुसने के लिए यह एक दरवाजा था. गांधार देश से ही अधिकतर व्यापारी भारत में घुसते थे।
#तक्षशिला जो महाभारत काल में गांधार प्रदेश की राजधानी थी। गांधार ही आज कंधार के नाम से जाना जाता है जो अफगानिस्तान में मौजूद है
हम कहाँ तक थे और आज केवल वर्तमान भारत तक सिकुड़ गए....

हिन्दु_देश_गॉधार_बना_अफगानिस्तान
अफगानिस्तान 7 वीं सदी तक अखंड भारत का एक हिस्सा था,पहले एक हिन्दू राष्ट्र था, बाद में यह बौद्ध राष्ट्र बना और अब वह एक इस्लामिक राष्ट्र है
26 मई 1739 को दिल्ली के बादशाह मो.शाह अकबर ने ईरान के नादिर शाह से संधि कर उपगण अफगानिस्तान उसे सौंप दिया था

सन् 843 ईस्वी में कल्लार नामक राजा ने हिन्दूशाही की स्थापना की। तत्कालीन सिक्कों से पता चलता है कि कल्लार के पहले भी रुतविल या रणथल, स्पालपति और लगतुरमान नामक हिन्दू या बौद्घ राजाओं का गांधार प्रदेश में राज था। ये स्वयं को कनिष्क का वंशज भी मानते थे।

हिन्दू राजाओं को #काबुलशाह या ‘महाराज धर्मपति' कहा जाता था इन राजाओं में कल्लार, सामंतदेव,भीम,अष्टपाल,जयपाल,आनंदपाल, त्रिलोचनपाल,भीमपाल आदि उल्लेखनीय है

ये राजाओं ने लगभग 350साल तक अरब आततायियों और लुटेरों को जबर्दस्त टक्कर दी और उन्हें सिंधुनदी पार करके भारत में नहीं घुसने दिया

लेकिन 1019में महमूद गजनी से त्रिलोचनपाल की हार के साथ अफगानिस्तान का इतिहास पलटी खागया
प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में पख्तून लोगों और अफगान नदियों का उल्लेख है सुदास-संवरण के बीच हुए दाशराज्ञ युद्घ में ‘पख्तूनों' का उल्लेख पुरू ययाति के कुल के कबीले के सहयोगियों के रूप में हुआ है

जिन नदियों को आजकल हम आमू, काबुल, कुर्रम,रंगा,गोमल, हरिरुद आदि नामों से जानते हैं,उन्हें प्राचीन भारतीय लोग क्रमश: वक्षु, कुभा,कुरम, रसा, गोमती, हर्यू या सर्यू के नाम से जानते थे

जिन स्थानों के नाम आजकल काबुल,कंधार, बल्ख,वाखान,बगराम,पामीर,बदख्शां, पेशावर, स्वात,चारसद्दा आदि हैं

उन्हें संस्कृत और प्राकृत-पालि साहित्य में क्रमश: कुभा या कुहका, गंधार, बाल्हीक, वोक्काण, कपिशा, मेरू, कम्बोज, पुरुषपुर (पेशावर), सुवास्तु, पुष्कलावती आदि के नाम से जाना जाता था।

महाभारत में गांधारी के देश के अनेक संदर्भ मिलते हैं ..

पुले-खुमरी से 16 किमी उत्तर में सुर्ख कोतल नामक जगह में कनिष्क-काल के भव्य खंडहर अब भी देखे जा सकते हैं। इन्हें आजकल ‘कुहना मस्जिद' के नाम से जाना जाता है। पेशावर और लाहौर के संग्रहालयों में इस काल की विलक्षण कलाकृतियां अब भी सुरक्षित हैं

अफगानिस्तान के बामियान, जलालाबाद, बगराम, काबुल, बल्ख आदि स्थानों में अनेक मूर्तियों, स्तूपों, संघारामों, विश्वविद्यालयों और मंदिरों के अवशेष मिलते हैं काबुल के आसामाई मंदिर को 2,000 साल पुराना बताया जाता है आसामाई पहाड़ पर खड़ी पत्थर की दीवार को ‘हिन्दूशाहों' द्वारा निर्मित

परकोटे के रूप में देखा जाता है।

काबुल का संग्रहालय बौद्घ अवशेषों का खजाना रहा है। अफगान अतीत की इस धरोहर को पहले इस्लामिक मुजाहिदीन और अब तालिबान ने लगभग नष्ट कर दिया है। बामियान की सबसे ऊंची और विश्वप्रसिद्घ बुद्घ प्रतिमाओं को भी उन्होंने लगभग नष्ट कर दिया,

Share this Scrolly Tale with your friends.

A Scrolly Tale is a new way to read Twitter threads with a more visually immersive experience.
Discover more beautiful Scrolly Tales like this.

Keep scrolling