विश्व के दो सबसे बड़े चाँदी के कलशों का इतिहास
● चाँदी के 84 हजार सिक्के गलाकर बनाए गए थे दो कलश इस विश्व विख्यात कलश का निर्माण आमेर जयपुर के कुशवाहा ( कछवाहा ) राजवंश के महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय ने सन 1894 ई० में करवाया था !
● राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो आज भी अंदर पुरानी परंम्परारों सभ्यताओं और संस्कृति को सहेजे हुए है राजस्थान में हर साल देश दूनिया के कोने कोने से लाखों शैलानी आते हैं ! और यहाँ का लुत्फ उठाते हैं ! राजस्थान आने वाले पर्यटक जयपुर आने के बाद सीटी पैलेस का रूख अवश्य करते हैं !
● सीटी पैलेस गये बीना जैपूर की यात्रा पूरी नहीं होती ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ मौजूद है दूनिया का सबसे बड़ा चाँदी का कलश इस वृहद गंगाजली को देखने के लिए यहां दूर दूर से शैलानी आते हैं इस कलश की उचाई 5.फीट 3 इंच है और गोलाई 14.फीट 10 इंच !
● बता दे की 345 किलोग्राम के इस कलश को चाँदी से बनाया गया है ! ऐसा कहा जाता है कि जयुपर के महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय ने इस कलश को बनाने की माँग की थी !
● महाराराजा कि इच्छा पुरा करने के लिए 1894 के महाराराजा के आदेशानुसार शाही खजाने से करीब 14000 चाँदी के सिक्कों को
आग में तपाकर इस कलश का निर्माण किया गया था !
● बता दे शाही खजाने में इस कलश को पूरी प्रक्रिया जयपुर के कारीगरों द्वारा की गई और इस कलश को बनाने में लगभग 2 वर्ष लगे थे ! ये गंगाजली कलश साल 1902 में दूनिया की नजर उस वक्त आया जब इसे भारत से इग्लैंड ले जाया गया
● सबसे खास बात यह है कि इसे जिस जहाज से इग्लैंड रवाना किया गया था उस गंगा जल से धूला गया था ! इस कलश कि खुबसूरती और कलाकारी के चलते इस कलश का नाम गिनीज बूक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है !!
जय भवानी,🙏🙏🚩🚩
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