कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि नेहरू जी अकेले ऐसे भारतीय प्रधानमंत्री थे जिनका स्वागत करने खुद अमेरिका के राष्ट्रपति एयरपोर्ट आये... अब कांग्रेसी ने नेहरू गांधी गिरोह के प्रथम मुखिया नेहरू के लिए यह बात कही, तो हमारा भी दायित्व बनता है कि देश को शेष जानकारी हम दें।…
किसी भी भारत के प्रधानमंत्री द्वारा ये पहली विदेश यात्रा थी और अमेरिका की यह यात्रा १० अक्टूबर १९४९ को आरम्भ हुई...अब उस जमाने में भारत के पास अपना कोई ऐसा हवाई जहाज नहीं था, जो दिल्ली से सीधे अमेरिका के लिए उड़ सकता हो, अमेरिका के लिए वाया यूरोप ही जाना पड़ता था...
…परन्तु नेहरू चचा का जलवा था, सो उन्होंने इंग्लैंड से जहाज भाड़े पर लिया और दिल्ली से उड़कर सीधे अमेरिका के वाशिंगटन डीसी पहुंच गए।
११ तारीख को अमरीका पहुंच कर नेहरू चचा ने पहले से किराये पर ली गयी खुली लग्ज़री गाड़ी में अपनी शाही सवारी निकाली और राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन से…
…वार्ता करने पहुँच गए.......वार्ता के बाद उनसे पत्रकारों ने पूछा कि किन विषयों पर बात हुई तो चचा ने कहा- मैंने तो केवल सामान्य बातें ही की, बाकी महत्वपूर्ण विषय जी. एस. बाजपेई देख लेंगे... ऐसा बोल उन्होंने बाजपेई की तरफ इशारा कर दिया।
अपनी इस कुल ४५ मिनट की मुलाक़ात के बाद…
चचा लौटे नहीं,क्योंकि वो अकेले नहीं गए थे..वो भारत की गरीब जनता के पैसे से साथ में घुमाने को पद्मजा नायडू सहित अपनी आधा दर्जन सहेलियां भी ले गए थे, सो चचा नेहरु सहेलियों के साथ अमेरिका के नजारे उत्तर से दक्षिण देखने को कार पर सवार हो लिए और न्यूयॉर्क, शिकागो,
…सेनफ्रांसिस्को सहित कई शहरों में ६ दिन घूमते रहे। यात्रा यहीं समाप्त नहीं हुई, इस बीच उनकी लाडली ने फोन किया कि पप्पा तुम अमेरिका में मौज काट रहे हो और मैं यहां सड़ रही हूँ। फिर चचा का हवाई जहाज उड़कर १६ अक्टूबर १९४९ को दिल्ली आ गया और उसके ४ दिन बाद वापस बिटिया व सहेलियो…
…को साथ लेकर कनाडा को उड़ गया।
१९५४ के अक्टूबर में चचा ने अपनी सहेलियों के साथ ऐसी ही एक चीन और इंडो-चायना दर्शन यात्रा की और १० दिन चीन में और इतने ही लगभग कुछ अन्य देशों में बिता लौटे।
भारत में नवंबर बिताकर चचा फिर से थाई मसाज़ का आनंद और फार ईस्ट का भ्रमण करने निकल गए…
…और आराम से दिसंबर माह बर्मा, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया में घूमते हुए, मौज करते बिताया।
चचा के जमाने में सोशल मीडिया होता तो कोई जरूर पूछता- अरे ओ चचा, कभी घर में भी रहा करो।
अब आप कहोगे कि चलो कोई नहीं, प्रधानमंत्री थे काम से गए, थोड़ा घूम भी लिए तो आगे सुनो...१९५५ की…
…गर्मियों में तो चचा नेहरू ने विदेश यात्रा का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना डाला...अर्थात दुनिया के किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्ष द्वारा की गई अब तक की सबसे लंबी दूरी और अवधि की विदेश यात्रा।
७ जून १९५५ को मास्को पहुँचे, निकिता ख्रुश्चेव से मिलने का एहसान करके नेहरू रूस घूमने निकल पड़े..
..१७ दिनों तक पूरा सोवियत घूमने के बाद चचा ने यूगोस्लाविया का रुख किया, वहां से पोलेंड, फिर चेकोस्लोवाकिया, ऑस्ट्रिया, इटली, इजिप्ट आदि आदि इत्यादि घूमकर चचा जब पौने दो महीने में फ्री हुए, तो उन्हें याद आया कि वो भारत के प्रधानमंत्री भी हैं और बस चचा देश पर अहसान करने लौट आये।
ये वर्ल्ड रिकॉर्ड आज भी चचा नेहरू के नाम दर्ज है जिसे अभी तक तोड़ना बाकी है... मोदी भी नहीं तोड़ पाए... शशि थरूर यह महत्वपूर्ण जानकारी संकोचवश नहीं दे पाए, टेंसन नहीं थरूर साब ! सोशल मीडिया का धरातल और हम हैं न... चिंता नहीं करना।
लोहिया ने कहा था देश की ९५% जनता चार आना रोज पर गुज़र कर रही है और लेहरु ₹२५,००० रोज देश के गरीब का खुद पर खर्च करता है...नेहरू गांधी गिरोह के चमचों ! कभी थोड़ी बहुत शर्म जैसा तुम्हें कुछ लगता है या वो भी नहीं।
🙏🏾रजिस्टर्ड खानदानी चमचों को समर्पित🙏🏾
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