#प्राचीन_भारत_के_13_विश्वविद्यालय
जहां पढ़ने आते थे दुनियाभर के छात्र
जिसे तुर्की मुगल आक्रमण ने सब नष्ट कर के जला दिया बहुत हिन्दू मंदिर लूटे गये नही तो मेगस्थनीज अलवरुनी,इउ-एन-सांग के ग्रन्थो से अति समृद्ध भारत के वर्णन है
वैदिक काल से ही भारत में शिक्षा को बहुत महत्व दिया गया
इसलिए उस काल से ही #गुरुकुल और आश्रमों के रूप में शिक्षा केंद्र खोले जाने लगे थे। वैदिक काल के बाद जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया। भारत की शिक्षा पद्धति भी और ज्यादा पल्लवित होती गई। गुरुकुल और आश्रमों से शुरू हुआ शिक्षा का सफर उन्नति करते हुए विश्वविद्यालयों में तब्दील होता गया
पूरे भारत में प्राचीन काल में 13 बड़े विश्वविद्यालयों या शिक्षण केंद्रों की स्थापना हुई। 8 वी शताब्दी से 12 वी शताब्दी के बीच भारत पूरे विश्व में शिक्षा का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध केंद्र था। #गणित, #ज्योतिष, #भूगोल, #चिकित्सा_विज्ञान(#आयुर्वेद ), #रसायन, #व्याकरण और
#साहित्य के साथ ही अन्य विषयों की
शिक्षा देने में भारतीय विश्वविद्यालयों का कोई सानी नहीं था।
हालांकि आजकल अधिकतर लोग सिर्फ दो ही प्राचीन विश्वविद्यालयों के बारे में जानते हैं पहला #नालंदा और दूसरी #तक्षशिला। ये दोनों ही विश्वविद्यालय बहुत प्रसिद्ध थे।
इसलिए आज भी सामान्यत: लोग इन्हीं के बारे में जानते हैं, लेकिन इनके अलावा भी ग्यारह ऐसे विश्वविद्यालय थे जो उस समय शिक्षा के मंदिर थे। आइए आज जानते हैं प्राचीन विश्वविद्यालयों और उनसे जुड़ी कुछ खास बातों को..
1. #नालंदा_विश्वविद्यालय
यह प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था यह विश्वविद्यालय वर्तमान बिहार के पटना शहर से 88.5किलोमीटर राजगीर से 12 किलोमीटर में स्थित था महान बौद्ध विश्वविद्यालय के भग्नावशेष इसके प्राचीन वैभव का बहुत कुछ अंदाज करा देते हैं
सातवीं शताब्दी में भारत भ्रमण के लिए आए
चीनी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग के यात्रा विवरणों से इस विश्वविद्यालय के बारे में जानकारी मिलती है
यहां 10,000छात्रों को पढ़ाने के लिए 2,000 शिक्षक थे। इस विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम 450-470 को प्राप्त है
गुप्तवंश के पतन के बाद भी आने वाले सभी शासक वंशों ने इसकी समृद्धि में अपना योगदान जारी रखा।
इसे महान सम्राट हर्षवद्र्धन और पाल शासकों का भी संरक्षण मिला। भारत के विभिन्न क्षेत्रों से ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, फारस तथा तुर्की से भी विद्यार्थी यहां
शिक्षा ग्रहण करने आते थे।
इस विश्वविद्यालय की नौवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक अंतरर्राष्ट्रीय ख्याति रही थी। सुनियोजित ढंग से और विस्तृत क्षेत्र में बना हुआ यह विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना था। इसका पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था। जिसमें
प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार था।
उत्तर से दक्षिण की ओर मठों की कतार थी और उनके सामने अनेक भव्य स्तूप और मंदिर थे।
मंदिरों में बुद्ध भगवान की सुन्दर मूर्तियां स्थापित थीं।
केन्द्रीय विद्यालय में सात बड़े कक्ष थे और इसके अलावा तीन सौ अन्य कमरे थे। इनमें व्याख्यान हुआ करते थे।
अभी तक खुदाई में तेरह मठ मिले हैं। वैसे इससे भी अधिक मठों के होने ही संभावना है। मठ एक से अधिक मंजिल के होते थे। कमरे में सोने के लिए पत्थर की चौकी होती थी। दीपक, पुस्तक आदि रखने के लिए खास जगह बनी हुई है। हर मठ के आंगन में एक कुआं बना था। आठ विशाल भवन, दस मंदिर, अनेक
प्रार्थना कक्ष और अध्ययन कक्ष के
अलावा इस परिसर में सुंदर बगीचे व झीलें भी थी।
नालंदा में सैकड़ों विद्यार्थियों और आचार्यों के अध्ययन के लिए, नौ तल का एक विराट पुस्तकालय था। जिसमें लाखों पुस्तकें थी।
2. #तक्षशिला_विश्वविद्यालय
ये सब से प्राचीन विश्वविद्यालय है महान राजनीतिज्ञ चाणक्य यहा के अध्यक्ष रहे तक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थापना लगभग 2700 साल पहले की गई थी। इस विश्विद्यालय में लगभग 10500 विद्यार्थी पढ़ाई करते थे। इनमें से कई विद्यार्थी अलग-अलग देशों से ताल्लुुक रखते थे
वहां का अनुशासन बहुत कठोर था। राजाओं के लड़के भी यदि कोई गलती करते तो पीटे जा सकते थे। तक्षशिला राजनीति और शस्त्रविद्या की शिक्षा का विश्वस्तरीय केंद्र थी। वहां के एक शस्त्रविद्यालय में विभिन्न राज्यों के 103 राजकुमार पढ़ते थे।
आयुर्वेद और विधिशास्त्र के इसमे विशेष विद्यालय थे।
कोसलराज प्रसेनजित,मल्ल सरदार बंधुल, लिच्छवि महालि,शल्यक जीवक और लुटेरे अंगुलिमाल के अलावा चाणक्य और पाणिनि जैसेलोग इसी विश्वविद्यालय के विद्यार्थी थे इसमें अलग-2 छोटे-2गुरुकुल होते थे इन गुरुकुलों में व्यक्तिगत रूप से विभिन्न विषयों के आचार्य विद्यार्थियों को शिक्षाप्रदान करते थे
3. #विक्रमशीला_विश्वविद्यालय
विक्रमशीला विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के राजा धर्म पाल ने की थी 8 वी शताब्दी से 12वी शताब्दी के अंंत तक यह विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख शिक्षा केंद्रों में से एक था। भारत के वर्तमान नक्शे के अनुसार यह विश्वविद्यालय बिहार के भागलपुर शहर के आसपास
रहा होगा कहा जाता है कि यह उस समय नालंदा विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी था
1000 विद्यार्थीयों पर लगभग100 शिक्षक थे विश्वविद्यालय तंत्रशास्त्र की पढ़ाई के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता था इस विषय का सबसे मशहूर विद्यार्थी अतीसा दीपनकरा था,जो की बाद में तिब्बत जाकर बौद्ध होगया
4. #वल्लभी_विश्वविद्यालय
वल्लभी विश्वविद्यालय सौराष्ट्र(गुजरात) में स्थित था छटी शताब्दी से लेकर 12वी शताब्दी तक लगभग 600साल इसकी प्रसिद्धि चरम पर थी चायनीज यात्री ईत-सिंग ने लिखा है कि यह विश्वविद्यालय 7 वी शताब्दी में गुनामति और स्थिरमति नाम की विद्याओं का सबसे मुख्य केंद्र था
यह विश्वविद्यालय धर्म निरपेक्ष विषयों की शिक्षा के लिए भी जाना जाता था।
यही कारण था कि इस शिक्षा केंद्र पर पढ़ने के लिए पूरी दुनिया से विद्यार्थी आते थे।
5. #उदांत_पुरी_विश्वविद्यालय
उदांतपुरी विश्वविद्यालय मगध यानी वर्तमान बिहार में स्थापित किया गया था। इसकी स्थापना पाल वंश के राजाओं ने की थी। आठवी शताब्दी के अंत से 12 वी शताब्दी तक लगभग 400 सालों तक इसका विकास चरम पर था। इस विश्वविद्यालय में लगभग 12000 विद्यार्थी थे।
6. #सोमपुरा_विश्वविद्यालय
सोमपुरा विश्वविद्यालय की स्थापना भी पाल वंश के राजाओं ने की थी। इसे सोमपुरा महाविहार के नाम से पुकारा जाता था। आठवीं शताब्दी से 12 वी शताब्दी के बीच 400 साल तक यह विश्वविद्यालय बहुत प्रसिद्ध था। यह भव्य विश्वविद्यालय लगभग 27 एकड़ में फैला था। उस समय पूरे
विश्व में बौद्धधर्म की शिक्षा देनेवाला सबसे अच्छा शिक्षा केंद्र था
7. #पुष्पगिरी_विश्वविद्यालय
पुष्पगिरी विश्वविद्यालय वर्तमान भारत के उड़ीसा में स्थित था इसकी स्थापना तीसरी शताब्दी में कलिंग राजाओं ने की थी 800 साल तक यानी 11वी शताब्दी तक इस विश्वविद्यालय का विकास अपने चरम पर थ
इस विश्वविद्यालय का परिसर तीन पहाड़ों ललित गिरी, रत्न गिरी और उदयगिरी पर फैला हुआ था। नालंदा, तशक्षिला और विक्रमशीला के बाद ये विश्वविद्यालय शिक्षा का सबसे प्रमुख केंद्र था। चायनीज यात्री एक्ज्युन जेंग ने इसे बौद्ध शिक्षा का सबसे प्राचीन केंद्र माना। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इस
इस विश्ववविद्यालय की स्थापना राजा अशोक ने करवाई थी
अन्य विश्वविद्यालय
प्राचीनभारत में इन विश्वविद्यालयों के अलावा अन्य विश्वविद्यालय थे
उनकी शिक्षा प्रणाली भी इन्हीं विश्वविद्यालयों से प्रभावित थी इतिहास में मिले केंद्रों की स्थापना को सबसे ज्यादा बढ़ावा पाल वंश के शासको ने दिया
8 #जगददला, पश्चिम बंगाल में (पाल राजाओं के समय से भारत में अरबों के आने तक
9 #नागार्जुनकोंडा, आंध्र प्रदेश में।
10 #वाराणसी उत्तर प्रदेश में (आठवीं सदी से आधुनिक काल तक)
11 #कांचीपुरम, तमिलनाडु में
12 #मणिखेत, कर्नाटक
13 #शारदा_पीठ, कश्मीर मे
🙏हर-हर महादेव 🙏
#सनातन_कलाकृति 🙏🚩
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