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एक प्राइवेट न्यूज़ चैनल के स्टूडियो में @_YogendraYadav से बातचीत करते हुए पंकज के चौधरी:

@_YogendraYadav : आप सवर्णों को दिए गए आरक्षण का इतना विरोध क्यों कर रहे हैं? क्या आपको नहीं लगता कि गरीबी की कोई जाति नहीं होती? क्या आपको नहीं लगता कि आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए?
पंकज: मेरे गाँव में दो भाई हैं. गोलू झा और मोनू झा. इनके पिता शिक्षक थे. पिता का अचानक देहांत हो गया. गोलू झा दिल्ली आया. कटवारिया सराय में ठेला पर सब्जी बेचने लगा. बिलकुल लाज नहीं लगा उसे. ये नहीं सोचा कि उसके समाज के लोग क्या कहेंगे. पैसे कमाए. आज उसके पास बहुत जमीन है।
आज उसके पास बहुत जमीन है. मोनू झा माँ के पेंशन पर अपना जीवन काटता रहा. गाँव में तास खेलता रहा. इसलिए मोनू झा गरीब है. गोलू झा के बच्चे अमीर हैं. मोनू झा के बच्चे गरीब. मोनू झा के बच्चों को आरक्षण मिलेगा. गोलू झा के बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा.
#Reservation @sakshijoshii
मैं पूछता हूँ क्या मोनू झा को समाज ने आगे नहीं बढ़ने दिया?
योगेन्द्र यादव: मैं कुछ समझा नहीं

पंकज: मैं एक और उदहारण से समझाने की कोशिश करता हूँ. आप

लिबरल हैं. हैं कि नहीं?

YY : हाँ हूँ

पंकज: यादव भी हैं?

YY: हाँ हूँ

पंकज: आपने कभी रिक्शा की सवारी की है?

YY: हाँ की है.
पंकज: गुड. यदि रिक्शा वाले से आप उसका नाम पूछते हैं और वो आपको अपना नाम गोलू यादव बताता है तो आपको कोई फरक नहीं पड़ेगा. मगर यदि उसने अपना नाम गोलू झा या गोलू त्रिपाठी बोल दिया तो आप अन्दर से सुन्न हो जायेगें. भारत में गरीबी की भयावह तस्वीर आपकी आखों के सामने तैरने लगेगी.
GDP ग्रोथ, उदारीकरण से जुडी समस्याएं, किसानों की समस्याएं सभी एक एक कर आपको झकझोड़ने लगेगी.

@_YogendraYadav : ह्म्म्म
@umesh1949 || @AbbasAliRushdi
@MLArajeshSP || @dilipmandal
@pbhushan1 || @SpNewsPortal
@TheSamirAbbas || @MediaCellSP
@AnkitLal || @AAPVed
@Bahujanhitay72
पंकज: ये हमारी कंडीशनिंग है. योगेन्द्र यादव के बदले योगेन्द्र महतो, योगेन्द्र पासी, योगेन्द्र मल्लाह, योगेन्द्र रजक, योगेन्द्र मुखिया, योगेन्द्र बिंद, योगेन्द्र राजभर, योगेन्द्र पासवान, साहू, केवट, लहेरी, तंबोली को भी यदि रिक्शा वाला अपनी जाति का मिलेगा तो कोई फरक नहीं पड़ेगा
मगर यदि रिक्शा चलाने वाला त्रिपाठी,झा,पांडे,मिश्रा,सिंह,राठौड़,श्रीवास्तव,दूबे,सिन्हा मिल जाए तो उसे लगेगा कि वो एक ऐसे रिक्शा पर बैठ गया है जिसे चलाने वाला शारीरिक रूपसे अक्षम है. उसे लगेगा कि वो कोई पाप कर रहा है. वो चाहेगा कि रिक्शा वाले को पैसे देकर बीच रास्ते में ही उतर जाए.
उसे लगेगा कि वो कोई पाप कर रहा है. वो चाहेगा कि रिक्शा वाले को पैसे देकर बीच रास्ते में ही उतर जाए. जब तक भारत में ये स्थिति और ये सोच बदल नहीं जाती तब तक जाति के आधार पर ही आरक्षण रहना चाहिए. तब तक व्यक्ति को नहीं बल्कि सामाजिक समूहों को आरक्षण मिलना चाहिए.
@abhisar_sharma
बांकी, मैं चाहता हूँ कि आप किसी बन रहे बिल्डिंग में जाएँ. वहां महिला मजदूरों से मिलें, और पता करें कि गरीबी की कोई जाति नहीं होती या भारत में जाति के आधार पर गरीबी है.

इसके बावजूद मैं कहूँगा कि आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है. ये डाइवर्सिटी और प्रतिनिधित्व का मामला है.
आरक्षण की वज़ह से भारत के कई सार्वजनिक क्षेत्रों का चेहरा अच्छा हुआ है. वहीँ दूसरी तरफ न्यायपालिका का चेहरा देखिए. कैसा ब्राह्मणवादी लगता है. 
@pankhuripathak || @yadavivek_
@sakshijoshii || @bainjal
@Shweta_NN || @abhisar_sharma
@pbhushan1 || @ajitanjum @DrKumarVishwas
चलिए, भागिए. न्यूज़ चैनल से बाहर निकालिए. आप तो जानते ही हैं कि हम pvt न्यूज़ चैनल के स्टूडियो में बैठे हैं. यहाँ सब के सब पंडीजी ही काम करते हैं. सब आएंगे और मेरिट पर ज्ञान पेलने लगेंगे. इससे पहले हमलोग बाहर निकल लेते हैं.
@sakshijoshii || @abhisar_sharma
@YadavsAniruddh
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