वह आज का लाहौर है, इस राज्य को पहले लवपुरी कहा जाता था, बाद में यह अपभ्रंस होकर लौहपुरी हो गया, ओर उसके बाद लाहौर यही राठौड़ो की गद्दी थी
अतःबड़गुर्जर, सिकरवार, सिसोदिया, ओर राठौड़ राजा लव के वंशज ही है ओर आज की तारीख में , वंशावली के अनुसार
भाग १
चले आ रहे इतिहास में " सिसोदिया" बड़गुर्जर, सिकरवार, ओर राठौड़, खुद को राजपूत ही कहते है । उसके बाद भी इस इतिहास पर डेरे डाल कर बैठ जाना, एक आध गोत्र मिलते ही, इतिहास पर दावा ठोक देना ? यह तो उचित नही ??
श्री राम के दूसरे पुत्र हुए कुश .
भाग २
राजा कुश का साम्राज्य कुशवाहा/कच्छवाहा/भारतवर्ष के दक्षिण में कुश को साम्राज्य मिला था कुश ने अपनी राजधानी कौशल में स्थापित की, कौशल श्री राम की माता, कौशल्या का ही मायका था आज इसे बिलासपुर नाम से जाना जाता है ।
भाग ३
1 कुश के पुत्र अतिथि हुये।
2 अतिथि के पुत्र निषधन हुये।
3 नभ के पुत्र पुण्डरीक हुये।
4 पुण्डरीक के पुत्र क्षेमन्धवा हुये।
5 क्षेमन्धवा के पुत्र देवानीक हुये।
6 देवानीक के पुत्र अहीनक हुये।
7अहीनक से रुरु हुये।
8 रुरु से पारियात्र हुये। भाग ४
9 पारियात्र से दल हुये।
10 दल से छल हुये।
11 छल से उक्थ हुये।
12 उक्थ से वज्रनाभ हुये।
13 वज्रनाभ से गण हुये।
14 गण से व्युषिताश्व हुये।
15 व्युषिताश्व से विश्वसह हुये।
16 विश्वसह से हिरण्यनाभ हुये।
17 हिरण्यनाभ से पुष्य हुये।
भाग ५
18 पुष्य से ध्रुवसंधि हुये।
19 ध्रुवसंधि से सुदर्शन हुये।
20 सुदर्शन से अग्रिवर्ण हुये।
21 अग्रिवर्ण से पद्मवर्ण हुये।
22 पद्मवर्ण से शीघ्र हुये।
23 शीघ्र से मरु हुये।
24 मरु से प्रयुश्रुत हुये।
25 प्रयुश्रुत से उदावसु हुये।
भाग ६
26 उदावसु से नंदिवर्धन हुये।
27 नंदिवर्धन से सकेतु हुये।
28 सकेतु से देवरात हुये।
29 देवरात से बृहदुक्थ हुये।
30 बृहदुक्थ से महावीर्य हुये।
31 महावीर्य से सुधृति हुये।
32 सुधृति से धृष्टकेतु हुये।
33 धृष्टकेतु से हर्यव हुये।
34 हर्यव से मरु हुये।
भाग ७
35 मरु से प्रतीन्धक हुये।
36 प्रतीन्धक से कुतिरथ हुये।
37 कुतिरथ से देवमीढ़ हुये।
38 देवमीढ़ से विबुध हुये।
39 विबुध से महाधृति हुये।
40 महाधृति से कीर्तिरात हुये।
41कीर्तिरात से महारोमा हुये।
42 - महारोमा से स्वर्णरोमा हुये।
भाग ८
43 - स्वर्णरोमा से ह्रस्वरोमा हुये।
44 - ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म हुआ। ये “सीरध्वज” सिता के पिता जनक सीरध्वज से अलग है क्योंकि सीरध्वज नाम से अनेक और व्यक्ति हुए हैं।
ओर राजस्थान को जीतने वाले दुल्हेसिंह कच्छवाहा श्रीराम के पुत्र कुश की 80वीं पीढ़ीसे थे
भाग ९
ओर भवानी सिंह कच्छवाहा तक राजाकुश के 309 वें वंशज है ।
इस तरह से यह वंश बड़े लंबे समय से शाशन करता आ रहा है
लवकुश के वंशजो की महाभारत तक कि लड़ाई में जिक्र आता है बाद में लगातार बोद्ध धर्म ओर इस्लामी आक्रमण होने के कारण बीच का इतिहास एकदम खत्म ही हो गया भाग १०
लेकिन आज जयपुर की गद्दी राजा कुश के वंशजो की गद्दी ही कही जाती है, ओर भारत के सारे कुशवाहा यह मानते भी है ....
संभवतः शकों के आक्रमण के समय, ओर परमारो के उदय के समय कच्छवाहा राजपूतो का पतन हो गया था,
भाग ११
लेकिन जयपुर में , शकों को हराकर ही, नरवर ( ग्वालियर ) के शाशक सोढा सिंह ( कुश के 79वें वंशज )ने राजस्थान में कच्छवाहा रजपूतो की गद्दी बैठाई ओर सोढा सिंहः के पुत्र हुए दूल्हे राय 1137 में दुल्हेरायसिंहः ने जयपुर में शकों को पूरी तरह खदेड़कर अपना शाशन स्थापित कर लिया । भाग १२
( शक किसी जाति का पुराना नाम है, आज इन्हें शक कह दो, तो जान को आफत)
कच्छवाहो राजपूत की चार राजधानियां थी
दौसा
जयपुर
आमेर
जमवारामगढ़
ने अपनी राजधानी दौसा में बनाई थी, यहां इन्होंने बड़गुर्जरो को पराजित किया था । दुल्हेरायसिंहः ने अपनी दूसरी राजधानी बनाई,
भाग १३
दुल्हराय ने अपनी राजधानी दौसा में बनाई थी, यहां इन्होंने बड़गुर्जरो को पराजित किया था। दुल्हेरायसिंहः ने अपनी दूसरी राजधानी बनाई, जमुआरामगढ़ जमुआरामगढ़ भी दुल्हेरायसिंहः ने शकों से ही छीनी थी, ओर यहां शकों को परास्त कर उन्होंने जमवायमाता के मंदिर की स्थापना की थी।
भाग १४
दुल्हेरायसिंहः के बाद जिस शाशक का वर्णन आता है, वह है कोकिलदेव यह दुल्हेरायसिंहः के पौत्र थे
कोकिलदेव ने आमेर के शकों को परास्त कर, आमेर को अपनी राजधानी बनाई कोकिलदेव ने यादवों ( रजपूतो ) को भी परास्त कर दिया था ।
इन्ही कोकिलदेव के वंशज की पीढ़ी में आगे चलकर
भाग १५
नरूका ओर शेखावत राजपूतो का जन्म हुआ
महाराज नरु से , नरूका राजपूत हुए, महाराज नरूका मेहराज जी के पुत्र थे ,
ओर राव शेखाजी से शेखावत
शेखावाटी राज्य की स्थापना , राव शेखाजी ने ही की थी
1527 में जयपुर के राजा पृथ्वीराज हुआ करते थे,उन्होंने खानवा के युद्ध मे, महाराणा सांगा
भाग १६
की तरफ से युद्ध लड़ा था, पृथ्वीराज के बाद पूरणमल ( 1527-33 ) हुए, पूर्णमल को गद्दी से हटाकर, उसपर भीमसेन ( 1533-1536 ) विराजमान हुए, भीमसेन के बाद रत्नसिंहः ( 1536 - 1547 )रत्नसिंहः के चाचा थे, सांगा उन्होंने ही जयपुर के आज का " सांगानेर " नगर बसाया था ।
भाग १७
रत्नसिंहः की जहर देकर आसकरण ने हत्या कर दी, ओर खुद गद्दी पर विराजमान हो गया
ओर 1547 ईस्वी में , आसकरण को गद्दी से भारमल ने उतारफेंका , ओर अपना अधिकार कुशवाहा गद्दी पर फिर से प्राप्त कर लिया ।
कुशवाहा साम्राज्य में कई खापो में बंट गया
भाग १८
( देलणोत,झामावत,घेलणोत, राल्णोत,जीवलपोता,आलणोत (जोगी कछवाहा),प्रधान कछवाहा,सावंतपोता,खीवाँवात बिकसीपोता,पीलावत ,भोजराजपोता (राधर का,बीकापोता,गढ़ के कछवाहा,सावतसीपोता) ,सोमेश्वरपोता,खींवराज पोता,दशरथपोता,बधवाड़ा,जसरापोता, हम्मीरदे का,भाखरोत, सरवनपोता,नपावत,तुग्या कछवाहा,
भाग १९
सुजावत कछवाहा,मेहपाणी, उग्रावत, सीधादे कछवाहा, कुंभाणी , बनवीरपोता,हरजी का कछवाहा,वीरमपोता, मेंगलपोता, कुंभावत, भीमपोता या नरवर के कछवाहा, पिचयानोत , खंगारोत,सुल्तानोत,चतुर्भुज,बलभद्रपोत,प्रताप पोता, नाथावत, बाघावत, देवकरणोत , कल्याणोत, रामसिंहहोत, साईंदासोत, रूप सिंहसोत,
भाग २०
पूर्णमलोत , बाकावत , राजावत, जगन्नाथोत, सल्देहीपोता,सादुलपोता, सुंदरदासोत , नरुका, मेलका, शेखावत, करणावत , मोकावत , भिलावत, जितावत, बिझाणी, सांगणी, शिवब्रह्मपोता , पीथलपोता, पातलपोता )
उन सभी राजपूतो वंश जो, कच्छवाहा ही है, उनकी डिटेल कुछ पोस्टों में दे दी जाएगी
भाग २१
आज हम बात कर लेते है ...महाराज नरूका ओर राव शेखाजी के वंशजो के बारे में
नरूका_कच्छवाहा
महाराज नरु के नाम से ही, नरूका वंश की नींव पड़ी है ।
नरुका कछवाह – राजा मेराज जी (मेहराज) के पुत्र नरु जी के वंशज नरुका कछवाह कहलाते हैं । मेराज जी, राजा बरसिँह जी के पुत्र व
भाग २२
राजा उदयकरण जी के पोते थे।
नरूका कच्छवाहा वंश के भी उपवंश बन गए, आज वह ..
दासावत
लालावत
तेजावत
जेतावत
रत्नावत
आदि नामो से जाने जाते है .. यह प्रत्येक नाम, व्यक्ति के नाम पर पड़ा है ...
नरूका राजपुतो की कुल देवी जमवायमाता ही है ।
रावशेखाजीकच्छवाहा
भाग २३
#शेखावत ..
राव शेखाजी के नाम से ही इस वंश का नाम शेखावत पड़ा है
राव शेखाजी जयपुर घराने से ही संबंध रखते थे, इनके पिता राव मोकल सिंहः जी को मात्र 24 गांवो की जागीरदारी मिली हुई थी,
भाग २४
मोकल बहुत ही धार्मिक प्रवर्ति के राजा थे, लंबे समय तक संतान ना होने के बाद भी दुःखी ना रहते , बाद में साधु सन्यासियों की संगत, ओर गायो की सेवा करने पर, आशीर्वाद के स्वरूप ही राव शेखाजी का जन्म श्री मोकल के महल में हुआ, जिन्होंने 24 गांवो की रियासतों को
भाग २५
360 गांवो की रियासतों में बदल दिया ।
राव शेखाजी का " घाटवा का युद्ध " का विवरण आगे की पोस्ट में दिया जाएगा , इसके लिए कच्छवाहा वंश की वीरगाथा नाम जे पोस्ट भी की जाएगी, इसी वंश के एक राजा ने, मुहम्मद गौरी को बांध लिया था ।
भाग २५ इतिश्री 🙏🙏
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