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शिवकथा!
बात लगभग सन १३६० के आसपास की है। आज के बिहार के विस्फी गांव में एक कवि हुआ करते थे जिनका नाम था विद्यापति। कवि के साथ - साथ भगवान शिव के अनन्य भक्त और उपासक थे। भगवान शिव ठहरे अवघड़ अवधूत विद्यापति की भक्ति रचनाओं से खुश होकर उनके साथ कुछ समय व्यतीत करने का मन बना लिए।
फिर क्या था एक दिन धर लिए रूप गंवार का और आगए विद्यापति के घर और कहने लगे रख लो नौकर। उनकी दैनिक स्थिति दयनीय थी सो वो राजी नहीं हुए। पर शिव को तो रहना था तो राजी हो गए सिर्फ दो समय के खाने पर हीं। विद्यापति की पत्नी सुशीला ने सुझाया कि रख लो दो समय का खाना हीं तो खाएगा।
एक दिन उगना विद्यापति के साथ राजा के दरबार में जा रहे थे। तेज गर्मी के वजह से विद्यापति का गला सूखने लगा। लेकिन आस-पास जल का कोई स्रोत नहीं था। विद्यापति ने उगना से कहा कि कहीं से जल का प्रबंध करो अन्यथा मैं प्यासा ही मर जाऊंगा।
भगवान शिव कुछ दूर जाकर अपनी जटा खोलकर एक लोटा गंगा जल भर लाए।
विद्यापति ने जब जल पिया तो उन्हें गंगा जल का स्वाद लगा और वह आश्चर्य चकित हो उठे कि इस वन में जहां कहीं जल का स्रोत तक नहीं दिखता यह जल कहां से आया। वह भी ऐसा जल जिसका स्वाद गंगा जल के जैसा है।
कवि विद्यापति को उगना पर संदेह हो गया कि यह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि स्वयं भगवान शिव हैं अतः उगना से उसका वास्तविक परिचय जानने के लिए जिद करने लगे। जब विद्यापति ने उगना को शिव कहकर उनके चरण पकड़ लिये तब उगना को अपने वास्तविक स्वरूप में आना पड़ा।
फिर शिव ने एक शर्त रखी कि तुम मेरे असली रूप के बारे में किसी को नहीं बताओगे और जिस दिन बताए तो उसी दिन से अन्तर्ध्यान हो जाऊंगा। विद्यापति को बिना मांगे संसार के ईश्वर का सानिध्य मिल चुका था। विद्यापति ने शर्त मान लिया था। हालाकि ये बात विद्यापति की पत्नी को पता नहीं था।
एक दिन की बात है कोई काम उनकी पत्नी ने उगना को दिया लेकिन कीसी कारण उगना उसको कर ना पाया। फिर क्या था चूल्हे से जलती हुई लकड़ी निकाल विद्यापति की पत्नी ने उगना को दे मारा। ये सब देखकर विद्यापति के मुंह से सहसा निकल पड़ा कि ये तो भगवान शिव हैं और तुम इन्हें मार रही हो।
फिर क्या था शिव अन्तर्ध्यान हो गए और इधर विद्यापति पागलों की तरह उनको ढूंढ़ रहे थे। उनकी मनोदशा बिगड़ता देख शिव एकबार फिर प्रकट हुए और बोले मैं कहीं गया नहीं हूं बस समय हो गया था। और जो समय उगना के रूप में व्यतीत किया उसके शिवलिंग के रूप में उपस्थित रहेंगे।
शिव अन्तर्ध्यान हो गए लेकिन आज भी बिहार के मधुबनी जिले के भवानीपुर गांव में "उगना" महादेव का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। जब भी मौका मिले भगवान शिव का वो रूप भी जरूर देखें।
जय शिवशंभू 🙏🙏
#HappyShivratri #शिवरात्रि #Shivratri
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