बात लगभग सन १३६० के आसपास की है। आज के बिहार के विस्फी गांव में एक कवि हुआ करते थे जिनका नाम था विद्यापति। कवि के साथ - साथ भगवान शिव के अनन्य भक्त और उपासक थे। भगवान शिव ठहरे अवघड़ अवधूत विद्यापति की भक्ति रचनाओं से खुश होकर उनके साथ कुछ समय व्यतीत करने का मन बना लिए।
विद्यापति ने जब जल पिया तो उन्हें गंगा जल का स्वाद लगा और वह आश्चर्य चकित हो उठे कि इस वन में जहां कहीं जल का स्रोत तक नहीं दिखता यह जल कहां से आया। वह भी ऐसा जल जिसका स्वाद गंगा जल के जैसा है।
जय शिवशंभू 🙏🙏
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