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राम नाम का अर्थ - रघुकुल गुरु वशिष्ठ महर्षि ने बताया कि 'राम' नाम दो बीज अक्षरों से बना है: अग्नि बीज (रा) और अमृता बीज (मा)। अग्नि बीज आत्मा, मन और शरीर को स्फूर्ति देता है और अमृता बीज समस्त शरीर में प्राणशक्ति को पुष्ट करता है @Shrimaan 1/n
एक दूसरी विवेचना के अनुसार राम का अर्थ है ‘प्रकाश’। किरण एवं आभा (कांति) जैसे शब्दों के मूल में राम है। ‘रा’ का अर्थ है आभा (कांति) और ‘म’ का अर्थ है मैं, मेरा और मैं स्वयं। राम का अर्थ है मेरे भीतर प्रकाश, मेरे ह्रदय में प्रकाश। (2/n)
श्रीराम भगवान नारायण के मानव अवतार थे। विद्वानों ने शास्त्रों के आधार पर राम के तीन अर्थ निकाले हैं। राम नाम का पहला अर्थ है 'रमन्ते योगिन: यस्मिन् राम:।' यानी 'राम' ही मात्र एक ऐसे विषय हैं, जो योगियों की आध्यात्मिक-मानसिक भूख हैं, भोजन हैं, आनन्द और प्रसन्नता के स्त्रोत हैं।
राम का दूसरा अर्थ है, 'रति महीधर: राम:।', 'रति' का प्रथम अक्षर 'र' है और 'महीधर' का प्रथम अथर 'म', राम। 'रति महीधर:' सम्पूर्ण विश्व की सर्वश्रेष्ठ ज्योतित सत्ता है, जिनसे सभी ज्योतित सत्ताएं ज्योति प्राप्त करती हैं।
' राम' नाम का का तीसरा अर्थ है, 'रावणस्य मरणं राम:'। 'रावण' शब्द का प्रथम अक्षर है 'रा' और 'मरणं' का प्रथम अक्षर है 'म'। रा+ म= राम यानी वह सत्ता, जिसकी शक्ति से रावण मर जाता है।
श्री राम राम रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥

इस मंत्र को श्री राम तारक मंत्र भी कहा जाता है। और इसका जाप, सम्पूर्ण विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु के 1000 नामों के जाप के समतुल्य है। यह मंत्र श्रीरामरक्षास्तोत्रम् के नाम से भी जाना जाता है।
बालकाण्ड
बंदउँ नाम राम रघुबर को। हेतु कृसानु भानु हिमकर को॥
बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो। अगुन अनूपम गुन निधान सो॥1॥
रघुनाथजी के नाम 'राम' की वंदना करता हूँ, जो अग्नि, सूर्य और चन्द्रमा का हेतु अर्थात्‌ 'र' 'आ' और 'म' रूप से बीज है। वह 'राम' नाम ब्रह्मा, विष्णु और शिवरूप है।
महारामायण में शिव जी कहते हैं की समस्त नामों के वर्ण रामनाममय हैं अथार्त रामशब्दजन्य हैं,अतएव रमु क्रीडा 'राम' शब्द सब नामों का ईश्वर है ।

भगवान् के सभी नाम सच्चिदानंदस्वरुप हैं तथापि 'राम' नाम में ढेरों विशेषता है ये कुछ विशिष्ट है ।
श्रीराम नाम के तीनो पदों र,अ,म में सच्चिदानंद का अभिप्राय स्पष्ट झलकता है अन्य भगवन्नामों में किसी में सत और चित मुख्य है आनंद गौण है किसी में सत और आनंद मुख्य है चित गौण है और किसी में चित आनंद मुख्य है सत गौण है ।
श्रीराम नाम के तीनो पदों में सत चित आनंद तीनो समाहित हैं
श्री राम राम रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥

इस मंत्र को श्री राम तारक मंत्र भी कहा जाता है। और इसका जाप, सम्पूर्ण विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु के 1000 नामों के जाप के समतुल्य है। यह मंत्र श्रीरामरक्षास्तोत्रम् के नाम से भी जाना जाता है।
राम जिनका नाम है, अयोध्या जिनका धाम है, ऐसे रघुनंदन को, हमारा प्रणाम है, 🙏
उपरोक्त thread के लिए कहना चाहूँगा कि यह मेरी स्वचुरित रचना है और मैंने केवल एक माध्यम बनकर इसे यह पोस्ट करने का प्रयत्न किया है जो विभिन्न जगहों मैंने पढ़ा है 🙏
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