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श्री राम ने सीता जी को क्यों जंगल भेजा था ?

इस thread में तर्कों के साथ इसका विश्लेषण कर रहा हूँ -
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जब श्री राम वनवास से वापस आये तब कुछ दिन अयोध्या में राज करने के बाद एक दिन सीता जी ने उनसे कहा कि वो गर्भवती हैं । तब श्री राम ने उनसे कहाँ माँगो क्या माँगती हो ?

तब सीता जी ने कहा वो तपोवन में घूमना और तेजस्वी महर्षियों के बीच कुछ समय बिताना चाहती हैं ।
3....

श्री राम ने उनसे कहा कि वो सीता जी की इस बात को जरूर मानेगें तथा कल ही सीता जी की इच्छा पूरी करेंगे। ..
4...
श्री राम इसके बाद अपने गुप्तचरों और मित्रो से मिले तथा उनसे पूछा कि राज्य में हमारे बारे में क्या बाते चल रही हैं बताओ क्योंकि राजा का अनुसरण प्रजा करती है ।

इस पर सभी ने पहले तो अच्छी अच्छी बातें बतायीं पर बाद में श्री राम के पूछने पर उन्होंने कहा -
5..
जनता में यह बातें थीं-
"जब सीता बहुत दिन राक्षसों के बीच रहीं तो भी राम उनसे घृणा क्यों नही करते हैं । अब हमको भी स्त्रियों की ऐसी बातें सहन करनी पड़ेंगी । क्योंकि राजा जैसा करता है वैसा ही प्रजा भी करती है।"

यह सुनकर श्री राम प्रजा के व्यवहार के भावशग के प्रति चिंतित हो गए
*भविष्य
6..

तब श्री राम को अपनी प्रजा की मर्यादा की रक्षा करने के लिए वह कठोर निर्णय लेना पड़ा जिसमे उन्हें अपने प्राणों से भी प्रिय उन सीता जी को वन भेजना था जिनके लिए उन्होंने समस्त राक्षस गणों तथा राक्षस से युद्ध लड़ा था ।
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तब श्री राम को वो वचन याद आये जो सीता जी ने उनसे कहे थे तथा उन्होंने लक्ष्मण जी से कहा कि सीता जी को ऋषियों के आश्रम के समीप छोड़ आओ....

इसके बाद लक्ष्मण जी दुख के साथ सीता जी को रथ में बैठकर वनों की ओर ले गए ।
8..
लक्ष्मण जी सीता जी को वन में छोड़ते हुए बहुत दुखी थे। तब उनसे सीता जी ने यह शब्द कहे जिनमे कहीं भी श्री राम के प्रति रोष नही है बल्कि उनके निर्णय का समर्थन है । क्योंकि सीता जी रानी थी और वह राजा की मजबूरियाँ जानती थीं ।

उन्होंने गर्भवती होने की बात भी लक्ष्मण को बता दी..
9..

गर्भवती होने की बात इसलिए बताई ताकि वह में जाने से पहले समाज को पता रहे कि वो गर्भवती हैं तथा बाद में प्रजा शक ना करे।
10..
श्री राम और लक्ष्मण उस वन को अच्छी तरह से जानते थे क्योंकि वो सीता जी के साथ वनवास में वन घूमे थे।
इसलिए श्री राम ने लक्ष्मण को सीता जी को छोड़ने भेजा । लक्ष्मण जी ने सीता जी को वाल्मीकि जी के आश्रम के बिल्कुल करीब छोड़ा ।

जहां से उन्हें तुरंत मुनिकुमार आश्रम ले गए थे..
11..
सीता की के वाल्मीकि जी के आश्रम में जाने के बाद ऋषिवर ने उन्हें बताया कि वो पहले से यह सब जानते थे तथा वो जानते हैं कि सीता जी निष्पाप हैं और उन्होंने सीता जी को वहाँ रहने के लिए आज्ञा दी ।

सीता जी ने आज्ञा स्वीकार की तथा ऋषि कन्याओं के साथ रहने लगीं ...
12..

लक्ष्मण जी जब वापस आते हुए अत्यंत दुखी थे तब उन्हें मंत्री सुमन्त्र जी ने बताया कि आप दुखी मत हो यह सब पहले से ही निश्चित था तथा श्री राम के बचपन मे ही दशरथ जी को दुर्वासा जी ने बता दिया था कि श्री राम को अपनो से वियोग सहना पड़ेगा ।

इसके पीछे पूर्व जन्म का श्राप है...
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ऋषि दुर्वासा ने बताया कि भगवान श्री राम ही नारायण हैं तथा एक बार देव असुर संग्राम में ऋषि भृगु की पत्नी ने असुरों को अपने घर मे शरण दी थी जिससे कुपित होकर ऋषि भृगु ने नारायण को श्राप दिया था कि अगले जन्म में तुम भी पत्नी वियोग सहन करोगे । इसलिए इस जन्म में यह हुआ...
14..
श्री राम के भाई शत्रुध्न जी जब लवणासुर को मारने जा रहे थे तब वाल्मीकि जी के आश्रम में ही रुके थे उसी समय लव कुश का जन्म भी हुआ तथा तथा शत्रुध्न जी को यह बात पता चली तो वह एक दिन और आश्रम में रुके थे ।

अतः वाल्मीकि आश्रम अनजान वन नही था । वह अयोध्या के लिए ज्ञात जगह थी।
15..
इस thread में सभी कुछ विश्वसनीय गीता प्रेस गोरखपुर की वाल्मीकि रामायण से लिया गया है जिसका पूर्ण सातों कांडों का अध्ययन मैंने स्वयं पिछले कुछ दिनों में किया है तथा यह फोटोज भी मैंने स्वयं लिए हैं ।

अतः कुछ भी किसी और पुस्तक या बाद कि रामायणों से नही है ।
16..
वाल्मीकि रामायण के मुताबिक इसके बाद लव कुश के बड़े होने के बाद जब श्री राम ने सीता जी को वापस बुलाया तब सारा समाज और अयोध्या सड़कों पर थे तथा तब ऋषि वाल्मीकि ने समाज के सामने कहा कि सीता पूरी तरह पवित्र हैं तथा ना हों तो मेरा सारा ज्ञान तथा तपस्या नष्ट हो जाये...
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इसके बाद सीता जी कहती हैं कि यदि मैं सचमे सती हूँ तथा श्री राम के सिवा मेरे मन मे कभी कोई और ना आया हो तो धरती माता मुझे अपने भीतर समा लें... तभी धरती फट जाती है तथा सीता जी उसमे समा जाती है।

श्री राम दुखी और व्यथित अकेले रह जाते हैं ।....
18..

राजा के कर्तव्य को निभाने तथा जनता और प्रजा को खुश रखने के लिए उन्हें व्यक्तिगत जीवन दुख से अकेले बिताना पड़ता है .....
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बाद में वो लव और कुश को, भरत, शत्रुघ्न, के पुत्रों में राज्य बंटवारा करके अंत में स्वयं भी सरयू नदी के रास्ते वैकुण्ठधाम चले जाते हैं जहां ब्रह्मा जी सीता जी को उन्हें सौंप देते हैं ।

Source - Valmiki Ramayan - Geet press
*Geeta Press
20..
कुछ लोगो का मानना है कि उत्तर कांड बाद में कुछ लोगों ने जोड़ा है । परंतु इसे कब और किसने जोड़ा ऐसा पता नही चल पाता है। बस उसकी भाषा को देखकर अंदाज लगाए जाते हैं ।

अतः मैंने जो उत्तर कांड जुड़ा हुआ है उसी के आधार पर यह जवाब या thread लिखा है । इसमे भी श्री राम खलनायक नही है
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कुछ दूषित मानसिकता के लोग जिस तरह मक्खी हमेशा गन्दगी पर बैठती है वैसे ही किसी भी ग्रंथ में हमेशा कमियाँ ही खोजते रहते हैं । असल में कमी उनकी नकारात्मक सोच में होती है। इसलिए उन्हें कितने भी तथ्य देने पर भी वह श्री राम तथा हिन्दू धर्म को कोसेंगे ही अतः उनसे बहस का फायदा नही
22...

इसलिए जिन जिज्ञासुओं के मन मे सच जानने की आतुरता तथा जिज्ञासा है उन्ही के लिएयह थ्रेड लिखा गया है ।

वितंडा करने वाले कुबुद्धि तथा दुर्बुद्धि वालों के लिए सिर्फ प्रार्थना की जा सकती है कि श्री राम उन्हें सद बुद्धि प्रदान करें ।

-जय श्री राम
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