श्री राम इसके बाद अपने गुप्तचरों और मित्रो से मिले तथा उनसे पूछा कि राज्य में हमारे बारे में क्या बाते चल रही हैं बताओ क्योंकि राजा का अनुसरण प्रजा करती है ।
इस पर सभी ने पहले तो अच्छी अच्छी बातें बतायीं पर बाद में श्री राम के पूछने पर उन्होंने कहा -
तब श्री राम को अपनी प्रजा की मर्यादा की रक्षा करने के लिए वह कठोर निर्णय लेना पड़ा जिसमे उन्हें अपने प्राणों से भी प्रिय उन सीता जी को वन भेजना था जिनके लिए उन्होंने समस्त राक्षस गणों तथा राक्षस से युद्ध लड़ा था ।
गर्भवती होने की बात इसलिए बताई ताकि वह में जाने से पहले समाज को पता रहे कि वो गर्भवती हैं तथा बाद में प्रजा शक ना करे।
इस thread में सभी कुछ विश्वसनीय गीता प्रेस गोरखपुर की वाल्मीकि रामायण से लिया गया है जिसका पूर्ण सातों कांडों का अध्ययन मैंने स्वयं पिछले कुछ दिनों में किया है तथा यह फोटोज भी मैंने स्वयं लिए हैं ।
अतः कुछ भी किसी और पुस्तक या बाद कि रामायणों से नही है ।
वाल्मीकि रामायण के मुताबिक इसके बाद लव कुश के बड़े होने के बाद जब श्री राम ने सीता जी को वापस बुलाया तब सारा समाज और अयोध्या सड़कों पर थे तथा तब ऋषि वाल्मीकि ने समाज के सामने कहा कि सीता पूरी तरह पवित्र हैं तथा ना हों तो मेरा सारा ज्ञान तथा तपस्या नष्ट हो जाये...
इसके बाद सीता जी कहती हैं कि यदि मैं सचमे सती हूँ तथा श्री राम के सिवा मेरे मन मे कभी कोई और ना आया हो तो धरती माता मुझे अपने भीतर समा लें... तभी धरती फट जाती है तथा सीता जी उसमे समा जाती है।
श्री राम दुखी और व्यथित अकेले रह जाते हैं ।....
राजा के कर्तव्य को निभाने तथा जनता और प्रजा को खुश रखने के लिए उन्हें व्यक्तिगत जीवन दुख से अकेले बिताना पड़ता है .....
बाद में वो लव और कुश को, भरत, शत्रुघ्न, के पुत्रों में राज्य बंटवारा करके अंत में स्वयं भी सरयू नदी के रास्ते वैकुण्ठधाम चले जाते हैं जहां ब्रह्मा जी सीता जी को उन्हें सौंप देते हैं ।
Source - Valmiki Ramayan - Geet press
कुछ लोगो का मानना है कि उत्तर कांड बाद में कुछ लोगों ने जोड़ा है । परंतु इसे कब और किसने जोड़ा ऐसा पता नही चल पाता है। बस उसकी भाषा को देखकर अंदाज लगाए जाते हैं ।
अतः मैंने जो उत्तर कांड जुड़ा हुआ है उसी के आधार पर यह जवाब या thread लिखा है । इसमे भी श्री राम खलनायक नही है
कुछ दूषित मानसिकता के लोग जिस तरह मक्खी हमेशा गन्दगी पर बैठती है वैसे ही किसी भी ग्रंथ में हमेशा कमियाँ ही खोजते रहते हैं । असल में कमी उनकी नकारात्मक सोच में होती है। इसलिए उन्हें कितने भी तथ्य देने पर भी वह श्री राम तथा हिन्दू धर्म को कोसेंगे ही अतः उनसे बहस का फायदा नही
इसलिए जिन जिज्ञासुओं के मन मे सच जानने की आतुरता तथा जिज्ञासा है उन्ही के लिएयह थ्रेड लिखा गया है ।
वितंडा करने वाले कुबुद्धि तथा दुर्बुद्धि वालों के लिए सिर्फ प्रार्थना की जा सकती है कि श्री राम उन्हें सद बुद्धि प्रदान करें ।
-जय श्री राम