The word "Koti" in above is NOT crore, as the Hindu-haters would like you to believe. "Koti" is also used to mean "type". For example, चाणक्य उच्च कोटि के विद्वान थे।
Hence this thread.
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11 रूद्र - प्राण, अपान, व्यान, समान, उदान, नाग, कुर्म, किरकल, देवदत्त और धनंजय
12 आदित्य -12 माह को 12 आदित्य कहते हैं
1 इंद्र - इंद्र का अर्थ ऊर्जा (energy)
1 प्रजापति
इन 33 तत्वों से 33 कोटि बनते हैं।
वसु अर्थात हमें वसाने वाले आत्मा का जहां वास होता है। ये आठ वसु हैं: धरती, जल, अग्नि, वायु, आकाश, चंद्रमा, सूर्य और नक्षत्र। ये आठ वसु प्रजा को वसाने वाले अर्थात धारण या पालने वाले हैं।
रुद्र शरीर के अव्यय है। जब यह एक-एक करके शरीर से निकल जाते हैं तो उसे मृत मान लिया जाता है।
इन रुद्रों ने नाम हैं:- प्राण, अपान, व्यान, समान, उदान, नाग, कुर्म, किरकल, देवदत्त और धनंजय। प्रथम पांच प्राण और दूसरे पांच उपप्राण हैं अंत में 11वां जीवात्मा हैं।
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आदित्य सूर्य को कहते हैं। समय के 12 माह को 12 आदित्य कहते हैं। इन्हें आदित्य इसलिए कहते हैं क्योंकि यह हमारी आयु को हरते हैं। जैसे-जैसे समय बढ़ता जाता है हमारी आयु घटती जाती है। ये बारह आदिय 12 माह के नाम हैं।
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32 वां है इंद्र। इंद्र का अर्थ बिजली या ऊर्जा (Energy)
33 वां है यज्ज। यज्ज अर्थात प्रजापति, जिससे वायु, दृष्टि, जल और शिल्प शास्त्र हमारा उन्नत होता है, औषधियां पैदा होती है।
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जब सनातन धर्म के अनुसार हम कोई देवी देवता को पूजते हैं तो वे कहीं न कहीं इन 33 कोटि तक हमारी पूजा पहुँचती है। आखिर आप इसी Universe, या Mother Nature को पूज रहे हैं।
तो बताएं, है कोई धर्म इस सारे विश्व में जो इससे ज़्यादा Scientific हो?