Nationalism (राष्ट्रवाद) शब्द को हमारा देश आज तक परिभाषित नहीं कर पाया है
तथा Globalization (वैश्वीकरण) जो है वो 2 स्तम्भों पर खडा है, 1) Uniformity & 2) Standardization
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Uniformity मतलब सब एकसा हो, गर्मी का मौसम आया सबको coke पीना है, आपको भी-मुझे भी। यह Globalization चाहता है, वो नही चाहता है कि आपकी माँ आपके लिए शर्बत/रस बनाए।
Standardization मतलब coke पिए तो इतनी ही quantity हो, गिन कर 200ml एक बूंद ऊपर ना हो।
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लेकिन जहा आप Globalized market जैसे मॉल में गए तो आप वहा ऐसा नहीं कर सकते, आपने ऊंगली लगाई तो आपको उसका पैसा देना पड़ेगा।
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ये सांस्कृतिक समृद्ध और बुद्धिमान होते हुए भी लोगो को गूंगा बना रहा है, ये ही Globalization का DNA यानी तासीर है।
क्यूँकि अगर आप लोगो को बेजबान नहीं करेंगे तो आप उन सबसे डील कैसे करेंगे?
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Globalization ने लोगो को भ्रमित किया है की वो इतने सालो से एक हीन भावना से ग्रसित है। आज उससे उभरने की कोशिश भारत इसीलिए कर रहा है bcz change of leadership: politically & Culturally
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क्यूँकि 20 साल के Globalization के बाद हमे पता चल चुका था कि Globalization की अगर हमने negative side को भी अपनाया तो हमे एक हीन भावना के साथ ही जीना पड़ेगा।
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इससे ये समझ में आता है कि पूरा विश्व इस बात से चिंतित है कि वैश्वीकरण कैसे हमारी लोकल मान्यताओं, विविधताओं को दीमक की तरह खा रहा है। इसीलिए Nationalist लोग जीतते जा रहे हैं।
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