पूरे मामले से सिर्फ AMU को बदनाम करने की हर मुमकिन कोशिश की गई है।
University साफ़ कर चुकी है यूनिवर्सिटी का कोई ड्रेस कोड नहीं है।
मामला सिर्फ दो लोगों का आपसी मामला है।
लेकिन मीडिया तो समाज में हर स्तर पर नफ़रत फैलाएगी ही।
चंद सवाल उन्हीं मीडिया हाउस से हैं कि,
लेकिन बिहार में जहां भाजपा की सरकारी हिस्सेदारी है वहां सामूहिक बलात्कार की पीड़िता को जेल भेज दिया जाता है वहां आप खामोश क्यों हैं?
लेकिन तिरुपति मंदिर को लेकर आप खामोश रहते हैं, ऐसा क्यों?
आप कपड़ों के मामले में संविधान का हवाला देते हैं,
लेकिन संवैधानिक हक से प्रदर्शन कर रहे छात्रों और लोगों को आप देशद्रोही बोलते हैं, ऐसा क्यों?
लेकिन उसी समय देश का एक राज्य Assam बाढ़ में डूबा हुआ है, उस पर आप एक शब्द तक नहीं बोलते हैं, ऐसा क्यों?
आपको Sharjeel Imam देशद्रोही आतंकवादी दिखता है लेकिन Davinder Singh पर आपको सांप सूंघ जाता है, ऐसा क्यों?
लेकिन याद रखना हिटलर का साथ देने वालों यकीनन उस वक़्त बड़े बड़े औहदे मिलते थे लेकिन उन्हें कल भी और आज भी सिर्फ गद्दार कहा जाता है। मानवता का दुश्मन कहा जाता है।
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