*आर्य समाजी* 🤔🤐🤷
*सनातनी* अग्निव्रत जी क्या आपको पता है कि महाभारत में कौंन से श्लोक प्रमाणिक हैं और कौंन से अप्रमाणिक?
*आर्य समाजी* जो सत्य का अनुसरण करे वो सत्य और जो पाखंड पूर्ण हैं वो असत्य ।
*सनातनीः* तो बताईये कौंन से श्लोक पाखंड हैं?
*आर्य समाजी* 🤔🤔🤐
*सनातनीः* अच्छा इस संजीवनी पुस्तक का लिखित प्रमाण है आपके पास?
*आर्य समाजीः* पहले था परंतु वे दुर्भाग्यवश खो गये है?
*सनातनीः* मतलब झूठ बोल रहे थे।
माई लोर्ड ये आदमी झूठ बोल रहा है।
अच्छा ये बताईये अग्निव्रत जी क्या ये सँभव है कि पूरे अटठारह पर्वों की कथा महाराज ययाति से लेकर जन्मेजय तक की कथा मात्र 24000हजार शब्दों में समेटी जा सकती है?
*अग्निव्रत:* तुम मूर्ख हो।
*जज* : ऑर्डर ऑर्डर।
*सनातनी:* मूर्ख वो है जो बिना प्रमाण के सुनी सुनाई बातों पर विश्वास कर लेते हैं ।जज साहब आदिपर्व महाभारत में ही लिखा है कि महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास जी ने सर्व प्रथम केवल सँवाद रूपी 24000 श्लोक की महाभारत लिखी थी।
फिर अनुक्रमणिका के तौर पर केवल 150 श्लोक थे । फिर भगवान श्री गणेश की मदद से महाभारत के सम्पूर्ण इतिहास पर 60 लाख श्लोकों की महाभारत लिखी थी । जिसमें से एक लाख श्लोक मनुष्यों के लिए नियत हैं ।
और आज तक राजा भोज पर इतने बड़े बड़े शोध हुए ।। उन्होंने चमपुरामायाण , फलित ज्योतिष , हनुमंत नाटक पुस्तकें लिखी है परंतु संजीवनी नामक कोई पुस्तक नहीं लिखी । ये काशी , मथुरा के बड़े विद्वानों को प्राप्त नहीं हुई तो आर्य समाजी को कहाँ से प्राप्त हो गयी ??