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Sep 23, 2020 15 tweets 3 min read Read on X
थ्रेड: कस्टमर तेरे कितने नाम

शेक्सपीअर भले ही 'नाम' को महत्वहीन अनावश्यक चीज मानते हों मगर भारतीय संस्कृति में नाम का काफी महत्व है। जीवन के १६ संस्कारों में नामकरण का पांचवां स्थान है।
कायदे से तो ये महत्वपूर्ण चरण व्यक्ति के जीवन में एक ही बार आना चाहिए परन्तु आधुनिक मनुष्य इसका आनंद जीवन में कई बार उठाता है। बचपन में अलग नाम, स्कूल में अलग नाम, आधार कार्ड में अलग, पैन कार्ड में अलग, शादी के कार्ड में अलग।
पुरातन काल में नामकरण पंडितजी किया करते थे, आजकल ये शुभ काम पंडितजी के अलावा आधार कार्ड वाला, स्कूल का क्लर्क वगैरह लोग भी करते हैं। पुरुष प्रजाति में तो अगर पंडितजी ने 'ल' पे नाम निकाला तो पहले लक्की, फिर लोकेश और फिर लोकेश शर्मा हो जाएगा।
बाद में आधार कार्ड वाला उसे 'शर्मा लोकेश' कर देगा, पैन कार्ड वाला उसे 'लोकेश बिहारीलाल शर्मा' कर देगा, ड्राइविंग लाइसेंस में 'शर्मा लोकेश बिहारीलाल'। नाम की स्पेलिंग सरकारी बाबू के साक्षरता स्तर के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। महिलाओं के साथ तो ये दिक्कत कुछ ज्यादा ही भीषण है।
यहां तो शादी के बाद नाम ही बदल देते हैं। कुछ जगह थोड़ी रियायत बरतते हुए केवल सरनेम बदला जाता है। परन्तु ज्यादातर जगह जैसे गुजरात में तो शादी के पहले की सारी निशानियां मिटा देने का चलन है। भावनाबेन मोहनभाई पटेल शादी के बाद भारतीबेन हसमुखभाई कोठारी हो जाती है।
शादी के बाद खुद मायके वाले भी न ढूंढ पाएं अपनी बेटी को। शायद इसीलिए राधाजी का उनकी शादी के बाद का उल्लेख किसी पुराण में नहीं है। लेकिन मेरा उद्देश्य यहां "स्मैश दा पैट्रिआर्की" करने का नहीं है। दरअसल इस नाम वाली समस्या से एक तबका बड़ी बुरी तरह दुखी है और वो है बैंकरों का तबका।
खाते में कौनसा नाम रखें? जब नौकरी लगी थी तब शादी नहीं हुई थी इसलिए सैलरी खाता शादी के पहले वाले नाम से रखना है। लेकिन शादी के बाद नाम बदल गया तो आधार में पति डलवाना पड़ा नहीं तो प्रेगनेंसी वाले 6००० नहीं मिलेंगे।
राजस्व विभाग के लिए भी आधार वाला नाम ही जरूरी है नहीं तो खैरात के २००० नहीं मिलेंगे। अब बेचारा ये कैसे वेरिफाई करे की शादी से पहले वाली नर्मदाबेन गोपालभाई चौधरी और शादी की बाद वाली वसावा नीताबेन महेन्द्रभाई सेम है?
चलो मैरिज सर्टिफिकेट भी ले लिया लेकिन आयकर विभाग कहता है की कस्टमर का सरनेम पैन के 5th अक्षर से मैच करना चाहिए। अब क्या करें? खाते में कौनसा नाम रखें? अब उन महिला को KCC भी लेना है। लैंड रिकॉर्ड में कोई तीसरा ही नाम है। और KCC फाइल में उपर्युक्त सभी दस्तावेज भी होने चाहिए।
आपने प्रपोजल बना के भेजा। पहले तो सैंक्शनिंग अफसर ने ही फाइल पास करने से मना कर दिया क्यूंकि नाम मिसमैच है। फिर आपने कस्टमर को बुला के नोटरी से लिखवा के पचास रूपये का स्टाम्प लगवा के हलफनामा लिया। किसी तरह लोन पास हो गया। अब आयी ऑडिट। ऑडिटर ने फाइल देखी।
फिर व्यंगात्मक अंदाजमें पूछा कि भाई ये लोन हुआ किस नाम से है? आपने सहमे हुए जवाब दिया कि सर एफिडेविट लिया है। ऑडिटर कि भौहें तन गयी।"एफिडेविट कब से RBI accepted OVD हो गया?ऐसे तो मैं भी कल नोटेरी से लिखवा के ले आऊंगा कि मेरा नाम मुकेश अम्बानी है तो क्या रिलायंस मेरे नाम कर दोगे?"
(बात तो सही है)। ऑडिटर साहब आपका उतरा हुआ चेहरा देख के आपको ज्ञान देने की कोशिश करते हैं "नाम बदलवाने के लिए कोर्ट जाना पड़ता है, फिर अख़बार में नोटिस निकलवाना पड़ता है, फिर सरकारी गैजेट निकलता है, तब जाके नाम बदलता है, समझे?"
आप मन ही मन ऑडिटर को कोसते हैं "सर कभी ब्रांच में काउंटर पे बैठ के देखिये, आटे दाल का भाव पता चल जाएगा।" पर कुछ शिष्टाचार और बाकी औकात के चलते बोल नहीं पाते
सरकार को नाम महिलाओं के लिए नाम बदलने के लिए डेडिकेटेड पोर्टल बनवादेना चाहिए, ताकि इस नाम बदलने के झंझट से पतियों को और बैंकरों को निजात मिले। पर यहाँ तो खुद सरकार नाम बदलने में बिजी है। शहरों से लेकर योजनाओं का, मेट्रो स्टेशनों से लेकर पुरातन स्मारकों का सबका नाम बदला जा रहा है।
ये तो भला हो फेमिनिज़्म का कि मैं इन नाम वाले लफड़ों से बच गया। श्रीमतीजी ने शादी से पहले ही घोषणा कर दी थी "शादी के बाद मैं नाम नहीं बदलूंगी"। वैसे भी कौन आधार पैन में नाम बदलवाते फिरता।

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May 14, 2023
थ्रेड: #बेगानी_शादी
नौकरीपेशा आदमी के लिए जिंदगी की हर चीज मुसीबत की तरह ही लगती है। फलाने की शादी है। ज्यादा करीब हुआ तो छुट्टी लेनी पड़ेगी, नहीं तो ऑफिस से जल्दी निकलकर शादी में जाना पड़ेगा। अगर फैमिली रिलेशन है तो वाइफ को भी साथ ले जाना पड़ेगा।
नहीं तो कोशिश तो अकेले ही अटेंडेंस लगाने की रहती है। आठ बजे ऑफिस से छूटो, फिर शादी में जाओ। लिफाफा भी तो देना है। घर पहुँचते पहुँचते 11 बज जाते हैं। त्यौहारों का तो और भी बुरा हाल है। एक दिन की छुट्टी में क्या त्यौहार मनाये आदमी।
दिवाली पे अक्सर एक दिन की छुट्टी आती है। कई जगह दो दिन की और कई जगह तो कोई छुट्टी ही नहीं। एक दिन की छुट्टी में क्या दिवाली मनाये आदमी?
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Feb 5, 2023
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Feb 5, 2023
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Nov 26, 2022
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तो हुआ यूं कि पिछले महीने हमारी मोबाइल फ़ोन की एलिजिबिलिटी रिन्यू हुई। और हमारा फ़ोन भी काफी पुराना हो चुका था। छः साल से एक ही फ़ोन को चला रहे थे। हमारे फ़ोन को लोग ऐसे नजरों से देखते थे
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Nov 8, 2022
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नोटबंदी जैसी तुग़लकी स्कीम जिससे सिर्फ एक पार्टी और चंद पूंजीपतियों को हुआ, लेकिन पूरा देश एक एक पैसे के लिए तरस गया, धंधे बर्बाद हो गए, बैंकरों ने अपनी जान खपा दी, दिन रात पत्थरबाजी झेली, रोज गालियां खाई,
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जब नोटबंदी फेल हुई थी तो बड़ी बेशर्मी से इन लोगों ने नोटबंदी की विफलता का ठीकरा बैंकों के माथे फोड़ दिया।
"अजी वो तो बैंक वाले ही भ्रष्ट हैं वरना जिल्लेइलाही ने तो ऐसे स्कीम चलाई थी कि देश से अपराध ख़त्म ही हो जाना था।"
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Nov 7, 2022
थ्रेड: #ड्यू_डिलिजेंस
बैंक में ड्यू डिलिजेंस बहुत जरूरी चीज है। बिना ड्यू डिलिजेंस के हम लोन देना तो दूर की बात है कस्टमर का करंट खाता तक नहीं खोलते।
लोन देने से पहले पचास सवाल पूछते हैं। पुराना रिकॉर्ड चेक करते हैं। चेक बाउंस हिस्ट्री चेक करते हैं।

#12thBPS
#7thDayPastDue
और लोन देने के बाद भी उसकी जान नहीं छोड़ते। किसी कस्टमर के खाते में अगर एक महीने किश्त ना आये तो उसकी CIBIL खराब हो जाती है। और तीन महीने किश्त न आये तो खाता ही NPA हो जाता है और फिर उसे कोई लोन नहीं देता।
#12thBPS
अगर डॉक्यूमेंट देने में या और कोई कम्प्लाइंस में ढील बरते तो बैंक पीनल इंटरेस्ट चार्ज भी करते हैं। लेकिन बैंकों का ये ड्यू डिलिजेंस केवल कस्टमर के लिए ही है। पिछले 56 सालों से बैंकरों का अपना रीपेमेंट टाइम पर नहीं आ रहा। हर पांच साल में बैंकरों का वेज रिवीजन ड्यू हो जाता है।
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