क्या वे इस मिट्टी के नही हैं??
क्या उनका बढ़ना देश के विकास का प्रतीक नहीं है??
एंकर बुक्के फाड़कर जनता से पूछ रहा था। सवाल जायज है..🙄
1/13
यह भी जायज बात है कि इनका व्यापार कोई आज का खड़ा नहीं है अपने बीस पचास सालों के बिजनेस के बाद इस मकाम पर पहुंचे हैं।
मगर अम्बाडॉनी प्रतीक बन गए हैं।
मोनोपॉली के !!!
..2/13
अथॉरिटी, कंट्रोल, मोनोपॉली, एकछत्र राज। इसके नीचे विभाजित, कमजोर, प्रश्नविहीन, एड़ियां घिसता, दया का आकांक्षी, रोबोटिक नागरिक समाज।
यह सत्ता में काबिज लोगों के गैंग की, भावी भारत की रूपरेखा है।
..3/13
वर्तमान रेजीम, जिसे आपने चुना है, वह पुरानी व्यवस्था और बनाये जाने नए समाज के बीच की, कनेक्टिंग लिंक है। एक ट्रांजिशन की फेज है।
तो इस दौर में धीमे धीमे मोनोपॉली कायम करते जाना है। फोर्स और कंसेंट दोनों तरीकों से। लीगल और इल्लीगल, दोनों विधाओं से।
..4/13
इस मोनोपॉली की शुरुआत सन्सद और मीडिया में देखी जा चुकी है।
इसके आगे बाजार पर नियंत्रण अनिवार्य है।
बाजार में मुक्त रूप से बिक रहे भोजन-पानी, आवाजाही, मनोरंजन,वित्त और सूचना पर एब्सॉल्युट कंट्रोल!
..5/13
नियंत्रण के यह सूत्र, खुले बाजार में हजारों हाथों में बंटे हुए थे। ये महज नागरिक सेवाएं थीं। सेवा जो बाजार में बेहतर देता, उसे ग्राहक मिलते।
अपने इतिहास में अम्बानी-अडानी किसी भी सेवा या उत्पाद में शीर्षस्थ ब्रांड नही रहे। मगर रेजीम बदलने के साथ, इन्हें चिन्हित कर लिया गया।
6/13
इसलिए कि गहरी जेबों और पूर्व उपलब्ध पैसे के साथ असीमित लालच और रीढ़ विहीनता इन्हें आदर्श फ्रंट मैन बनाती है।
बाजार पर सरकार की अप्रत्यक्ष मोनोपॉली का फ्रंट मैन...इनका कब्जा, इनका नहीं है। सरकार का है! गद्दी पर बैठे गैंग का है।
..7/13
पलट कर देखिये। पिछले सात साल में इन्होंने हर उस क्षेत्र में कब्जा किया है, जो इनकी कोर कपैसिटी का क्षेत्र नहीं था।
इनके व्यापारिक विजन प्लान में नहीं था। इन्होंने कब्जा किया, मोदी सरकार की शह पर!
..8/13
हर विकल्प हर कम्पटीटर को सुखाकर, वह सरकारी हो या प्राइवेट, उसे घायल कर, कमजोर कर- इनके सामने डाला गया। ताकि ये हजम कर सकें।
100 हाथों में बिखरा सेक्टर, वह सेवा, वह ताकत, एक या दो हाथ मे सीमित कर दी गयी।
यहां से अब नियंत्रण आसान है।
..9/13
किसी क्षेत्र, समुदाय, चिन्हित लोगो को आपूर्ति रोकना, आंशिक सेवा देना, मजबूर करना, पुरुस्कृत करना।
इसके लिए आदेश, अधिनियम, तन्त्र, व्यवस्था, न्यायालय, मानवाधिकार का कोई बंधन नहीं।
बस, भौहों का इशारा काफी होगा।
..10/13
बैंकों की संख्या आधी हो गयी।
पेट्रोलियम, टेलीकॉम, पावर, इंफ्रास्ट्रक्चर, रियलिटी, खदान, मीडीया- हर जगह ताकत चंद कम्पनियों में सिमट रही है।
यह अम्बाडॉनी फिनोमिना है।
ट्रांजिशन फेज.. एकछत्रता की ओर!!
सिरा पलटिये, समझिये!
..11/13
आज की मोदी सरकार अम्बाडॉनी के लिए काम नहीं कर रही।
ये दोनों भविष्य की सरकार के लिए काम कर रहे हैं।
एक नई सोसायटी, एक नया समाज, एक नया भारत बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
यह भयावह भारत होगा!!
..12/13
इसमें लाभार्थी वो खुद होंगे, उनके बच्चे होंगे, उनका एंकर भी होगा। आपकी कीमत पर!
इसलिए हे एंकर महोदय, अम्बानी और अडानी हिंदुस्तानी हैं जनाब! मगर जगत सेठ और जयचंद की परंपरा के!! 🙏🤦♂️
..13/13
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कोविड-19 का टीका उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा गठित सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा उत्पादन की गयी कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल देने की सिफारिश कर दी है!
..1/12
मेरा प्रश्न बहुत सीधा सा है -
आखिर इस एक्सपर्ट कमेटी में कितने मेम्बर हैं?
इसमें से कितने पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट हैं?
कौन वायरोलॉजिस्ट है?
कौन महामारी विशेषज्ञ है?
कौन सांख्यिकीविद है?
कौन बायोटेक्नोलॉजी का एक्सपर्ट है?
इस कमेटी में इंडिपेंडेंट मेम्बर कितने हैं?
..2/12
अभी तक जो हमें मालूम चला है कि इस एक्सपर्ट कमेटी में नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल अध्यक्ष हैं .....
VK पॉल न तो पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट हैं न वायरोलॉजिस्ट न ही महामारी विशेषज्ञ हैं न वह बायोटेक्नोलॉजी से जुड़े हैं बस बाल रोग विशेषज्ञ हैं !
..3/12
इसलिए नहीं कि आज की तारीख चालू साल की आखिरी तारीख है और जिसे फिर दोहराया नहीं जा सकेगा, इसलिए भी नहीं क्योंकि, कुछ लोगों की राय में न तो यह जाने वाला और न ही आने वाला साल ‘हमारा’ है, लिहाजा हमे कुछ और सोचना चाहिए।
..1/19
मान लिया, लेकिन एक साल के रूप में किसी कालखंड की धार्मिक बुनियाद में पड़े बगैर यह जायजा लेना इसलिए मजेदार है कि भई बीते साल को क्या नाम दें और कल से दस्तक देने वाले आगत साल के लिए मन में किस तरह का स्पेस बनाएं ?
..2/19
चूंकि हम भारतीयों की सोच ज्यादातर मामलों में पारंपरिक होती है, इसलिए चीजों को नई नजर से देखना, समझना उसे पारिभाषित करना हमे बेकार का शगल लगता है। यूं कहने को इस बार भी तमाम लोग निवर्तमान वर्ष की शास्त्रीय समीक्षा में जुटे हैं।
..3/19
BJP/NDA 2014- हम 12 महीनों के अंदर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों (COP2+50% फॉर्मूले के साथ) को लागू करेंगे।
BJP/NDA 2015- कोर्ट में शपथ पत्र दे कर कहा कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करके COP2+50% फॉर्मूले के साथ मूल्य देना संभव/व्यवहारिक नहीं है।
1/9
BJP/NDA 2016- राधा मोहन सिंह (तब के कृषि मंत्री) "हमने कभी ऐसा वादा नहीं किया"।
BJP/NDA 2017- स्वामीनाथन आयोग को छोड़ो। आप मध्यप्रदेश के शिवराज चौहान के मॉडल को देखिये, वो स्वामीनाथन आयोग से कहीं बेहतर है।
2/9
BJP/NDA 2018- 19- अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण (फिनानशियल बिल स्पीच, पेज नम्बर 13 और 14) में कहा कि हमने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू कर दी हैं।
अब इस दावे का खेल देखिये; "महान" अर्थशास्त्री अरुण जेटली जी ने COP (Cost of Production) की परिभाषा में ही हेर फेर कर दिया।
3/9
मान लीजिए, मेरा बैंक लोन 336₹ है..
- मेरे पास 175₹ बैंक में कैश है
- और 168₹ मुझे कहीं और से मिल गए
तो मेरा टोटल कैश है 343₹ और लोन 336₹
अब मैं अपने बैंक गया और मैनेजर को बोला : मैनेजर साहब, बैंक ने मुझे दिए 336₹ और मेरे पास हैं 343₹..
तो मैं Net Debt Free हो गया..😇
1/5
अब बोलो बैंक का लोन खत्म हुआ या नहीं?
बैंक मैनेजर 5 सेकंड मुझे देखेगा और मेरे पिछवाड़े पर 343 लात मार कर बोलेगा कि बैंक के 336₹ चुका..!
बैंक का (लोन) खड़ा है और बाबा तू लोन फ्री बोलता है..!! 😅😅
2/5
अब सुनिए...
- रिलायंस पर कर्ज है 3.36 लाख करोड़
- रिलायंस के पास कैश है 1.75 लाख करोड़
- शेयर बेच कर मिले 1.68 लाख करोड़
रिलायंस का टोटल कैश हुआ 3.43 लाख करोड़ और 3.36 लाख करोड़ बैंक लोन..!!
3/5
ईश्वर को केवल संस्कृत, अल्लाह को केवल अरबी, जीसस को केवल हिब्रू ग्रीक भाषा आती थी वरना वेद, कुरान और बाइबल अलग अलग नहीं होते! 🤦♂️
इसी से जाहिर है सारे धर्मग्रन्थ मानव निर्मित हैं, ईश्वर, परमेश्वर, भगवान, गॉड, अल्लाह या जो भी नाम आप देना चाहें वो केवल भाषा का एक शब्द है।
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वो भाषा जो मानव ने विकसित की है। इसका किसी अलौकिक शक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं।
सारे मंदिर मस्जिद गिरजाघर मानव निर्मित हैं, उनके अंदर रखी पत्थर की मूर्तियां और मान्यताएं भी मानव निर्मित रचना हैं।
..2/8
बिना प्रत्यक्ष प्रमाण के अगर मानना हो कि कोई ऐसी अलौकिक शक्ति है जिसने सारे ग्रह नक्षत्र चांद तारे और इस संसार को बनाया है और चला रहा है तो वो आप मैं कोई भी ये दावा कर सकता है, क्योंकि उसे व्यवहारिक तौर पर प्रमाणित नहीं करना है।
..3/8