बात 1880 के अक्टूबर नवम्बर की है बनारस की एक रामलीला मण्डली रामलीला खेलने तुलसी गांव आयी हुई थी..मण्डली में 22-24 कलाकार थे जो गांव के ही एक आदमी के यहाँ रुके थे वहीं सभी कलाकार रिहर्सल करते और खाना बनाते खाते थे. @khusboomishra1 @ITI09604807
👇
पण्डित कृपाराम दूबे उस रामलीला मण्डली के निर्देशक थे और हारमोनियम पर बैठ के मंच संचालन करते थे और फौजदार शर्मा साज-सज्जा और राम लीला से जुड़ी अन्य व्यवस्था देखते थे...एक दिन पूरी मण्डली बैठी थी और रिहर्सल चल रहा था तभी पण्डित कृपाराम दूबे ने फौजदार से कहा इस बार वो शिव धनुष
👇
हल्की और नरम लकड़ी की बनवाएं ताकि राम का पात्र निभा रहे 17 साल के युवक को परेशानी न हो पिछली बार धनुष तोड़ने में समय लग गया था...
इस बात पर फौजदार कुपित हो गया क्योंकि लीला की साज सज्जा और अन्य व्यवस्था वही देखता था और पिछला धनुष भी वही बनवाया था... इस बात को लेकर पण्डित जी
👇
और फौजदार में से कहा सुनी हो गया, फौजदार पण्डित जी से काफी नाराज था और पंडित जी से बदला लेने को सोच लिया था ...संयोग से अगले दिन सीता स्वयंवर और शिव धनुष भंग का मंचन होना था...फौजदार मण्डली जिसके घर रुकी थी उनके घर गया और कहा रामलीला में लोहे के एक छड़ की जरूरत आन पड़ी है
👇
दे दीजिए..... गृहस्वामी ने उसे एक बड़ा और मोटा लोहे का छड़ दे दिया छड़ लेके फौजदार दूसरे गांव के लोहार के पास गया और उसे धनुष का आकार दिलवा लाया। रास्ते में उसने धनुष पर कपड़ा लपेट कर और रंगीन कागज से सजा के गांव के एक आदमी के घर रख आया...
रात में रामलीला शुरू हुआ तो फौजदार ने
👇
चुपके धनुष बदल दिया और लोहे वाला धनुष ले जा के मंच के आगे रख दिया और खुद पर्दे के पीछे जाके तमाशा देखने के लिए खड़ा हो गया...रामलीला शुरू हुआ पण्डित जी हारमोनियम पर राम चरणों में भाव विभोर होकर रामचरित मानस के दोहे का पाठ कर रहे थे
हजारों की संख्या में दर्शक शिव धनुष भंग देखने
👇
के लिए मूर्तिवत बैठे थे..रामलीला धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था सारे राजाओं के बाद राम जी गुरु से आज्ञा लेके धनुष भंग को आगे बढ़े..पास जाके उन्होंने जब धनुष को हाथ लगाया तो धनुष उससे उठी ही नही कलाकार को सत्यता का आभास हो गया गया उस 17 वर्षीय कलाकार ने पंडित कृपाराम दूबे की तरफ कतार
👇
दृष्टि से देखा तो पण्डित जी समझ गए कि दाल में कुछ काला है...उन्होंने सोचा कि आज इज्जत चली जायेगी हजारों लोगों के सामने और ये कलाकार की नहीं स्वयं प्रभु राम की इज्जत दांव पर लगने वाली है..पंडित जी ने कलाकार को आंखों से रुकने और धनुष की प्रदक्षिणा करने का संकेत किया और स्वयं को
👇
मर्यादा पुरुषोत्तम के चरणों में समर्पित करते हुए आंखे बंद करके उंगलियां हारमोनियम पर रख दी और राम जी की स्तुति करनी शुरू...
जिन लोगों ने ये लीला अपनी आँखों से देखी थी बाद में उन्होंने बताया कि इस इशारे के बाद जैसे पंडित जी ने आंख बंद करके हारमोनियम पर हाथ रखा हारमोनियम से उसी
👇
पल दिव्य सुर निकलने लगे वैसा वादन करते हुए किसी ने पंडित जी को कभी नहीं देखा था...सारे दर्शक मूर्तिवत हो गए...नगाडे से निकलने वाली परम्परागत आवाज भीषण दुंदभी में बदल गयी..पेट्रोमेक्स की धीमी रोशनी बढ़ने लगी आसमान में बिन बादल बिजली कौंधने लगी और पूरा पंडाल अद्भुत आकाशीय प्रकाश
👇
से रह रह के प्रकाशमान हो रहा था...दर्शकों के कुछ समझ में नही आ रहा था कि क्या हो रहा और क्यों हो रहा....पण्डित जी खुद को राम चरणों मे आत्मार्पित कर चुके थे और जैसे ही उन्होंने चौपाई कहा---
लेत चढ़ावत खैंचत गाढ़ें। काहुँ न लखा देख सबु ठाढ़ें॥
तेहि छन राम मध्य धनु तोरा। भरे भुवन
👇
धुनि घोर कठोरा॥
पण्डित जी के चौपाई पढ़ते ही आसमान में भीषण बिजली कड़की और मंच पर रखे लोहे के धनुष को कलाकार ने दो भागों में तोड़ दिया.
लोग बताते हैं हैं कि ये सब कैसे हुआ और कब हुआ किसी ने कुछ नही देखा सब एक पल में हो गया..धनुष टूटने के बाद सब स्थिति अगले ही पल सामान्य हो गयी
👇
पण्डित जी मंच के बीच गए और टूटे धनुष और कलाकार के सन्मुख दण्डवत हो गए.... लोग शिव धनुष भंग पर जय श्री राम का उद्घोषणा कर रहे थे और पण्डित जी की आंखों से श्रद्धा के आँसू निकल रहे थे..
...राम "सबके" है एक बार "राम का" होकर तो देखिए.....जय श्री राम💞💓🚩🙏🏹🚩
• • •
Missing some Tweet in this thread? You can try to
force a refresh
*गर्व कीजिए कि आप भारत में जन्मे हैं।*
*बात है कोरोना वैक्सीन की।*
स्मरण कीजिए, छह महिने पहले "दी ऐंड न्यूज" पोर्टल दो अलग-अलग आलेखों में चेताया था। 'देश विरोधी तत्व वैक्सीन पर अधमतम राजनीति करेंगे'। यह भी कहा था कि *भारत समस्त संसार में सबसे कम मृत्यु दर @khusboomishra1
👇
वाले देश के रूप में उभरेगा और यहां के फार्मा सैक्टर का लोहा पूरा संसार मानेगा।
तो देखिए यह सब हो गया है।
भारत की सबसे आगे निकलने की हठ दूर से ही दिखाई दे रही थी।*
यह अपेक्षित था कि अपनी वैक्सीन आएगी तो विदेशी शक्तियों के भाडे पर पल रहे समूह अपना आपा खो बैठेंगे। @ITI09604807
👇
अपने देश में बनी वैक्सीन को विश्व व्यापी पहचान और स्वीकृति कैसे मिल गयी?
भारत पूरी तरह स्वदेशी वैक्सीन बनाने वाला विश्व में दूसरा देश कैसे बन गया ??
भारत की वैक्सीन का लेवल 3 का ट्रायल संसार में सबसे बड़े सैंपल साइज़ में कैसे हो रहा है ???
यह वैक्सीन 100% स्वदेशी होकर भी किसी
👇
क्या आप इस महापुरुष को जानते हैं....
उन्हें किसी भी दिन शहर के अन्नपूर्णा होटल में पच्चीस रुपए की थाली का खाना खाते हुए देखा जा सकता है। इसके साथ ही वह आज भी बीएचयू में अपनी चिकित्सा सेवा निःशुल्क जारी रखे हुए हैं। डॉ लहरी को आज भी एक हाथ में बैग, दूसरे में काली छतरी लिए हुए
👇
पैदल घर या बीएचयू हास्पिटल की ओर जाते हुए देखा जा सकता है.
लोगों का निःशुल्क इलाज करने वाले बीएचयू के जाने-माने कार्डियोथोरेसिक सर्जन पद्म श्री डॉ. टी.के. लहरी (डॉ तपन कुमार लहरी) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके घर पर जाकर मिलने से इनकार कर दिया है. योगी
👇
को वाराणसी की जिन प्रमुख हस्तियों से मुलाकात करनी थी, उनमें एक नाम डॉ टीके लहरी का भी था। मुलाकात कराने के लिए अपने घर पहुंचने वाले अफसरों से डॉ लहरी ने कहा कि मुख्यमंत्री को मिलना है तो वह मेरे ओपीडी में मिलें.
इसके बाद उनसे मुलाकात का सीएम का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया।
👇
भारत के बारे में रोचक तथ्य
1-भारत ने अपने 10 हजार साल के इतिहास में किसी देश पर पहले हमला नही किया, जबकि यह हथियारों का सबसे बड़ा आयातक है।
2-भारत अकेला ऐसा देश है जहाँ किसी भी चीज पर उसका M.R.P लिखा होता है।
3-भारतीय रेल, कर्मचारियों की संख्या के हिसाब से संसार की सबसे बड़ी
👇
संस्था है जिसमें लगभग 16 लाख से भी अधिक कर्मचारी काम करते है, जो कई देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा है।
4-‘श्रीकांत जिचकार’ भारत के सबसे पढ़े लिखे व्यक्ति है। इनके पास IAS, IPS, वकील, डॉक्टर समेत 20 डिग्री थी, 25 साल की उम्र में ये MLA भी बने। 2004 में इनका देहांत हो गया।
👇
कमल का फूल भारत के साथ-साथ वियतनाम का भी राष्ट्रीय फूल है।
भारत में लगने वाले कुम्भ के मेले में 10 करोड़ से अधिक लोग आए थे, जो एक जगह एकत्रित हुई आज तक की सबसे अधिक जनसंख्या है। यह भीड़ इतनी ज्यादा थी कि अंतरिक्ष से भी दिखाई दे रही थी।
भारत के केरल राज्य के ‘Kodinhi’ गांव में
👇
दिल्ली पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है
कितनी भी बातचीत कर लो
कितना भी समझा लो,इनमें नकली किसान नेताओं की जायज़ नाज़ायज़ मांगे भी मान लो।
फिर भी हिंसा तो हो कर ही रहेगी,सारी तैयारी और फंडिंग हिंसा के लिए हो रही है।
दिल्ली दंगे की तरह गोली भी खुद ही चलाएंगे और जान
भी अपनों की लेंगे, विपक्ष को किसी भी कीमत पर मोदीजी को किसान विरोधी सिद्ध करना है। इसलिए एक बार फिर से ये सारे गिद्ध इकट्ठे हैं, इन्हें लाशें गिरने का इंतज़ार है।
*इनमें कांग्रेस है, आप है, अकाली दल है, वामपंथी है, योगेंद्र यादव है, JNU गैंग है, अमानतुल्ला खान है,
👇
खालिस्तानी हैं, रावण है, पप्पू यादव है, शहीनबाग वाली दिहाड़ी की दादी है, इनमें बहुत से सिखों का वेश धरे मुसलमान हैं,* हाथरस वाली नक्सली भाभी है तलवारें है डंडे हैं बंदूकें भी होंगी अभी पता नही है किरपाण है बरछा है
*इनके पास मोटे गद्दे हैं, झक सफ़ेद रजाइयां और ढेरों
👇
राजपूतों को 'कायर' बताने की 'मुहिम' का शिकार हैं तो यह पढ़िए
पद्मावती फ़िल्म की आड़ में राजपूत राजाओं पर प्रश्न खड़ा करने और उन्हें कायर कहने वाले बुद्धिजीवी कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं।
पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूँ, पद्मावती
फ़िल्म की आड़ में राजपूत राजाओं पर प्रश्न खड़ा करने और उन्हें कायर कहने वाले बुद्धिजीवी कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं। अद्भुत-अद्भुत प्रश्न गढ़े जा रहे हैं। राजपूत वीर थे तो हार क्यों जाते थे? राणा रतन सिंह योद्धा थे तो उनकी पत्नी को आग लगा कर क्यों जलना पड़ गया?
स्वघोषित इतिहासकार यहां तक कह रहे हैं कि सल्तनत काल के राजपूत शासक इतने अकर्मण्य और कायर थे कि मुस्लिमों का प्रतिरोध तक नहीं कर सके। सोचता हूँ, क्या यह देश सचमुच इतना कृतघ्न है कि राजपूतों को कायर कह दे?
सन् 726 ई. से 1857 ई. तक सैकड़ों नहीं हजारो बार, सामने हार
#क्षत्रिय_राजपूतों_के_रीतिरिवाज_की_जानकारी
जैसे :-- (1) #ठाकुर की उपाधि अपने नाम के आगे सिर्फ उस दशा में आप लगा सकते हैं जब आप के बाबा जी और पिता जी जीवित ना हों और आप अपने घर के मुखिया हों। (2) #कुंवर की उपाधि अपने नाम के आगे आप सिर्फ उस दशा में लगा सकते हैं जब आप के पिता तो
👇
जीवित हों पर दादा नहीं हों। (3) #भँवर की उपाधि अपने नाम के आगे आप उस दशा में लगाते हैं जब आप के बाबा जी और पिता जी दोनों जीवित हों। (4) #टँवर की उपाधि अपने नाम के आगे आप उस दशा में लगते हैं जब आप के परदादा जीवित हों। (5) अगर आप के पिता जी /दादाजी /बाबाजी अभी बिराज रहे है तो
👇
कोई भी शादी ,फंक्शन, मंदिर आदि में आप के कभी भी लम्बा तिलक और चावल नहीं लगेगा सिर्फ एक छोटा गोल टिका लगेगा। (6) जब सिर पर साफा बंधा होता है तो तिलक करते समय पीछे हाथ नही रखा जाता हां सर के पीछे हाथ तभी रखते है जब आप नंगे सर हों। (7) पिता का पहना हुआ साफा आप नहीं पहन सकते।
👇