राजपूतों को 'कायर' बताने की 'मुहिम' का शिकार हैं तो यह पढ़िए
पद्मावती फ़िल्म की आड़ में राजपूत राजाओं पर प्रश्न खड़ा करने और उन्हें कायर कहने वाले बुद्धिजीवी कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं।
पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूँ, पद्मावती
फ़िल्म की आड़ में राजपूत राजाओं पर प्रश्न खड़ा करने और उन्हें कायर कहने वाले बुद्धिजीवी कुकुरमुत्ते की तरह उग आए हैं। अद्भुत-अद्भुत प्रश्न गढ़े जा रहे हैं। राजपूत वीर थे तो हार क्यों जाते थे? राणा रतन सिंह योद्धा थे तो उनकी पत्नी को आग लगा कर क्यों जलना पड़ गया?
स्वघोषित इतिहासकार यहां तक कह रहे हैं कि सल्तनत काल के राजपूत शासक इतने अकर्मण्य और कायर थे कि मुस्लिमों का प्रतिरोध तक नहीं कर सके। सोचता हूँ, क्या यह देश सचमुच इतना कृतघ्न है कि राजपूतों को कायर कह दे?
सन् 726 ई. से 1857 ई. तक सैकड़ों नहीं हजारो बार, सामने हार
देखने के बाद भी लाखों की संख्या में मैदान में उतर कर शीश चढ़ाने वाले राजपूतों पर यदि हम प्रश्न खड़ा करें, तो हमें स्वयं सोचना होगा कि हम कितने नीचे गिर चुके हैं। आप कहते हैं वे हारे क्यों?
श्रीमान, शिकारी और शेर के युद्ध मे शिकारी लगातार जीतता रहा है, तो क्या इससे
शेर कायर सिद्ध हो गया? नहीं श्रीमान! शेर यौद्धा होता है, और शिकारी क्रूर। राजपूत यौद्धा थे, और अरबी आक्रमणकारी क्रूर पशु। राजपूतों के अंदर मनुष्यता थी, तुर्कों के अंदर रक्त पीने ही हवस। वहशी कुत्ते तो बड़े-बड़े बैलों को काट लेते हैं, तो क्या बैल शक्तिहीन सिद्ध हो गए?
और यदि सच मे आपको लगता है कि तुर्कों, अरबों के सामने राजपूत बिल्कुल भी प्रभावी नहीं रहे, तो आप दुनिया की अन्य प्राचीन सभ्यताओं की ओर निगाह फेरिये, और खोजिए कि मिस्र के फराओ के वंसज कहाँ हैं? ढूंढिए कि मेसोपोटामिया की सभ्यता क्या हुई। पता लगाइए कि ईरान के सूर्यपूजक
आर्य अब क्या कर रहे हैं।
श्रीमान्! इस्लाम का झंडा ले कर अरब और तुर्क जहां भी गए, वहां की सभ्यता को चबा गए। वो राजपूत ही थे, जिनके कारण भारत बचा हुआ है। उन्होंने अपने सिरों से तौल कर इस मिट्टी को खरीदा नहीं होता, तो आप अपने घर में बैठ कर बुद्धिजीविता नहीं बघारते, बल्कि
दाढ़ी बढ़ा कर यह तय कर रहे होते कि शौहर का अपनी बीवी को कितने कोड़े मारना जायज है।
आज एक अदना-सा पाकिस्तान जब आपके सैनिकों का सर काटता है, तो आप बौखला कर घर में बैठे-बैठे उसको गाली देते और अपनी सरकार को कोसते रह जाते हैं। तनिक सोचिये तो, भारतीय राजाओं से मजबूत सैन्य
उपकरण(बारूद और तोप वही ले कर आये थे), अपेक्षाकृत अधिक मजबूत और तेज घोड़े, और ध्वस्त कर देने का इरादा ले कर आने वालों के सामने वे सैकड़ों बार गए और शीश कटने तक लड़ते रहे, इसके बाद भी जब आप उन पर प्रश्न खड़ा करें तो क्या साबित होते हैं आप?
आपको जौहर अतार्किक लगता है तो यह आपकी
दिक्कत है भाईजान, पर अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए आग में जल जाने वाली देवियों के ऊपर प्रश्न खड़ा करने का सामर्थ्य नहीं है आप में, आप तो 40 डिग्री तापमान पर ही बिजली के लिए सरकार को गाली देने वाले लोग हैं। भाई जान, जलती आग में कूद जाने के लिए मर्द का नहीं, स्त्री का कलेजा
चाहिए, और हार दिखा रहे युद्ध में भी कूद कर शीश कटा लेने के लिए राजपूत का कलेजा।
दूसरों की छोड़िये, जिन चंद राजपूत राजाओं को हम और आप मुगलों का समर्थन करने के कारण गाली देते और गद्दार कहते हैं, उनके पुरुखों ने भी बीसों बार इस राष्ट्र के लिए सर कटाया था। आज भी किसी राजपूत लड़के
के खानदान का पता कीजिये, मात्र तीन से चार पीढ़ी पहले ही उसके घर में कोई न कोई बलिदानी मिल जाएगा। घर मे बैठ कर तो किसी पर भी उंगली उठाई जा सकती है बन्धु, पर राजपूत होना इस दुनिया का सबसे कठिन काम है।
कलेजे के खून से आसमान का अभिषेक करने का नाम है राजपूत होना।तोप के गोले को अपनी
छाती से रोकने के साहस का नाम है राजपूत। आप जिस स्थान पर रहते हैं न, पता कीजियेगा उस जगह के लिए भी सौ पचास राजपूतों ने अपना शीश कटाया होगा। छोड़ दो डार्लिंग, तुमसे न हो पायेगा।
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*गर्व कीजिए कि आप भारत में जन्मे हैं।*
*बात है कोरोना वैक्सीन की।*
स्मरण कीजिए, छह महिने पहले "दी ऐंड न्यूज" पोर्टल दो अलग-अलग आलेखों में चेताया था। 'देश विरोधी तत्व वैक्सीन पर अधमतम राजनीति करेंगे'। यह भी कहा था कि *भारत समस्त संसार में सबसे कम मृत्यु दर @khusboomishra1
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वाले देश के रूप में उभरेगा और यहां के फार्मा सैक्टर का लोहा पूरा संसार मानेगा।
तो देखिए यह सब हो गया है।
भारत की सबसे आगे निकलने की हठ दूर से ही दिखाई दे रही थी।*
यह अपेक्षित था कि अपनी वैक्सीन आएगी तो विदेशी शक्तियों के भाडे पर पल रहे समूह अपना आपा खो बैठेंगे। @ITI09604807
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अपने देश में बनी वैक्सीन को विश्व व्यापी पहचान और स्वीकृति कैसे मिल गयी?
भारत पूरी तरह स्वदेशी वैक्सीन बनाने वाला विश्व में दूसरा देश कैसे बन गया ??
भारत की वैक्सीन का लेवल 3 का ट्रायल संसार में सबसे बड़े सैंपल साइज़ में कैसे हो रहा है ???
यह वैक्सीन 100% स्वदेशी होकर भी किसी
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क्या आप इस महापुरुष को जानते हैं....
उन्हें किसी भी दिन शहर के अन्नपूर्णा होटल में पच्चीस रुपए की थाली का खाना खाते हुए देखा जा सकता है। इसके साथ ही वह आज भी बीएचयू में अपनी चिकित्सा सेवा निःशुल्क जारी रखे हुए हैं। डॉ लहरी को आज भी एक हाथ में बैग, दूसरे में काली छतरी लिए हुए
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पैदल घर या बीएचयू हास्पिटल की ओर जाते हुए देखा जा सकता है.
लोगों का निःशुल्क इलाज करने वाले बीएचयू के जाने-माने कार्डियोथोरेसिक सर्जन पद्म श्री डॉ. टी.के. लहरी (डॉ तपन कुमार लहरी) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके घर पर जाकर मिलने से इनकार कर दिया है. योगी
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को वाराणसी की जिन प्रमुख हस्तियों से मुलाकात करनी थी, उनमें एक नाम डॉ टीके लहरी का भी था। मुलाकात कराने के लिए अपने घर पहुंचने वाले अफसरों से डॉ लहरी ने कहा कि मुख्यमंत्री को मिलना है तो वह मेरे ओपीडी में मिलें.
इसके बाद उनसे मुलाकात का सीएम का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया।
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भारत के बारे में रोचक तथ्य
1-भारत ने अपने 10 हजार साल के इतिहास में किसी देश पर पहले हमला नही किया, जबकि यह हथियारों का सबसे बड़ा आयातक है।
2-भारत अकेला ऐसा देश है जहाँ किसी भी चीज पर उसका M.R.P लिखा होता है।
3-भारतीय रेल, कर्मचारियों की संख्या के हिसाब से संसार की सबसे बड़ी
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संस्था है जिसमें लगभग 16 लाख से भी अधिक कर्मचारी काम करते है, जो कई देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा है।
4-‘श्रीकांत जिचकार’ भारत के सबसे पढ़े लिखे व्यक्ति है। इनके पास IAS, IPS, वकील, डॉक्टर समेत 20 डिग्री थी, 25 साल की उम्र में ये MLA भी बने। 2004 में इनका देहांत हो गया।
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कमल का फूल भारत के साथ-साथ वियतनाम का भी राष्ट्रीय फूल है।
भारत में लगने वाले कुम्भ के मेले में 10 करोड़ से अधिक लोग आए थे, जो एक जगह एकत्रित हुई आज तक की सबसे अधिक जनसंख्या है। यह भीड़ इतनी ज्यादा थी कि अंतरिक्ष से भी दिखाई दे रही थी।
भारत के केरल राज्य के ‘Kodinhi’ गांव में
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दिल्ली पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है
कितनी भी बातचीत कर लो
कितना भी समझा लो,इनमें नकली किसान नेताओं की जायज़ नाज़ायज़ मांगे भी मान लो।
फिर भी हिंसा तो हो कर ही रहेगी,सारी तैयारी और फंडिंग हिंसा के लिए हो रही है।
दिल्ली दंगे की तरह गोली भी खुद ही चलाएंगे और जान
भी अपनों की लेंगे, विपक्ष को किसी भी कीमत पर मोदीजी को किसान विरोधी सिद्ध करना है। इसलिए एक बार फिर से ये सारे गिद्ध इकट्ठे हैं, इन्हें लाशें गिरने का इंतज़ार है।
*इनमें कांग्रेस है, आप है, अकाली दल है, वामपंथी है, योगेंद्र यादव है, JNU गैंग है, अमानतुल्ला खान है,
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खालिस्तानी हैं, रावण है, पप्पू यादव है, शहीनबाग वाली दिहाड़ी की दादी है, इनमें बहुत से सिखों का वेश धरे मुसलमान हैं,* हाथरस वाली नक्सली भाभी है तलवारें है डंडे हैं बंदूकें भी होंगी अभी पता नही है किरपाण है बरछा है
*इनके पास मोटे गद्दे हैं, झक सफ़ेद रजाइयां और ढेरों
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#क्षत्रिय_राजपूतों_के_रीतिरिवाज_की_जानकारी
जैसे :-- (1) #ठाकुर की उपाधि अपने नाम के आगे सिर्फ उस दशा में आप लगा सकते हैं जब आप के बाबा जी और पिता जी जीवित ना हों और आप अपने घर के मुखिया हों। (2) #कुंवर की उपाधि अपने नाम के आगे आप सिर्फ उस दशा में लगा सकते हैं जब आप के पिता तो
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जीवित हों पर दादा नहीं हों। (3) #भँवर की उपाधि अपने नाम के आगे आप उस दशा में लगाते हैं जब आप के बाबा जी और पिता जी दोनों जीवित हों। (4) #टँवर की उपाधि अपने नाम के आगे आप उस दशा में लगते हैं जब आप के परदादा जीवित हों। (5) अगर आप के पिता जी /दादाजी /बाबाजी अभी बिराज रहे है तो
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कोई भी शादी ,फंक्शन, मंदिर आदि में आप के कभी भी लम्बा तिलक और चावल नहीं लगेगा सिर्फ एक छोटा गोल टिका लगेगा। (6) जब सिर पर साफा बंधा होता है तो तिलक करते समय पीछे हाथ नही रखा जाता हां सर के पीछे हाथ तभी रखते है जब आप नंगे सर हों। (7) पिता का पहना हुआ साफा आप नहीं पहन सकते।
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बात 1880 के अक्टूबर नवम्बर की है बनारस की एक रामलीला मण्डली रामलीला खेलने तुलसी गांव आयी हुई थी..मण्डली में 22-24 कलाकार थे जो गांव के ही एक आदमी के यहाँ रुके थे वहीं सभी कलाकार रिहर्सल करते और खाना बनाते खाते थे. @khusboomishra1 @ITI09604807
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पण्डित कृपाराम दूबे उस रामलीला मण्डली के निर्देशक थे और हारमोनियम पर बैठ के मंच संचालन करते थे और फौजदार शर्मा साज-सज्जा और राम लीला से जुड़ी अन्य व्यवस्था देखते थे...एक दिन पूरी मण्डली बैठी थी और रिहर्सल चल रहा था तभी पण्डित कृपाराम दूबे ने फौजदार से कहा इस बार वो शिव धनुष
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हल्की और नरम लकड़ी की बनवाएं ताकि राम का पात्र निभा रहे 17 साल के युवक को परेशानी न हो पिछली बार धनुष तोड़ने में समय लग गया था...
इस बात पर फौजदार कुपित हो गया क्योंकि लीला की साज सज्जा और अन्य व्यवस्था वही देखता था और पिछला धनुष भी वही बनवाया था... इस बात को लेकर पण्डित जी
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