पंजाब में लोहड़ी से जुड़ी एक कथा दुल्ला भट्टी की है जो मुगलों के अत्याचारों को रोकने के लिए लड़ता था।
इससे जुड़ी एक कहानी एक
ब्राह्मण की दो कन्याएँ सुंदरी और मुंदरी के विवाह की है वहाँ का मुस्लिम शासक दोनों का विवाह नहीं होने देना चाहता था
मुगलों के डर से लड़के वाले विवाह नहीं कर रहे थे जहाँ उनका रिश्ता तय कर रखा था।
इस मुसीबत की घड़ी में दुल्ला भट्टी ने ब्राह्मण की मदद की और लड़के वालों को मनाकर एक जंगल में आग जलाकर सुंदरी एव मुंदरी का विवाह करवाया। दुल्ले ने खुद ही उन दोनों का कन्यादान किया।
दुल्ला-भट्टी की जुल्म के खिलाफ मानवता की सेवा को आज भी लोग याद करते हैं और उस रात को लोहड़ी के रूप में सत्य और साहस की जुल्म पर जीत के तौर पर मनाते हैं। #लोहड़_की_शुभकामनाएँ
पंजाब में लोहड़ी के समय यह गीत गाया जाता है।
सुंदर मुंदरिये हो !
तेरा कौन विचारा हो !
दुल्ला भट्टी वाला हो !
दुल्ले धी व्याही हो !
सेर शक्कर पाई हो ! #लोहड़ी
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