😇 कमाई की तुलनात्मक दृष्टि से क्या वाकई डीजल पैट्रॉल बहुत मंहगा हो गया है ?
90% सत्यवादी लोग कहेंगे >> नही
निम्न तथ्यों पर गौर करेंगे तो आप भी मानेंगे कि आपका और समाज का हित इसमें है, कि डीजल पैट्रोल 200- 300 रुपये लीटर होना ही चाहिए...
🤔 यदि पिछले 25-30 सालों में झांकिए :
तो मुझे याद है कि वाहन खरीदने से पहले और खरीदने के बाद कहीं जाने के लिये स्कूटर मोटरसाइकिल घर से निकालने से पहले लोग ईंधन के खर्च का हिसाब लगाते थे। और ये खर्च उनकी मासिक आय में से एक बड़ा हिस्सा होता था। @Arawn_scilla@BishtRiteshS
आज 624 CC की टाटा नैनो कोई नही खरीदना चाहता। 1500-1600 CC की ब्रेजा, क्रेटा व उससे भी ज्यादा बड़े इंजन की कारें सड़कों पर ऐसे दिखती है जैसे कभी मारुति 800 दिखा करती थी।
किसीको किफायती कारे नही चाहिये बल्कि ज्यादा पेट्रोल खर्च वाली , बड़ी कारें चाहिये...(जबकि बैठते सब मे 5 ही है)
क्यों? क्या इसलिये कि पैट्रोल डीजल मंहगा हो रहा है?
80 CC की मोपेड की बजाय विगत वर्षों में 350 व 500 CC की बुलट की संख्या बेतहाशा बढ़ी है....
क्यों ? क्या पेट्रोल की बढ़ती कीमतों का कोई असर है ??
यदि किसानों की भी बात करूं तो 24 हॉर्स पॉवर के आयशर,... @sataramkhoth_1
25 हॉर्स पावर के HMT 2511 ट्रैक्टर ही कभी 90% किसान खरीदते थे। ये ट्रैक्टर 30-40 एकड़ तक की खेती को संभालने के लिये पर्याप्त होते थे। लेकिन आज ज्यादातर किसान 45 से 90 हॉर्स पावर तक के ट्रैक्टर खरीदते हैं। 2 एकड़ का मालिक किसान भी बिना बड़े ट्रैक्टर के खेती नहीं करता। @OmKirti
हल बैल तो छोड़िए 24-25 हॉर्स पावर के ट्रैक्टर भी गांवों से खेतों से ऐसे गायब हो गए हैं जैसे सड़कों से मोपेड....
क्यों? क्योकि इनको भी डीजल सस्ता लगता है।
पार्किंग की आफत के बावजूद एक-आध km दूर मार्किट या सब्जी मंडी तक जाने के लिये भी लोगों को कार चाहिए...
क्यों? क्या इसलिये कि पैट्रोल डीजल मंहगा हो गया है?
और बिना कारण के इतना डीजल पैट्रोल फूँकने का क्या प्रभाव पर्यावरण पर पड़ रहा है,इससे भी कोई अनजान तो नही है। @Suspend88804639
उपरोक्त सब का घटनाएं हम-आप देख रहे है। कारण क्या ये है कि पैट्रोल डीजल मंहगा लगता,तो लोग छोटी गाड़िया खरीदते!
लेकिन नही खरीद रहे है, कारण ये कि लोगों की आय के मुकाबले डीजल पैट्रोल का कोई मूल्य ही नही रह गया है।
एक सत्य ये भी है कि इतना डीजल पैट्रोल फूंकना लोगों की जरूरत नही,...
बल्कि लक्जरी बन गयी है।
पहले जाम नहीं लगते थे। पर आज सड़कें पहले से संख्या व चौड़ाई में भी ज्यादा हैं, लेकिन सड़कों पर जाम रहता है ....
क्यों? क्या लगता है आपको पैट्रोल डीजल मंहगा हो रहा है?
हर घर के बाहर गली में खड़ी कारों की वजह से गली में चलना भी दूभर होता है। @yogarvind1969
सोचिये यदि डीजल पैट्रोल आज 50 रुपये लीटर हो जाये तो जाम की स्थिति क्या होगी ? क्या सड़कों पर हम चल भी पाएंगे?
मेरी नजर में ये वक्त की तीव्र माँग है कि डीजल कम से कम 200 रुपये लीटर व पैट्रोल 300 रुपये लीटर होना चाहिए। @Bhgwa2020@VoiceOfMahakal@geL6ugyi8EOUNEb@Gandhi_to_Modi
हा, इस बढ़ी हुई आमदनी से सरकार को पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बेहतर बनाने के प्रयास अवश्य करने चाहिएँ।
ईंधन का खर्च बढ़ने से इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ भी लोगों का रुझान बढ़ेगा। उससे फायदा ये होगा कि अरब देशों की औकात और पर्यावरण प्रदूषण स्तर दोनों लिमिट में आ जाएंगे ✅
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🚨वतन के बदले क़ुरान के प्रति वफादार हैं मुस्लिम, वो कभी गैर मुस्लिम को अपना भाई नहीं मानेंगे - बाबा साहब आंबेडकर..🚨
🔊10 मिनट का समय निकाल अवश्य पूरा पढ़िए, जिससे जाती के नाम पर हिन्दुओं को तोड़ने के जिहादियों के षड़यंत्र को विफल कर...
आप राष्ट्र,धर्म और स्वयं के अस्तित्व एवं बहन,बेटियों के सम्मान की रक्षा कर सके।
🛑 बाबासाहब आंबेडकर ने तो बरसों पहले मान लिया था,कि भारत कभी भी 'हिन्दुओं और मुस्लिमों के बराबर अधिकार वाला' देश नही बन सकता। मुस्लिमों की आस्था केवल कुरान पर निर्भर होगी। @BishtRiteshS @sonamsa4
मुस्लिम भले स्वयं के शासन में रह रहे हो या फिर किसी और के, वे क़ुरान से ही निर्देशित होंगे। आखिर, इस वास्तविकता को आप कब समझेंगे?
🛑 बाबासाहब का मानना था कि इस्लाम मे भाईचारा की बातें उनकी स्वयं की बिरादरी तक ही सीमित है।
🛑 अनेकों हिन्दुओं और हिंदुत्ववादी नेताओं की हत्या मे...
★इराक जो स्थिति आज देख रहा है, उससे ज्यादा भयानक दृश्य भारत ने बर्बर जेहादी मुसलमानों के कारण अनेक बार देखें है★
1)मीर कसिम ने सिंध में रात को धोखे से घुस कर एक रात में 50000 से ज्यादा हिन्दुओं का नरसंहार कर सिंध पर कब्ज़ा किया।
2)सोमनाथ मंदिर के अन्दर उपस्थित 32500 हिंदुओं के रक्त से मुहम्मद गजनवी ने परिसर को नहला दिया था।
3)सोमनाथ मे लगी भगवान की मूर्तियों को मुहम्मद गजनवी ने अपने दरबार एंव शौचालय के सीढियों में लगवा दिया था, ताकि वो रोज उनके पैर के नीचे आती रहे। @bholebhkt@Arawn_scilla@BishtRiteshS
आज से तकरीबन सौ १०० वर्ष पहले केरल के मोपला में हिन्दुस्तानी मुसलमानों ने स्थानीय हिन्दुओं का कत्लेआम और नरसंहार किया था। हजारों हिन्दू परिवारों को उनका घरबार लूट कर,...
उन्हें अपने घर-जमीन सबसे बेदखल कर दिया गया था। और ऐसा क्यों किया गया था? सिर्फ इसलिए, क्यूँकि प्रथम विश्वयुद्ध में अंग्रेजों की मदद से तुर्की के खलीफा मोहम्मद को गद्दी से उतारकर मुस्तफा कमाल पाशा ने सरकार बना ली, जो मुस्लिम कट्टरवाद का समर्थन नहीं करता था।
तुर्की, जो आज 100 साल बाद फिर एकबार मुस्लिम कट्टरपंथ का नया खलीफा बनकर मुस्लिम देशों का अगुआ बना हुआ है और जहां हाल में अभिनेता आमिर खान वहाँ के राजकीय मेहमान बन कर गए थे। उस तुर्की के खलीफा को गद्दी से उतारा वहीँ के एक मुस्तफा ने, मदद की अंग्रेजों ने और क़त्ल हुआ हिन्दू इधर ???
#सनातन_श्रेष्ठ_अनंत_अविनाशी_है
🔰 चरण स्पर्श करने का वैज्ञानिक रहस्य जान जाओगे तो प्रतिदिन अपने बच्चों को यह सीख दोंगे
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अपने से बड़ों का अभिवादन करने के लिए चरण छूने की परंपरा सदियों से रही है। भारतीय संस्कृति में अपने से बड़े के आदर के लिए...
चरण स्पर्श उत्तम माना गया है।
प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर चरण स्पर्श के कई लाभ हैं
⚜️चरण छूने का मतलब है पूरी श्रद्धा के साथ किसी के आगे नतमस्तक होना - इससे विनम्रता आती है और मन को शांति मिलती है, साथ ही चरण छूने वाला दूसरों को भी अपने आचरण से प्रभावित करने में सफल होता है।
प्रतिदिन बड़ों के अभिवादन से आयु, विद्या, यश और बल में बढ़ोतरी होती है।
⚜️माना जाता है कि पैर के अंगूठे से भी शक्ति का संचार होता है। मनुष्य के पांव के अंगूठे में भी ऊर्जा प्रसारित करने की शक्ति होती है।
⚜️प्रणाम करने का एक लाभ यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। @OmKirti