मिस्र के एक राजा फिरौन की ममी को जिस संग्रहालय में रखा गया है, उससे पता चलता है कि वर्ष 2020 से ममी मे से उच्च आवृत्ति वाली सूक्ष्म ध्वनि सुनाई दे रही है। शुरू में इन ध्वनियों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया लेकिन अब जनवरी 2021 में
वैज्ञानिकों की एक टीम इस मामले में दिलचस्पी लेने लगी, इसलिए संग्रहालय के अधिकारियों और पुरातत्वविदों ने संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन, भारत के वैज्ञानिकों सहित एक साथ खोज और जांच करने का फैसला किया। में शामिल हो गए।
ये ध्वनियाँ बहुत उच्च आवृत्ति की थीं, जिनकी
आवृत्ति 30000 हर्ट्ज से अधिक थी, जिन्हें केवल उच्च गुणवत्ता वाले ध्वनि उपकरणों द्वारा सुना जा सकता था, मानव कानों द्वारा नहीं। वैज्ञानिकों ने इन उपकरणों को फिरौन की ममी के बेहद करीब रखा है। इन 30 देशों के वैज्ञानिक 5 महीने, 24 दिन और 22 घंटे तक रात-दिन देखे बिना फिरौन की ममी से
आने वाली आवाज़ों को रिकॉर्ड करने में सक्षम थे।
10 नवम्बर , 2021 को यह पता चला कि इन आवाज़ों में हज़ारों साल पुरानी भाषा में पूरी मानव जाति के लिए एक संदेश है। जब इस आवाज का अनुवाद किया गया तो फिरौन की ममी जो कह रही थी उसे सुनकर दुनिया दंग रह गई। कोई भी न्यूज चैनल इस खबर को
दिखाने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि इस खबर से कई बार हार्ट फेल हो सकता है !!
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फिरौन की लाश कुछ समय से उच्च आवृत्ति की ध्वनि में जोर-जोर से चिल्ला रही है,
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कि कुछ भी हो जाए, उत्तर प्रदेश मे आएगा तो योगी ही..!
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ये इजरायली दंपति है।
कुछ दिन पूर्व ये तुर्की की यात्रा में थे। जहाँ ये एर्दोगन याने राष्ट्रपति आवास के आगे फोटोग्राफी कर रहे थे। इस फोटोग्राफी के दौरान इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया ये कह कर कि ये जासूस है और इजराइल के लिए जासूसी कर रहे हैं। कुछ फोटोग्राफ्स भी बरामद हुए इनके
यहाँ से।
अब जासूस का ठप्पा लग जाने पे मालूम है न आगे परिणाम क्या होता है सो ?? और वो भी उन दो देशों के बीच की जासूसी जो एक दूसरे के जानी दुश्मन हो!!
इन दोनों दंपतियों को अलग-अलग रखा गया जहां कैसा सलूक किया गया होगा अब इनके बयानों से साफ पता कर सकते हैं। ये कभी सोचे भी नहीं
थे अब ये यहाँ से जिंदा निकल पाएंगे। या तो कम से कम 30 साल की कैद या सीधे फांसी।
तो बात सीधे इजरायल के पीएम तक पहुँची... और पीएम बेनेट ने तत्काल एक्शन लिया... फॉरेन मिनिस्टर से ले के मोसाद चीफ तक इसमें लग गए। पीएम बेनेट ने डाइरेक्ट फोन पे एर्दोगन से बात की।
और बात क्या हुई
*लड्डू गोपाल का टूटा हाथ, रोते हुए अस्पताल पहुंचा पुजारी, डॉक्टर ने चढ़ाया प्लास्टर*
आगरा, 19 नवंबर: ताज आगरा में भगवान कृष्ण की अटूट भक्ति का एक बेहद ही मार्मिक वाकया सामने आया है। शुक्रवार को एक पुजारी से लड्डू गोपाल को स्नान करवाते समय भगवान की
प्रतिमा गिरी गई, जिससे मूर्ति का हाथ टूट गया। भगवान की टूटी मूर्ति देख पुजारी ने रोना शुरू कर दिया। पुजारी टूटी हुई मूर्ति को कपड़े में लपेट कर जिला अस्पताल पहुंचा। जहां वह लाइन में लगकर पर्ची बनावाने लगा। इस दौरान पुजारी लगातार रोता रहा औऱ मूर्ति के इलाज की गुहार लगाता रहा।
वह वहां लड्डू गोपाल को अस्पताल में भर्ती कराने की जिद पर अड़ गए।
*स्नान कराते वक्त टूटा लड्डू गोपाल का हाथ*
घटना शाहगंज के खासपुरा एरिया के पथवारी मंदिर की है। मंदिर के पुजारी लेख सिंह करीब 25-30 साल मंदिर में विराजमान लड्डू गोपाल की सेवा करते आ रहे हैं। शुक्रवार सुबह 5 बजे
झाँसी से 20 किलोमीटर
टीकमगढ़ से 80 किलोमीटर
छतरपुर से 130 किलोमीटर दूर
विश्व का अकेला मंदिर है जहां राम की पूजा राजा के रूप में होती है और उन्हें सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के पश्चात सलामी दी जाती है..
ओरछा को दूसरी अयोध्या के रूप में
मान्यता प्राप्त है। यहां पर रामराजा अपने बाल रूप में विराजमान हैं। यह जनश्रुति है कि श्रीराम दिन में यहां तो रात्रि में अयोध्या विश्राम करते हैं।
शयन आरती के पश्चात उनकी ज्योति हनुमानजी को सौंपी जाती है, जो रात्रि विश्राम के लिए उन्हें अयोध्या ले जाते हैं-
सर्व व्यापक राम के
दो निवास हैं खास, दिवस ओरछा रहत हैं,
शयन अयोध्या वास।
शास्त्रों में वर्णित है
कि आदि मनु-
सतरूपा ने
हजारों वर्षों तक
शेषशायी विष्णु
को बालरूप में प्राप्त
करने के लिए
तपस्या की। विष्णु ने
उन्हें प्रसन्न होकर
आशीष दिया और
त्रेता में राम, द्वापर में कृष्ण और कलियुग में ओरछा के
'बापू, यह हैं आचार्य चतुरसेन, महान इतिहासकार और लेखक,'
जमनालाल बजाज ने महात्मा गांधी से चतुरसेन का परिचय कराते हुए आगे कहा, 'आपने कहा था ना नवजीवन के लिए संपादक चाहिए, यह सबसे योग्य पात्र हैं, इन्हें दे दीजिए यह कार्यभार।'
'नमस्ते बापू'
आचार्य चतुरसेन ने गांधी जी का अभिवादन किया
'नमस्ते शब्द में वेदों की बू आती है, यह ठीक नहीं है।' गांधी जी बोले।
'जी,' आचार्य चतुरसेन आगे बोले, 'तो फिर राम—राम बापू।'
'देखे राम—राम बोलना हिन्दू—मुस्लिम एकता के लिए सही नहीं है।' गांधी जी ने फिर कहा।
'वंदेमातरम बापू।' आचार्य जी ने
पुन: अभिवादन किया।
'नहीं वंदेमातरम् भी सही नहीं है, इसमें बुतपरस्ती की बू आती है। हमें आजादी चाहिए तो ऐसी भाषा का प्रयोग करना होगा, जिससे मुस्लिमों को ठेस न पहुंचे।'
'जय बापू।'
'हूं,' गांधी जी फिर आगे बोले, 'हम तुम्हें नवजीवन का संपादक बनाते हैं, एक हजार वेतन मिलेगा। सबकुछ
कर्नाटक मेंगलुरु की घटना है और कर्नाटक के मीडिया में काफी चर्चित हुई है.....
मैंगलुरु की एक डॉक्टर हिंदू लड़की एक डॉक्टर मुस्लिम के साथ विवाह करने जा रही थी और लड़की के जिद के आगे विवश होकर घर वाले भी झुक गए थे और उन्होंने विवाह की अनुमति दे दी थी...
विवाह का कार्ड भी
छप गया था...
इस बात की खबर जब एक स्थानीय हिंदू संत वज्रदेही महाराज जी को लगी तब वह लड़की के घर गए और उसे अपने सनातन हिंदू धर्म और संस्कृति के बारे में बताया, समझाया की वह क्या अनर्थ करने जा रही है....लड़की को बहुत पछतावा हुआ और उसने अपना ये निर्णय त्याग दिया...
संत महोदय
ने अपने साथ लाए पवित्र जल से उस लड़की को आचमन भी कराया...
ये होते है सच्चे सन्त, समाज को समाज के लोगों को गलती करने से रोकने वाले, सही दिशा और मार्गदर्शन देने वाले..पथभ्रष्ट होने से बचाने वाले...हमें ऐसे ही महापुरुषों की, उनके सानिध्य की आवश्यकता है...
45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते हैं, रस्सी बटवाते हैं और
छिलके कूटवाते हैं। वो तमाम कैदियों को शिक्षित कर रहा होता है, उनमें राष्ट्रभक्ति की भावनाएँ प्रगाढ़ कर रहा होता है और साथ ही दीवालों कर कील, काँटों और नाखून से साहित्य की रचना कर रहा होता है।
उसका नाम था- विनायक दामोदर सावरकर।
वीर सावरकर।
उन्हें आत्महत्या
के ख्याल आते। उस खिड़की की ओर एकटक देखते रहते थे, जहाँ से अन्य कैदियों ने पहले आत्महत्या की थी। पीड़ा असह्य हो रही थी। यातनाओं की सीमा पार हो रही थी। अंधेरा उन कोठरियों में ही नहीं, दिलोदिमाग पर भी छाया हुआ था। दिन भर बैल की जगह खटो, रात को करवट बदलते रहो।