*लड्डू गोपाल का टूटा हाथ, रोते हुए अस्पताल पहुंचा पुजारी, डॉक्टर ने चढ़ाया प्लास्टर*
आगरा, 19 नवंबर: ताज आगरा में भगवान कृष्ण की अटूट भक्ति का एक बेहद ही मार्मिक वाकया सामने आया है। शुक्रवार को एक पुजारी से लड्डू गोपाल को स्नान करवाते समय भगवान की
प्रतिमा गिरी गई, जिससे मूर्ति का हाथ टूट गया। भगवान की टूटी मूर्ति देख पुजारी ने रोना शुरू कर दिया। पुजारी टूटी हुई मूर्ति को कपड़े में लपेट कर जिला अस्पताल पहुंचा। जहां वह लाइन में लगकर पर्ची बनावाने लगा। इस दौरान पुजारी लगातार रोता रहा औऱ मूर्ति के इलाज की गुहार लगाता रहा।
वह वहां लड्डू गोपाल को अस्पताल में भर्ती कराने की जिद पर अड़ गए।
*स्नान कराते वक्त टूटा लड्डू गोपाल का हाथ*
घटना शाहगंज के खासपुरा एरिया के पथवारी मंदिर की है। मंदिर के पुजारी लेख सिंह करीब 25-30 साल मंदिर में विराजमान लड्डू गोपाल की सेवा करते आ रहे हैं। शुक्रवार सुबह 5 बजे
स्नान कराते समय लड्डू गोपाल लेख सिंह के हाथों से गिर गए और उनका हाथ टूट गया। उन्होंने खुद खपच्ची बांधी और दर्द का मरहम लगाकर 8 बजे तक भगवान को गोद मे बिठाकर इंतजार किया।
*पुजारी लड्डू गोपाल को अस्पताल में भर्ती कराने की जिद पर अड़ा*
मगर, अस्पताल में कोई लड्डू गोपाल का इलाज
करने को तैयार नहीं हुआ। ना ही उनका पर्चा बनाया गया। इससे वो बहुत परेशान हो गए। लड्डू गोपाल को इलाज न मिलने पर पुजारी रेलिंग में अपना सिर मार-मार कर रोने लगे। वह रोते-रोते बेहोश हो गए। इसको देखकर वहां पर भीड़ लग गई। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें समझाया कि भगवान के चोट नहीं लगती।
लेकिन पुजारी लड्डू गोपाल को अस्पताल में भर्ती कराने की जिद पर अड़ा रहा।
*डॉक्टर ने लड्डू गोपाल का प्लास्टर किया*
प्लास्टर करवाने के लिए पर्चा बनवाने गए पुजारी को गार्ड ने भी भगा दिया। रोते बिलखते पुजारी को देख स्टाफ ने प्रमुख अधीक्षक को बताया। उन्होंने पर्चा बनवाकर हाथ की पट्टी
कर दी। प्रमुख अधीक्षक डॉ. एके. अग्रवाल ने बताया श्री कृष्ण पिता का नाम श्री भगवान के नाम से पर्चा बनवाया। इसके बाद सीएसएम अशोक कुमार ने अपने केबिन को ऑपरेशन थिएटर बनाते हुए सबको बाहर किया। डॉक्टर ने लड्डू गोपाल का प्लास्टर किया और अपने हाथों से पुजारी को सौंपा।
सीएमएस डॉ. एके
अग्रवाल ने बताया कि ऐसा मामला उनके सामने पहली बार आया है। लड्डू गोपाल का इलाज होने के बाद भी पुजारी लेख सिंह के आंसू नहीं रुक रहे थे। पुजारी की भक्ति देख वहां लड्डू गोपाल के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ लग गई। पुजारी की इस अटूट भक्ति की हर ओर चर्चा हो रही है।
*मथुरा*
🙏🏻🙏🏻आस्था अंतहीन हैं
🙏🏻🙏🏻श्रद्धा से ही परम सुख मिल सकता हैं।
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🌼सावन विशेष🌼
🌿बेलपत्र की कहानी 🌿
स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया। चुंकि माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ। अत: इसमें माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं।
वे पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में, इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं,
फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप निवास करता है। इस सभी रूपों के अलावा, मां लक्ष्मी का रूप
समस्त वृक्ष में निवास करता है। बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं। जो व्यक्ति किसी तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता है अगर वह श्रावण
नंदी महाराज के कान में क्यों बोली जाती है मनोकामना ?
*जब भी हम किसी शिव मंदिर जाते हैं तो अक्सर देखते हैं कि कुछ लोग शिवलिंग के सामने बैठे नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। ये एक परंपरा बन गई है। इस परंपरा के पीछे की वजह एक मान्यता है। आज हम आपको उसी के
बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है..*
*मान्यता है जहां भी शिव मंदिर होता है, वहां नंदी की स्थापना भी जरूर की जाती है क्योंकि नंदी भगवान शिव के परम भक्त हैं। जब भी कोई व्यक्ति शिव मंदिर में आता है तो वह नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहता है। इसके पीछे मान्यता है कि
भगवान शिव तपस्वी हैं और वे हमेशा समाधि में रहते हैं। ऐसे में उनकी समाधि और तपस्या में कोई विघ्न ना आए। इसलिए नंदी ही हमारी मनोकामना शिवजी तक पहुंचाते हैं। इसी मान्यता के चलते लोग नंदी को लोग अपनी मनोकामना कहते हैं।*
ये इजरायली दंपति है।
कुछ दिन पूर्व ये तुर्की की यात्रा में थे। जहाँ ये एर्दोगन याने राष्ट्रपति आवास के आगे फोटोग्राफी कर रहे थे। इस फोटोग्राफी के दौरान इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया ये कह कर कि ये जासूस है और इजराइल के लिए जासूसी कर रहे हैं। कुछ फोटोग्राफ्स भी बरामद हुए इनके
यहाँ से।
अब जासूस का ठप्पा लग जाने पे मालूम है न आगे परिणाम क्या होता है सो ?? और वो भी उन दो देशों के बीच की जासूसी जो एक दूसरे के जानी दुश्मन हो!!
इन दोनों दंपतियों को अलग-अलग रखा गया जहां कैसा सलूक किया गया होगा अब इनके बयानों से साफ पता कर सकते हैं। ये कभी सोचे भी नहीं
थे अब ये यहाँ से जिंदा निकल पाएंगे। या तो कम से कम 30 साल की कैद या सीधे फांसी।
तो बात सीधे इजरायल के पीएम तक पहुँची... और पीएम बेनेट ने तत्काल एक्शन लिया... फॉरेन मिनिस्टर से ले के मोसाद चीफ तक इसमें लग गए। पीएम बेनेट ने डाइरेक्ट फोन पे एर्दोगन से बात की।
और बात क्या हुई
झाँसी से 20 किलोमीटर
टीकमगढ़ से 80 किलोमीटर
छतरपुर से 130 किलोमीटर दूर
विश्व का अकेला मंदिर है जहां राम की पूजा राजा के रूप में होती है और उन्हें सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के पश्चात सलामी दी जाती है..
ओरछा को दूसरी अयोध्या के रूप में
मान्यता प्राप्त है। यहां पर रामराजा अपने बाल रूप में विराजमान हैं। यह जनश्रुति है कि श्रीराम दिन में यहां तो रात्रि में अयोध्या विश्राम करते हैं।
शयन आरती के पश्चात उनकी ज्योति हनुमानजी को सौंपी जाती है, जो रात्रि विश्राम के लिए उन्हें अयोध्या ले जाते हैं-
सर्व व्यापक राम के
दो निवास हैं खास, दिवस ओरछा रहत हैं,
शयन अयोध्या वास।
शास्त्रों में वर्णित है
कि आदि मनु-
सतरूपा ने
हजारों वर्षों तक
शेषशायी विष्णु
को बालरूप में प्राप्त
करने के लिए
तपस्या की। विष्णु ने
उन्हें प्रसन्न होकर
आशीष दिया और
त्रेता में राम, द्वापर में कृष्ण और कलियुग में ओरछा के
मिस्र के एक राजा फिरौन की ममी को जिस संग्रहालय में रखा गया है, उससे पता चलता है कि वर्ष 2020 से ममी मे से उच्च आवृत्ति वाली सूक्ष्म ध्वनि सुनाई दे रही है। शुरू में इन ध्वनियों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया लेकिन अब जनवरी 2021 में
वैज्ञानिकों की एक टीम इस मामले में दिलचस्पी लेने लगी, इसलिए संग्रहालय के अधिकारियों और पुरातत्वविदों ने संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन, भारत के वैज्ञानिकों सहित एक साथ खोज और जांच करने का फैसला किया। में शामिल हो गए।
ये ध्वनियाँ बहुत उच्च आवृत्ति की थीं, जिनकी
आवृत्ति 30000 हर्ट्ज से अधिक थी, जिन्हें केवल उच्च गुणवत्ता वाले ध्वनि उपकरणों द्वारा सुना जा सकता था, मानव कानों द्वारा नहीं। वैज्ञानिकों ने इन उपकरणों को फिरौन की ममी के बेहद करीब रखा है। इन 30 देशों के वैज्ञानिक 5 महीने, 24 दिन और 22 घंटे तक रात-दिन देखे बिना फिरौन की ममी से
'बापू, यह हैं आचार्य चतुरसेन, महान इतिहासकार और लेखक,'
जमनालाल बजाज ने महात्मा गांधी से चतुरसेन का परिचय कराते हुए आगे कहा, 'आपने कहा था ना नवजीवन के लिए संपादक चाहिए, यह सबसे योग्य पात्र हैं, इन्हें दे दीजिए यह कार्यभार।'
'नमस्ते बापू'
आचार्य चतुरसेन ने गांधी जी का अभिवादन किया
'नमस्ते शब्द में वेदों की बू आती है, यह ठीक नहीं है।' गांधी जी बोले।
'जी,' आचार्य चतुरसेन आगे बोले, 'तो फिर राम—राम बापू।'
'देखे राम—राम बोलना हिन्दू—मुस्लिम एकता के लिए सही नहीं है।' गांधी जी ने फिर कहा।
'वंदेमातरम बापू।' आचार्य जी ने
पुन: अभिवादन किया।
'नहीं वंदेमातरम् भी सही नहीं है, इसमें बुतपरस्ती की बू आती है। हमें आजादी चाहिए तो ऐसी भाषा का प्रयोग करना होगा, जिससे मुस्लिमों को ठेस न पहुंचे।'
'जय बापू।'
'हूं,' गांधी जी फिर आगे बोले, 'हम तुम्हें नवजीवन का संपादक बनाते हैं, एक हजार वेतन मिलेगा। सबकुछ