१. ये तो 20 मिनट का ही काम है, किसी का कोई नुकसान नहीं
खुले में शौच 5 मिनट का काम है, खेत में खाद भी बनती है। बीस मिनट के लिए ट्रैफिक रुकने से एम्बुलेंस में बैठे रोगी की मौत हो सकती है। लम्बा जाम लगता है। दिन में 5 बार लाउडस्पीकर को भी गिनो।
२. ऑफिस में कहाँ करें
नॉट माय प्रॉब्लम! छत पर करो, क्यूबिकल में करो, कहीं करो। शुक्रवार को छुट्टी ले कर घर में रहो अगर मजहब ही सबसे ऊपर है। किसी हिन्दू को देखा है घंटी ले कर मंगलवार को ऑफिस से बाहर निकल जाता है हनुमान चालीसा पढ़ते हुए? अपनी पहचान थोपना और दिखाना बंद करो।
३. शुक्रवार की तो साथ में ही होती है
मतलब, तुम्हारे नियम के हिसाब से दुनिया चले? साथ में ही होती है तो वहीं करो जहाँ यह संभव है। छुट्टी ले लो। ऐसी कंपनी में नौकरी मत करो जिसके बीस मीटर के दायरे में मस्जिद न हो। ऐसे क्षेत्र में काम ही मत करो जहाँ ऐसा करने पर प्रतिरोध हो रहा हो।
४. सरकार हमें मस्जिद दे
सरकार का काम मस्जिद उपलब्ध कराना नहीं है। वो तुम्हारा अपना चुनाव है कि तुम्हें अपनी जमीन पर क्या बना कर क्या करना है। जब तुम्हारा काम परमानेंट है, तो उसके परमानेंट उपाय ढूँढों। सरकार का कोई हक नहीं कि वो मंदिरों से पैसे ले कर मस्जिदें बनवाए।
५. ये हमारा मौलिक अधिकार है
नहीं, तुम्हें मौलिक अधिकार की समझ नहीं है। मौलिक अधिकार तुम्हें मजहब के अनुसरण की अनुमति देता है, न कि तुम्हारे टोपी के फटने पर नई टोपी देने के लिए विवश है। रोजे से रोकना असंवैधानिक है, खजूर के लिए सरकारी पैसा न देना मौलिक अधिकार का हनन नहीं।
६. बारह ही मस्जिद हैं, 25 लाख जनसंख्या
तो जनसंख्या घटाने पर बल दो। हिन्दू एक करोड़ हैं और बारह ही मंदिर हैं। हम क्या सरकार से मंदिर माँगते हैं? हमारे तीस हजार पर तो गुंबद चढ़ा रखे हैं। बारी-बारी से जाओ, वक्फ वालों को कहो कि जमीन सरकार को दे दे, फिर सरकार सोचेगी इस पर।
७. होली-दिवाली सब सड़क पर ही होती है
ट्रैफिक रोक कर नहीं होती, एंबुलेंस में आदमी मरता नहीं जाम में। साल में एक बार होती है, 52 बार नहीं। प्रशासन की अनुमति से होती है, पैसे दे कर होती है। हिन्दुओं के क्षेत्र में होती है, मुस्लिम इलाकों के पार्क में जबरन नहीं होती।
८. क्या करें हम? चले जाएँ छोड़ कर?
विरोध देख कर टोन मत बदलो। विक्टिम कार्ड स्वाइप करना बंद करो। हिन्दुओं ने या सरकार ने तुम्हारा ठेका नहीं ले रखा है। जो करना है घर में करो। छोड़ कर जाने का विकल्प खुला हुआ है। कई देश हैं। वहाँ भी खुले में करने की अनुमति नहीं है।
"ना तो रावत साब ने दिल्ली के लुटियन्स जोन में कॉर्नर का बंगला कब्जाया था....ना उनका करोड़ों रुपयों का कोई छुपा हुआ निवेश था और ना ही उन्होंने अपने बच्चों को यूएस-यूके में पढ़ने भेज रखा था...
एक जनरल की जो कमाई होती है वे बस उस तक ही सीमित थे और रिटायर्ड होने के बाद अपने गांव में एक मकान बनाकर रहना चाहते थे बस...उनका ऐसा निष्ठावान चरित्र था। यही कारण है कि भारत आज शोकमग्न है...बिना किसी सरकारी घोषणा कानून या डर के...
ऐसा प्रेम लगाव दुर्लभ है...."
यह टिप्पणी एक दुश्मन देश के नागरिक की है जो तमाचा है उन लोगों पर जो सेनापति रावत की मृत्यु पर हंस रहे थे, जिनमें से कुछ की सुंताई पुलिसजी कर रहे हैं...
जनरल बिपिन रावत की वीरगति पर मुसलमान ठहाके क्यों लगा रहे हैं ?
- सच हमारे सामने ही होता है लेकिन हम बार बार उससे आंखें चुरा लेते हैं । ये बात किसी महान लेखक ने नहीं लिखी है लेकिन बात एकदम सत्य है ।
-हम हिंदू हैं और हमारी आंखों के सामने से भी एक सच गुजर रहा है... वो सच ये है कि जब पाकिस्तान की जीत होती है पूरे भारत में मुसलमान पटाखे जलाकर जश्न मनाते हैं ।
जब रोहित सरदाना की कोरोना से मृत्यु होती है तब मुसलमान ठहाके लगाते हैं और अब जब जनरल बिपिन रावत वीरगति को प्राप्त हुए हैं तब भी मुसलमान ठहाके लगा रहे हैं
बहुत ही अच्छा लगा पढ़ने के बाद आप लोग भी पढ़िए.... ।।।👇
#नागासाधू
जब अहमद शाह अब्दाली दिल्ली और मथुरा में मार काट करता गोकुल तक आ गया और लोगों को बर्बरतापूर्वक काटता जा रहा था. महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे थे, तब गोकुल में अहमदशाह अब्दाली का सामना नागा साधुओं से हो गया।
कुछ 5 हजार चिमटाधारी पूज्य नागा साधु तत्काल सेना में तब्दील होकर लाखों की हबसी, जाहिल जेहादी सेना से भिड गए।
पहले तो अब्दाली साधुओं को मजाक में ले रहा था किन्तु कुछ देर में ही अपने सैनिकों के चिथड़े उड़ते देख अब्दाली को एहसास हो गया कि ये साधू तो अपनी धरती की अस्मिता के लिए साक्षात महाकाल बन रण में उतर गए।
फोटो में दिखाई दे रहे ये दोनों इजरायली दंपति है ...
कुछ दिन पूर्व ये तुर्की की यात्रा में थे। जहाँ ये एर्दोगन याने राष्ट्रपति आवास के आगे फोटोग्राफी कर रहे थे। इस फोटोग्राफी के दौरान इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया ये कह कर कि ये जासूस है और इजराइल के लिए जासूसी कर रहे हैं।
कुछ फोटोग्राफ्स भी बरामद हुए इनके यहाँ से।
अब जासूस का ठप्पा लग जाने पे मालूम है न आगे परिणाम क्या होता है सो ?? और वो भी उन दो देशों के बीच की जासूसी जो एक दूसरे के जानी दुश्मन हो!!
इन दोनों दंपतियों को अलग-अलग रखा गया जहां कैसा सलूक किया गया होगा अब इनके बयानों से साफ पता कर सकते हैं। ये कभी सोचे भी नहीं थे अब ये यहाँ से जिंदा निकल पाएंगे। या तो कम से कम 30 साल की कैद या सीधे फांसी।
सीमा शुल्क और डीआरआई टीम के एक संयुक्त प्रयास ने मुंद्रा बंदरगाह पर एक विदेशी पोत से कई कंटेनरों को जब्त कर लिया है क्योंकि उनमें अघोषित खतरनाक रेडिओएक्टिव माल था। जबकि इस कार्गो को गैर-खतरनाक के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
जब्त किए गए कंटेनरों में हैज़र्ड क्लास 7 मार्किंग के ड्रम थे ( जो बहुत ही खतरनाक रेडियोधर्मी पदार्थों को इंगित करते हैं)। हालांकि इन कंटेनरों का गन्तव्य स्थान मुंद्रा पोर्ट या भारत का कोई अन्य बंदरगाह नहीं था।
यह पाकिस्तान के कराची से चीन के शंघाई को जाना था फिर यह भारत क्यों और कैसे पहुंचा यह शोध का विषय है। सरकारी अधिकारियों ने उनकी आगामी जांच पड़ताल और निरीक्षण के लिए मुंद्रा पोर्ट पर ही इसे उतार लिया है।