सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जब मृत्यु हुई तो एक घंटे बाद तत्कालीन-प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एक घोषणा की।
- घोषणा के तुरन्त बाद उसी दिन एक आदेश जारी किया गया, उस आदेश के दो बिन्दु थे। पहला यह था, की सरदार पटेल को दी गयी सरकारी-कार को उसी वक्त वापिस लिया जाय और 1/n
दूसरा बिन्दु था की गृह मंत्रालय के वे सचिव/अधिकारी जो सरदार-पटेल के अन्तिम संस्कार में बम्बई जाना चाहते हैं, वो अपने खर्चे पर जायें।
लेकिन तत्कालीन गृह सचिव वी. पी मेनन ने प्रधानमंत्री नेहरु के इस पत्र का जिक्र ही अपनी अकस्मात बुलाई बैठक में नहीं किया और सभी
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अधिकारियों को बिना बताये अपने खर्चे पर बम्बई भेज दिया।
उसके बाद नेहरु ने कैबिनेट की तरफ से तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद को सलाह भेजवाया की वे सरदार-पटेल के अंतिम-संस्कार में भाग न लें। लेकिन राजेंद्र-प्रसाद ने कैबिनेट की सलाह को दरकिनार करते हुए अंतिम-
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संस्कार में जाने का निर्णय लिया। लेकिन जब यह बात नेहरु को पता चली तो उन्होंने वहां पर सी. राजगोपालाचारी को भी भेज दिया और सरकारी स्मारक पत्र पढने के लिये राष्ट्रपति के बजाय उनको पत्र सौप दिया।
इसके बाद कांग्रेस के अन्दर यह मांग उठी की इतने बङे नेता के याद में सरकार को
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कुछ करना चाहिए और उनका 'स्मारक' बनना चाहिए तो नेहरु ने पहले तो विरोध किया फिर बाद में कुछ करने की हामी भरी।
कुछ दिनों बाद नेहरु ने कहा की सरदार-पटेल किसानों के नेता थे, इसलिये सरदार-पटेल जैसे महान और दिग्गज नेता के नाम पर हम गावों में कुआँ खोदेंगे। यह योजना कब शुरु हुई और
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कब बन्द हो गयी किसी को पता भी नहीं चल पाया।
उसके बाद कांग्रेस के अध्यक्ष के चुनाव में नेहरु के खिलाफ सरदार-पटेल के नाम को रखने वाले पुराने और दिग्गज कांग्रेसी नेता पुरुषोत्तम दास टंडन को पार्टी से बाहर कर दिया।
ये सब बाते बरबस ही याद दिलानी पङती हैं, जब इन कांग्रेसियों को
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सरदार-पटेल जी का नाम जपते देखत हूँ !
ये "कांग्रेस ईस्ट इंडिया कंपनी" जो हिन्दू के साथ हिंदी और हिन्दू-संस्कृति को समाप्त करने का काम ७० वर्षों से गुपचुप तरीके से कर रही है और हम हिन्दू 70 सालो से सिर्फ चुपचाप देख रहे हैं।
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2017 से पहले अयोध्या में कभी भव्य दीपोत्सव नहीं आयोजित हुआ था!
2017 से पहले प्रयागराज में कभी भव्य कुंभ आयोजित नहीं हुआ था!
2017 से पहले बनारस में कभी भव्य गंगा आरती का आयोजन नहीं हुआ था!
2017 से पहले भव्य काशी विश्वनाथ धाम की किसी ने कल्पना नहीं की थी!
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2017 से पहले भव्य विंध्यवासिनी धाम की किसी ने कल्पना नहीं की थी!
2017 से पहले अयोध्या, मथुरा, वृंदावन के भव्य विकास की किसी ने कल्पना नहीं की थी!
2017 से पहले कांवड़ियों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा होने की कल्पना नहीं की थी!
2017 से पहले भव्य कैलाश मानसरोवर भवन बनने की
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कल्पना नहीं की थी! 2017 से पहले मां गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये इतना कार्य होगा इसकी कल्पना नहीं की थी!
मोदीजी और महाराज जी ने ये सारे अकल्पनीय कार्य को साकार करने का काम किया है! मैंने तो कभी सोचा ही नहीं था की हमारे धार्मिक स्थलों का इतना भव्य विकास भी होगा!
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*योगी को सबक सिखाने की बात वही लोग कर रहे हैं, जो योगी को समझते नहीं हैं, एक-दो हत्याएं आज यूपी में हो गई तो लोग कहने लगे योगी को सबक सिखाएंगे, योगी है क्या योगी कौन है जिनको सबक सिखाने की बात हो रही है क्या योगी को 1/n
सबक सिखाना इतना आसान है? 1) यह वही योगी हैं जिन्होंने अपने कर्तव्य के लिए अपने पिता के अन्तिम संस्कार में नहीं गए। 2) यह वही योगी हैं जिन्होंने हिन्दुत्व के लिए जीते जी अपना पिण्डदान कर दिया। 3) यह वही योगी हैं जिसने शुक्रवार को होली पड़ने पर होली का समय नहीं तय किया बल्कि 2/n
नमाज रोकवा दी। 4) यह वही योगी हैं जिस यूपी में अपराधियों से सरकारें कांपती थी उनकी हेकड़ी निकाल दी। 5) यह वही योगी हैं जिसने ऐसी नकेल कसी अपराध की कि एक समय यूपी में पैसा न लगाने वाली बड़ी-बड़ी कम्पनियां investment कर रही हैं। 6) यह वही योगी हैं जिसने सत्ता में आकर
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