बहुत लोग कहते हैं कि गांधी ने हर जगह अनशन किया लेकिन विभाजन रोकने के लिए अनशन नहीं किया. 'क्यूँ गांधी नहीं बैठ गए जिन्ना के खिलाफ़ अनशन पर?'
जो लोग ऐसा कहते हैं उन्हें शायद गांधी जी की अनशन की नीति के बारे में नहीं पता. गांधी बता गए हैं इस पर भी.
पढ़िए - एक थ्रेड 🧵
जिस तरह एक ही कपड़ा हर व्यक्ति को फ़िट नहीं होगा उसी तरह एक ही उपाय ना हर जगह प्रयोग किया जा सकता है ना वो हर जगह सफल हो सकता है. अनशन के साथ भी यही खेल है. गांधी जी बता के गए हैं कि कहाँ अनशन करना है कहाँ नहीं, किसके सामने करना है किसके सामने नहीं.
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12 अप्रैल 1924 को जॉर्ज जोसफ को लिखे एक पत्र में गांधी कहते हैं,
"आप एक अत्याचारी के खिलाफ़ अनशन नहीं कर सकते. अनशन तो किसी प्रेमी के खिलाफ़ किया जाता है, सो भी अधिकार प्राप्त करने की दृष्टि से नहीं अपितु उसे सुधारने की दृष्टि से...
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- जैसे कोई पुत्र अपने शराबी पिता के विरुद्ध अनशन करता है. बंबई और बारडोली में जो अनशन मैंने किया वो इसी तरह का था.
मैंने उन लोगों को सुधारने के लिए अनशन किया जो मुझसे प्रेम करते थे...
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पर मैं, जैसे, जनरल डाॅयर को सुधारने के लिए अनशन नहीं करूँगा, क्यूँकी ना वो मुझसे प्रेम करता है बल्कि मुझे अपना दुश्मन मानता है. "
स्रोत - समग्र गांधी वांग्मय (Cwmg) खंड 23 पृष्ट 419-20
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आशा है कि यह स्पष्ट हो गया हो क्यूँ गांधी ने जिन्ना के खिलाफ़ अनशन नहीं किया. उन्होंने अनशन इसलिए नहीं किया क्यूँकी जिन्ना उन्हें अपना दुश्मन मानते थे. अगर वो करते भी अनशन तो गांधी पड़े रहते और जिन्ना उन्हें मरने देता. ना ही उसका उन लोगों पर असर होता जो लोग विभाजन के पक्ष में थे.
जैसे आज कितने ही लोग गांधी से घृणा करते हैं. अगर गांधी आज होते और अनशन करते तो ये लोग भी उन्हें मरने देते. क्यूँकी घृणा ऐसी चीज़ है जो आपको मानव से दानव बना देती है और आप केवल रक्त के प्यासे हो जाते हैं हर उस इंसान के जो आपसे भिन्न मत रखता हो.
Gandhi had no role in freedom movement? Really? His non-violent movement was inaffective? I'll just share few quotes which will destroy your whole argument.
" He (Gandhi) gave us a scare. His program filled our jails. You cannot go on and arrest people forever,you know, not when there are 320 million of them,and if they had taken the next step and refused to pay the taxes. God knows where we would have been." - Lord Lloyd.
Lord Lloyd was the then governor of bombay.
Source - Heart beats in India by CF Andrews page no. 198.
Also quoted in Narahari Parikh's 'Sardar Patel' volume 1 page no. 165