कौन जात हो भाई?
“दलित हैं साब!”
नहीं मतलब किसमें आते हो?
आपकी गाली में आते हैं
गंदी नाली में आते हैं
और अलग की हुई थाली में आते हैं साब!
मुझे लगा हिंदू में आते हो!
आता हूं न साब! पर आपके चुनाव में।
▪️बच्चा लाल उन्मेष की कविता
[1/5]
क्या खाते हो भाई?
“जो एक दलित खाता है साब!”
नहीं मतलब क्या-क्या खाते हो?
आपसे मार खाता हूं
कर्ज़ का भार खाता हूं
और तंगी में नून तो कभी अचार खाता हूं साब!
नहीं मुझे लगा कि मुर्गा खाते हो!
खाता हूं न साब! पर आपके चुनाव में।
▪️बच्चा लाल उन्मेष की कविता
[2/4]
क्या पीते हो भाई?
“जो एक दलित पीता है साब!
नहीं मतलब क्या-क्या पीते हो?
छुआ-छूत का ग़म
टूटे अरमानों का दम
और नंगी आंखों से देखा गया सारा भरम साब!
मुझे लगा शराब पीते हो!
पीता हूं न साब! पर आपके चुनाव में।
▪️बच्चा लाल उन्मेष की कविता
[3/3]
क्या मिला है भाई
“जो दलितों को मिलता है साब!
नहीं मतलब क्या-क्या मिला है?
ज़िल्लत भरी ज़िंदगी
आपकी छोड़ी हुई गंदगी
और तिस पर भी आप जैसे परजीवियों की बंदगी साब!
मुझे लगा वादे मिले हैं!
मिलते हैं न साब! पर आपके चुनाव में।
▪️बच्चा लाल उन्मेष की कविता
[4/2]
क्या किया है भाई?
“जो दलित करता है साब!
नहीं मतलब क्या-क्या किया है?
सौ दिन तालाब में काम किया
पसीने से तर सुबह को शाम किया
और आते जाते ठाकुरों को सलाम किया साब!
मुझे लगा कोई बड़ा काम किया!
किया है न साब! आपके चुनाव का प्रचार!
▪️बच्चा लाल उन्मेष की कविता
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ऑपरेशन सिंदूर
ब्लॉक बस्टर वेबसीरीज़ सीरीज़: सीज़न वन
▪️राकेश कायस्थ [फ़ेसबुक]
1. चेतक की मां के राज्य गुजरात की पीठ पर आसीन होने के बाद से श्री मोदी ने भारतीय जनमानस से सीधा संवाद प्रारंभ कर दिया था। वो बार-बार पूरे देश को ये बता रहे थे कि आज़ादी के बाद से सारे सैन्य अभियान विफल रहे और इसका कारण भारतीय सेना नहीं बल्कि दिल्ली में बैठे डरपोक राजनेता रहे हैं।
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2. भारत की एक विशाल आबादी पर मोदीजी की बातों का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है। उनके वोटरों का बड़ा हिस्सा सचमुच ये मानने लगा कि अगर मोदीजी 1971 में होते तो अखंड भारत बन चुका होता। जो 93 हज़ार पाकिस्तानी सैनिक बंदी बनाये गये थे, वो आज भी आम भारतीय घरों में बर्तन मांज रहे होते।
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3. यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है ज़्यादा वक़्त नहीं बीता जब अमित शाह ने कहा कि आपके पास पीओके लेने का मौका था और वो आपने गंवा दिया। हमारी सेना तैयार थी लेकिन आपने उन्हें लड़ने नहीं दिया। यह सुनकर समर्थकों के खून में इस कदर उबाल आता है, जैसे पड़ोसी के मकान को ही पीओके मानकर टूट पड़ेंगे, खैर!
साल 2004, दिनेश कार्तिक नामक युवा विकेटकीपर ने भारतीय क्रिकेट टीम ने अपना डेब्यू किया। उनका क्रिकेट जीवन परवान चढ़ रहा था और सन 2007 में अपनी बचपन की दोस्त निकिता वंजारा से शादी कर ली।
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दिनेश और निकिता अपनी शादीशुदा जिंदगी में बड़े खुश थे। दिनेश रणजी ट्रॉफी में तमिलनाडु टीम की कप्तानी भी कर रहे थे। उनके खास दोस्त थे तमिलनाडु की टीम के ओपनर, जो बाद में भारतीय टीम का हिस्सा भी बने, मुरली विजय।
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तो एक दिन निकिता की मुलाकात मुरली विजय से हुई। मुरली विजय को निकिता भा गयी। भोले भाले दिनेश कार्तिक इस बात को महसूस नहीं कर पाये। निकिता और मुरली के बीच नज़दीकियां बढ़ने लगीं और कुछ ही समय में दोनों का अफेयर शुरू हो गया। दोनों खुलकर मिलने लगे।
क्या आप जानते हैं कि निखिल गांधी कौन है? किसी ज़माने में कोलकाता से जाकर मुंबई में पान का पत्ता बेचा करता था। आज हजारों करोड़ की संपत्ति का मालिक है। उम्र सिर्फ 55-56 साल होगी। तरक्की का अंदाज़ा लगा सकते हैं। मुंबई के सबसे पॉश कहे जाने वाले नेपियन सी इलाके में रहता है।
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रफाएल स्कैम कवर करके के दौरान इसका नाम सामने आया था। एक लाइन में कहूं तो फ्रॉड, लूट और झूठ पर आधारित विकास के जिस गुजरात मॉडल की चर्चा आज से कुछ साल पहले देश में छायी रहती थी, निखिल गांधी उसका प्रतिनिधि चेहरा है।
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पान बेचते-बेचते कुछ ही सालों के अंदर खिलौना और खिलौने के अंदर रख कर बहुत कुछ बेचने लगा। फिर इसकी मुलाकात हुई धीरूभाई से। धीरूभाई ने निखिलभाई को भेजा चिमन भाई के पास। सलाह दी कि गुजरात के पीपावाव में बंदरगाह बनाओ, भविष्य का धंधा यही है। मंजूरी मिली और बंदरगाह बन गया।