वियतनाम ने अमेरिका जैसे बड़े शक्तिशाली देश को झुका दिया था। लगभग बीस वर्षों तक चले युद्ध में अमेरिका पराजित हुआ। अमेरिका पर विजय के बाद वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष से एक पत्रकार ने एक सवाल पूछा..
कि आपने अमेरिका को कैसे झुका दिया ?
उनका जवाब सुनकर आपको भी गर्व होगा-
विश्व के 👇
सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को हराने के लिए मैंने दो महान व श्रेष्ठ भारतीय राजाओं का चरित्र पढ़ा और उनकी जीवनी से मिली प्रेरणा व युद्धनीति का प्रयोग कर हमने सरलता से विजय प्राप्त की।
आगे पत्रकार ने पूछा...
"कौन थे वो महान राजा ?"
वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने खड़े होकर जवाब 👇
दिया...
"वो थे भारत के राजस्थान में मेवाड़ के महाराजा महाराणा प्रताप और छत्रपती शिवाजी महाराज !!"
उन्होंने कहा..
"अगर ऐसे राजा ने हमारे देश में जन्म लिया होता तो हमने सारे विश्व पर राज किया होता"
कुछ वर्षों के बाद उस राष्ट्राध्यक्ष की मृत्यु हुई तो जानिए उसने अपनी समाधि पर 👇
क्या लिखवाया...?
"यह महाराणा प्रताप और छत्रपती शिवाजी महाराज के एक शिष्य की समाधि है।"
कालांतर में वियतनाम के विदेशमंत्री भारत के दौरे पर आए थे। पूर्व नियोजित कार्यक्रमानुसार उन्हें पहले लाल किला व बाद में गांधीजी की समाधि दिखलाई गई।
ये सब दिखते हुए उन्होंने पूछा " मेवाड़👇
के महाराणा प्रताप और छत्रपती शिवाजी महाराज की समाधि कहाँ..?
तब उन्हें महाराणा प्रताप और छत्रपती शिवाजी महाराज की समाधि के दर्शन कराये गये।
समाधि के दर्शन के बाद उन्होंने समाधि के पास की मिट्टी उठाई और उसे अपने बैग में भर लिया।.. इसपर पत्रकार ने मिट्टी रखने का कारण पूछा।
उन 👇
विदेश मंत्री महोदय ने कहा "ये मिट्टी शूरवीरों की है,
" इस मिट्टी में एक महान् राजा ने जन्म लिया, ये मिट्टी मैं अपने देश की मिट्टी में मिला दूंगा ..!! ताकि मेरे देश में भी ऐसे ही वीर पैदा हो।
एक बार सती ने भगवान शिव से पूछा कि आपके गले में जो मुंड की माला है उसका रहस्य क्या है। शिव ने सती से कहा कि इस मुंड की माला में जितने भी मुंड यानी सिर हैं वह सभी आपके हैं। सती इस बात का सुनकर हैरान रह गयी।
सती ने भगवान शिव से पूछा, यह भला कैसे संभव है कि सभी मुंड मेरे हैं। इस 👇
पर शिव बोले यह आपका 108 वां जन्म है। इससे पहले आप 107 बार जन्म लेकर शरीर त्याग चुकी हैं और ये सभी मुंड उन पूर्व जन्मों की निशानी है। इस माला में अभी एक मुंड की कमी है इसके बाद यह माला पूर्ण हो जाएगी। शिव की इस बात को सुनकर सती ने शिव से कहा मैं बार-बार जन्म लेकर शरीर त्याग करती👇
हूं लेकिन आप शरीर त्याग क्यों नहीं करते।
शिव हंसते हुए बोले 'मैं अमर कथा जानता हूं इसलिए मुझे शरीर का त्याग नहीं करना पड़ता।' इस पर सती ने भी अमर कथा जानने की इच्छा प्रकट की। शिव जब सती को कथा सुनाने लगे तो उन्हें नींद आ गयी और वह कथा सुन नहीं पायी। इसलिए उन्हें दक्ष के यज्ञ👇