बचपन में शरीर कमजोर होने से हर बार लड़ाई झगड़े में दो बार पिटता था। एक बार जिससे लड़ाई होती थी उससे और फिर घर में पिताजी के हाथों।
घर में पिटाई क्यों होती थी कभी समझ नहीं आया लेकिन अब समझ आता है कि शायद पिता मेरी अतिआक्रामकता से चिढ़ते थे, क्योंकि भले आठ (1/5)
अनुपात एक हो, पलट वार जरूर करता था। कबड्डी खेलते समय किसी विवाद पर एक मुस्टंडे लड़के ने जब मुझे कूटा और मुझे लगा कि मैं प्रॉपर उसे पंच नहीं दे पा रहा हूँ तो एक ओर रखी उसकी चप्पलें उठाकर भागा और उन्हें नाले में फेंक आया कि ले बेटा।
बड़ा फनी सीन था, मेरे मुँह से खून बह रहा (2/5)
था और वह नाले में चप्पल ढूंढ रहा था। मैं पिटने के बाद भी हंस रहा था और वह पीटने के बाद भी खून के आँसू रो रहा था।
यूरोपियनों की इसी बात का मैं सदैव कायल रहा हूँ कि वे जबरदस्त रूप से 'सामयिक आक्रामक' हैं, जबकि इसके ठीक विपरीत जैनों की आत्मप्रताड़ना, बौद्धों की निष्क्रिय (3/5)
अहिंसा और सनातन की अतिनैतिकता ने हम हिंदुओं को आनुवंशिक रूप से ओवरडिफेंसिव बना दिया है।
सोशल मीडिया के कारण एक वर्ग आक्रामक जरूर हुआ है परंतु वह यूरोपियन्स की तरह 'वाइज एग्रेसिव' न होकर 'सुसाइडल एग्रेसिव' ज्यादा है।
वह विपक्षी पर कम वार करता है, अपने पक्ष के विरुद्ध (4/5)
एग्रेसिव होकर अपने ही पक्ष के विरुद्ध विशेषतः मोदीजी के विरुद्ध आक्रोश ज्यादा फैलाता है।
मनोविज्ञान के आधार पर कह सकता हूँ कि ऐसे सभी लोग अपने बचपन में अक्सर बाहर पिटते रहे हैं और घर पर मम्मी की गोद में रोते रहे होंगे।
भारतीय सिने इतिहास में 'जय संतोषी माँ' ने बॉक्स ऑफिस इंडिया को हिला दिया था। छोटे बजट 30 लाख की फ़िल्म ने 10.30 करोड़ वर्ल्ड वाइड रिकॉर्डतोड़ कमाई की। इसकी टक्कर जय-वीरू से हुई थी।
जय संतोषी माँ! उस ऐतिहासिक द्वंद के बाद दूसरा इतिहास द कश्मीर फाइल्स लिख रही और तोड़ (1/3)
रही है। नए अध्याय को पन्ने दे रही है।
निर्माता-डिस्ट्रीब्यूटर्स तो सिंगल स्क्रीन मालिकों को अक्सर धमकियां देते आए है। सबको अपनी फ़िल्में चलवानी है। बच्चन पांडवा तो सिर्फ और सिर्फ़ सिंगल नज़दीकी सिनेमाघरों का कंटेंट है।
धर्मा ने शाहरुख खान की रईस को ज्यादा स्क्रीन (2/3)
काउंट मात्र इसी धमकी से दिलवा दिए थे कि बाहुबली 2 मिलेगी। अब अनिल थडानी ने अगली रिलीज का हवाला दिया होगा। यानी धमकी दी होगी। ऐसा होता रहता है कोई दिक्कत नहीं है।
लेकिन... लेकिन! फाइल्स झुकेगी नहीं साला...☺️माइंड इट।
राजस्थान में सालासर रोड पर स्थित सुजानगढ़ के प्रवेश द्वार पर स्थित ‘राम दरबार’ की प्रतिमा तोड़े जाने के बाद विपक्ष राजस्थान सरकार पर हमलावर है। बुधवार (16 मार्च, 2022) की शाम से ही इस पर विवाद चालू है। वीडियो वायरल होने के बाद हिन्दू कार्यकर्ताओं ने सुजानगढ़- (1/7)
सालासर रोड को जाम कर के विरोध प्रदर्शन किया। डेढ़ घंटे तक लगा जाम रात पौने आठ में खुल सका। धरने के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ भी हुआ।
दोनों तरफ से वाहनों की लम्बी कतारें लग गईं, जिस कारण तीन किलोमीटर लम्बे जाम से निपटना प्रशासन के लिए भी मुश्किल हो गया। पुलिस से (2/7)
आक्रोशित हिन्दू कार्यकर्ताओं ने माँग की कि वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर बुलाया जाए। डी एईएन बाबूलाल वर्मा व जेईएन नंदलाल मुवाल को सड़क पर बिठा कर उनसे ‘राम दरबार’ की प्रतिमा को तोड़ने का कारण पूछा गया। एईएन ने सड़क के चौड़ीकरण की बात करते हुए हाथ जोड़ कर माफ़ी माँगी।
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प्रथम: नीतीश चा, मैं बहुत अनप्रेडिक्टेबल आदमी हूँ, मुझे खुद भी नही पता होता है की मैं कब किसकी तरफ हूँ और नीतीश चा के बारे में महान शायर ने कहा है कि उसीको हक़ है इस ज़माने में जीने का जो इधर का दिखता रहे और उधर का हो जाये।
द्वितीय: आकाश (1/4)
चोपड़ा सर, मैं क्रिकेट का बहुत बड़ा फैन हूँ और मैंने सभी महान बल्लेबाजों को खेलते देखा है, पर सर की महानता उनकी बल्लेबाजी नही उनकी बकैती है और आप तो जानतें ही हो कि मेरे जीवन का एकमात्र लक्ष्य सर्वश्रेष्ठ बकैत बनना है और सर से बेहतर गुरु मुझे कहाँ मिल सकता है।
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तृतीय: सदी के महानतम गायक श्री श्री अल्ताफ़ राजा साहब, इनके गानों का मैं इतना बड़ा फैन हूँ कि एक कॉन्सर्ट में केवल नौ लोग आए थे बाकी सब तो चलो इसलिए बैठे थे कि या तो साजिंदे थे या आर्गेनाइजेशन कमिटी की लोग! पर, मैं एकमात्र सुनने वाला था।
सम्हल जायेंगे तो ठीक है नहीं विनाश तो दरवाजे पर खड़ा ही है...
महर्षि कपिल ने एक जगह ऐसा कहा है कि मनुष्यों के कुल वजन से 20 गुना से अधिक वजन पशुओं जलचर नभचर साँप आदि का होना चाहिए... तभी मनुष्य पृथ्वी पर रह सकता है।
यह अनुपात गड़बड़ाते ही प्रकृति आपदा द्वारा मनुष्य का (1/7)
विनाश रच देती है। इसलिए पशु।हिंसा पृथ्वी को बहुत ही गहरा आघात पहुँचाती है।
पृथ्वी को इसीलिए गौ कहा गया है, क्योंकि गौ पर अत्याचार सीधा पृथ्वी पर अत्याचार है। गाय की हत्या कितनी घातक होती है यह बताने की जरूरत नहीं है। हत्या किए जा रहे पशु की आह से सारी समष्टि चेतना (2/7)
चीत्कार करती है, शास्त्रों में साफ साफ आया है कि यह आह ही भूकम्प तूफान महामारी बनकर अपना बदला लेती है।
सारे देवी देवताओं के वाहन भी पशु हैं और पशुओं के प्रति अपनत्व सिखाते हैं।
सर्पों का इस संसार में बहुत ही गहरा रोल होता है, इन्हीं विषधर नागों से पृथ्वी स्थिर है, (3/7)