जुलाई का महीना। ब्रांच मैनेजर पर होम लोन का प्रेशर है। किस्मत से आज ही ब्रांच में होम लोन की फाइल आई है। अमाउंट छोटा ही है। कस्टमर स्थाई सरकारी कर्मचारी है। कागजात लगभग पूरे ही हैं।
फाइल देख के ब्रांच मैनेजर बोलता है कि कुछ दिन में लोन हो जाएगा। बड़े मन से ब्रांच मैनेजर फाइल को सोर्स करके प्रोसेसिंग सेंटर भेजता है। शाम को रिपोर्टिंग वाले व्हाट्सएप्प ग्रुप में भी ढोल पीट देता है "Home Loan sourced - 25 lakh"। अब शुरू होता है इंतज़ार।
एक हफ्ते बाद कस्टमर आता है, "सर, मेरे होम लोन का कुछ हुआ क्या?" ब्रांच मैनेजर प्रोसेसिंग सेंटर फ़ोन लगाता है। पता चलता है कि डेस्क अफसर 2 हफ्ते की छुट्टी पे है। तब से फाइल उसी की डेस्क पर पड़ी है। अगले हफ्ते आएगा तब प्रोसेसिंग में भेजी जायेगी।
अगले हफ्ते फिर कस्टमर आता है। बताया जाता है कि फाइल टाइटल रिपोर्ट और वैल्यूएशन के लिए भेज दी गई है। और दो हफ्ते बीत जाते हैं। कस्टमर आता है। "सर वैल्यूएशन हुए तो 10-12 दिन हो गए। लेकिन अभी तक कुछ पता नहीं है।" ब्रांच मैनेजर फिर प्रोसेसिंग सेंटर फ़ोन लगाता है।
डेस्क अफसर प्रोसेसिंग मैनेजर से बात करने के लिए बोलता है। बहुत बार कोशिश करने के बाद प्रोसेसिंग मैनेजर से बात हो पाती है। "इनकी टाइटल डीड में से 2 पेज गायब हैं। दूसरे एडवोकेट के पास भेजी है फाइल।" फिर दो हफ्ते बीत जाते हैं। फिर प्रोसेसिंग सेंटर फ़ोन लगाया जाता है।
"सर इसमें तो कस्टमर की KYC ही नहीं है। कस्टमर से KYC लेकर भेजिए।" ब्रांच मैनेजर को अच्छे से याद है कि KYC वेरीफाई करके फाइल के साथ भेजी है। लेकिन अब क्या ही कर सकता है। कस्टमर से दोबारा KYC मांगता है।
कस्टमर अब परेशान हो चुका है, "सर प्राइवेट बैंक वाले रोज चक्कर लगा रहे हैं। वहां 4 दिन लगते हैं। आपको दो महीना हो गया। मैं तो पछता रहा हूँ आपकी बैंक में फाइल लगाकर।" किसी तरफ कस्टमर को समझा कर KYC लिया जाता है। फिर एक हफ्ता निकल जाता है।
इस बार सैंक्शन मैनेजर छुट्टी पर है। फिर गई एक हफ्ते की। इस बार ब्रांच मैनेजर भी उकता जाता है। कस्टमर को प्रोसेसिंग सेंटर का एड्रेस दे देता है। "आप जाइये, वहीँ जाकर बात कर लीजिये।" अगले दिन ही प्रोसेसिंग सेंटर से फ़ोन आ जाता है कि "आपने कस्टमर को यहाँ क्यों भेजा?
कस्टमर को डील करना आपका काम है हमारा नहीं।"
इधर RM का फ़ोन आ जाता है, "होम लोन में तुम्हारा इस महीना का परफॉरमेंस जीरो है। मुझे इस महीने तुम्हारी ब्रांच से कम से कम दो होम लोन चाहिए।"
ब्रांच मैनेजर बताता है "सर मेरी एक होम लोन की फाइल प्रोसेसिंग सेंटर में दो महीने से पड़ी है।"
RM साहब मैटर को देख लेने की बात कहकर फ़ोन रख देते हैं।
एक हफ्ता और ऐसे ही निकल जाता है। कस्टमर आता है, "सर मुझे तो मेरे डाक्यूमेंट्स ही वापिस चाहिए। नहीं करवाना आपसे कोई होम लोन।"
ब्रांच मैनेजर: "दो दिन का वक़्त और दे दीजिये। डॉक्यूमेंट मंगवा के देता हूँ।"
ब्रांच मैनेजर दोबारा प्रोसेसिंग सेंटर फ़ोन लगाता है।
"सर आपकी वाली फाइल तो रिजेक्ट हो गई है। आज ही डिस्पैच में डाली है। एक दो दिन में ब्रांच पहुँच जायेगी।"
ब्रांच मैनेजर: "नहीं डिस्पैच में मत डालो उसको। आदमी भेज रहा हूँ फाइल लेने के लिए। मैनेजर तुरंत मैसेंजर को प्रोसेसिंग सेंटर भेजता है।
किसी तरह मैसेंजर वहां से फाइल लेकर आता है। मैनेजर फाइल पे लगा रिजेक्शन नोट की डेट देखता है। तीन हफ्ते पहले की डेट है।
मैनेजर कस्टमर को बुला के डॉक्यूमेंट वापिस दे देता है और असुविधा के लिए माफ़ी मांगता है।
मार्च का महीना खत्म होने में एक ही हफ्ता बाकी है। आज भी एक होम लोन की फाइल आई है। दूसरी बैंक से टेकओवर है। मैनेजर देखता है कि फाइल में दम नहीं है। ज़मीन रजिस्टर्ड नहीं है।
दूसरी बैंक ने फोरक्लोज़र लेटर भी बना के नहीं दिया है। शाम को RM का फ़ोन आता है। इस साल रीजन का होम लोन का टारगेट पूरा नहीं हुआ है। आदेश है कि होम लोन की जो भी फाइल ब्रांच में हो तुरंत प्रोसेसिंग सेंटर भेजी जाए।
-"सर लेकिन इसमें डाक्यूमेंट्स पूरे नहीं है। दूसरी बैंक ने फोरक्लोज़र लेटर भी नहीं दिया है। कस्टमर को बोला है बाकी के डाक्यूमेंट्स जल्दी लाने के लिए।"
-"मूर्ख हो तुम।मार्च के महीने में कौन देगा उसे फोरक्लोज़र लेटर? प्राइवेट बैंक कभी चाहेगी कि उसका लोन टेकओवर हो?वो भी मार्च के महीने में?फाइल जैसी भी भी तुरंत भेजो।"
-"ओके सर"
ब्रांच मैनेजर अधूरी फाइल ही प्रोसेसिंग सेंटर भेजदेता है।
दो दिन बाद ही प्रोसेसिंग सेंटर से फ़ोन आजाता है
"सर लोन सैंक्शन हो गया है। कस्टमर को बुला के डॉक्यूमेंटेशन करवा लीजिये। AGM सर का आदेश है कि इस महीने में लोन डिस्बर्स होना चाहिए किसी भी तरह।"
"लेकिन सर कस्टमर तो बाहर है। एक हफ्ते बाद आएगा।"
"कोई बात नहीं। DD बना के रख लो। इस ईयर में काउंट हो जाएगा। कस्टमर जब आये तो बैक डेट में साइन करवा लेना।अगली ऑडिट से पहले सारे डॉक्यूमेंट पूरे कर लेना।"
शाम को ब्रांच मैनेजर ने ऑफिस के व्हाट्सएप्प ग्रुप में अपना नाम देखा, "Congratulations to Pradeep ji for disbursement of 50 lakh home loan"
ब्रांच मैनेजर समझ ही नहीं पाया कि मुस्कुराये या रोये।
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होम पोस्टिंग तो मिली। घर से 40 किलोमीटर दूर ही सही। नई ब्रांच में शुरू शुरू में तो दिक्कत आती है। अभी रोज नौ बजते हैं। धीरे धीरे शायद सात बजे तक बंद कर पायेगा ब्रांच को। लेकिन मम्मी के घुटनों का दर्द बढ़ता हो जा रहा है।
एक बार दिखाना तो पड़ेगा ही। संडे को डॉक्टर नहीं देखता और छुट्टी वाले शनिवार को कम्बख्त किसी न किसी बहाने से ब्रांच बुला लेते हैं। एक दिन छुट्टी लेके दिखाना ही पड़ेगा। इतनी सारी CL पड़ी हैं। कल बोलेगा HR मैनेजर को। चाबी न होती तो बिना बोले ही चला जाता।
साली चाबी न हुई हथकड़ी हो गई। HR मैनेजर को कॉल किया। तीन चार बार बिजी आने के बाद फाइनली कॉल लगा।
-"सर, ABC ब्रांच से फलाना बोल रहा हूँ। मम्मी की तबियत खराब है। एक दिन की छुट्टी चाहिए।"
पांच साल के लम्बे इंतज़ार बाद किसी तरह होम पोस्टिंग मिली थी। ओडिशा के सुदूर इलाके से निकल कर अपने राज्य पहुंचा तो बहुत राहत अनुभव कर रहा था। एक हफ्ता पोस्टिंग के इंतजार में हेड ऑफिस में गुजारने के बाद होम डिस्ट्रिक्ट का लोकल ऑफिस अलॉट हो गया था।
अब वहाँ से ब्रांच अलॉट होनी थी। "भगवान् ने यहाँ तक साथ दिया है तो आगे भी देगा ही", सोचकर रीजन ऑफिस पहुंचा। उसने आगे का पूरा SOP सोच रखा था। "चॉइस पूछेंगे तो तो XYZ ब्रांच बताऊंगा। अकाउंटेंट या फील्ड अफसर कि पोस्ट बढ़िया रहेगी। घर के नजदीक भी रहूंगा।
घरवालों के सारे अकाउंट वहीँ ट्रांसफर करवा लूँगा। घर के भी काम कर दिया करूंगा।" लेकिन उसकी उम्मीदों पर तब पानी फिर गया जब RM ने बुलाया। "तुमको ABC ब्रांच में मैनेजर बना रहे हैं। बहुत बढ़िया ब्रांच है। तीन साल से हमारी One of the Best performing ब्रांच है।
कस्टमर साहिबा: मैं इंटरनेट बैंकिंग का ID password भूल गई हूँ। रिसेट करवाना है।
बैंक स्टाफ: ओके, पिछली बार कब लॉगिन किया था?
कस्टमर साहिबा: याद नहीं, तीन चार साल हो गया।
बैंक स्टाफ: कोई बात नहीं। मोबाइल पर बैंक की इंटरनेटबैंकिंग की वेबसाइट खोलो। उसमें फॉरगेट पासवर्ड पे जाओ। फिर उसमें फॉरगेट यूजरनाम पे जाओ।
कस्टमर साहिबा: इसमें तो CIF और अकाउंट नंबर मांग रहा है?
बैंक स्टाफ: हाँ तो डालो न।
कस्टमर साहिबा: मेरे पास नहीं है।
बैंक स्टाफ: क्यों? पासबुक नहीं लाई?
कस्टमर साहिबा: नहीं।
बैंक स्टाफ: कल पासबुक लेकर आना। बाकी का काम तब होगा।
कस्टमर साहिबा: घर पर भी नहीं है पासबुक। शायद खो गई।
बैंक स्टाफ: अच्छा आधार और पैन कार्ड दीजिये।
कस्टमर साहिबा: ओरिजिनल नहीं है। मोबाइल में फोटो है।
कुछ दिनों पहले एक बैंकर साथी ने पिछले कुछ दिनों से बंद पड़े हमारे ज्ञान चक्षु खोलने की कोशिश करते हुए बताया कि पुरानी पेंशन स्कीम से सरकारी कर्मचारी बर्बाद हो जाएंगे और नई पेंशन स्कीम पुरानी वाली से कहीं बेहतर है।
पहले तो हमने इस तर्क को श्रीमदमोदीगीता का प्रभाव मनाते हुए नज़रअंदाज़ करने की कोशिश की मगर बाद में अहसास हुआ कि इस प्रकार तो ना जाने कितने बैंकर भाई और अन्य सरकारी कर्मचारी 'राष्ट्रहित' में अपने भविष्य का बलिदान देकर दधीचि के छद्माभास में बैठे होंगे।
इसलिए आज हम 2014 के बाद ही खुले कई ज्ञानचक्षुओं को पुनः बंद करने की असफल कोशिश करने के लिए अपना वित्तीय वर्षांत के अंतिम सप्ताहांत के चार घंटे बर्बाद करके ये थ्रेड लेकर आये हैं।
एक सीनियर बैंकर जिनसे सिर्फ दो दिन मुलाकात हुई मगर एक जैसी परिस्थितियों का भुक्तभोगी होने के कारण अच्छी मित्रता हो गई, कुछ दिन पहले मिले। बताया कि कुछ दिन से छुट्टी पे चल रहे हैं। हमने पूछा कि फरबरी-मार्च में छुट्टी?
वो भी बैंक में? वो भी ब्रांच मैनेजर रहते हुए? और वो भी सिंगल अफसर ब्रांच में? हम उनके इस सौभाग्य पर मन ही मन ईर्ष्या में जल-भुन रहे थे कि उन्होंने बताया कि उनको डॉक्टर ने MDD और GAD बताया है। अब ADS, CBS, CCDP वगैरह तो समझ में आता है ये MDD और GAD पहली बार सुना था।
पूछने पर सर ने बताया कि MDD मतलब Major Depression Disorder और GAD मतलब General Anxiety Disorder. अब बात थोड़ी गंभीर हो गई थी। सर ने बताया कि बीमारी का अंदेशा तो काफी पहले से था लेकिन डॉक्टर को दिखाने का समय ही नहीं मिल पा रहा था।