निस्संदेह मुश्किल तो बहुत होगी कि पिता का हत्यारा सामने हो और आपकी सारी नफरत जाती रही हो। ऐसा करना मुश्किल ही नही नामुमकिन के करीब है पर राहुल गांधी ने ऐसा किया? प्रियंका अपने पिता के हत्यारे से तो जेल में मिलकर चली आई,ऐसे कोई करता है? 1/8
यह और इस जैसी बातें राहुल को अलग बनाती है, बेहद अलग। मोदी और उन जैसे तमाम नेता उस अपरिग्रह के बारे में सोच नही सकते जो राहुल की सबसे बड़ी कमाई है।
मुझे अक्सर 28 जुलाई 1987 की रात का वह वाकया याद आता है कब एलटीटीई चीफ प्रभाकरण तेज़ी से चलते हुए 2/8
प्रधानमंत्री राजीव गांधी के घर में स्थित कार्यालय में पहुँचा। राजीव ने मुस्कुराते हुए प्रभाकरण का एक डिनर में अपने घर पर स्वागत किया, प्रभाकरण देर रात जाने लगा तो राजीव गांधी ने राहुल को अपनी बुलेट प्रूफ़ जैकेट लाने को कहा। राहुल जैकेट लेकर आए तो
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राजीव ने उसे बड़ी आत्मीयता से प्रभाकरण को पहनाने के बाद उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा ‘अपना ध्यान रखना’।
अगले दिन राजीव गांधी श्रीलंकाई सैनिकों की टुकड़ी से गार्ड ऑफ़ ऑनर ले रहे थे कि एक सिंहली सैनिक ने उन पर राइफल के ठुड्डे (बट) से हमला बोल दिया। राजीव उस हमले में बच गए 4/8
लेकिन उसी प्रभाकरण के लिट्टे ने चार साल बाद उन्हें बम से उड़ा दिया। मैं अक्सर सोचता हूँ कि राहुल को उस रात की याद आती है या नही जब राजीव जी ने प्रभाकरण को कहा था कि अपना ख्याल रखना?
आज राहुल जब बोल रहे थे तो सिर्फ राहुल गांधी नही बोल रहे थे। 5/8
सत्ता की बरजोरी का शिकार देश का अल्पसंख्यक , दलित, खबरनवीस ,एक्टिविस्ट सभी बोल रहे थे। कोई भाजपा या कांग्रेस का दो टकिया नेता नही बोल रहा था वैसे भी मैं जब राहुल के बारे में लिखता हूँ तो कांग्रेस को छोटा मानता हूं। 6/8
तो आज जो राहुल ने कहा कि माफ कर देना है यह एक मुश्किल काम है लेकिन राह भी इसी में छिपी हुई है। बीजेपी, मोदी, शाह रिएक्शन चाहते हैं। उनके लिए हर रिएक्शन एक औजार है जिसके सहारे वह सत्ता में बने रह सकते हैं। राहुल की मानें तो हमें माफ करते जाना होगा। 7/8
मुमकिन है हमें खुद को प्रताड़ना देनी पड़े, गुरेज नही करना है। एक कोई सीमा जरूर होगी जहां यह खुद से भी आंख नही मिला पाएंगे। इंतजार करिए। 8/8