में आपने राजपूत भाईयो से कुछ दिल के बात करना चाहता हूं।
आज हम सब राजपूत भाईयो के लिए महाराणा प्रताप जयंती एक पर्व के समान है। हमारे पूर्वजों ने हमारे हिंदू समाज लिए बहुत बलिदान दिए है।
हमारे बहादुर राजा कम सेना होने के बावजूद भी रण में केसरिया बाना के साथ अपनी अंतिम सास तक लड़ते थे। सिर कट जाने के पश्चात भी उनका शरीर दुस्मानो को रणभूमि में धूल चाटा दिया करता था। हमारी रानियां बेखौफ होकर जोहर कर लिया करती थी।
इतिहास के अनुसार हमको बताया गया "के राजपूत यहा पे हारे राजपूत बहा पे हारे"। माना अगर हम हर युद्ध हारे ही तो फिर भी राजस्थान और पूरे भारत में हिन्दू बहुसंख्या में कैसे रह गया। इतिहास बदलने से कोई किसी की बहादुरी और बलिदान के प्रमाण नहीं बदल सकता।
धिक्कार है ऐसे इतिहास पे जो अकबर को आज भी महान बताता हो। राजपूत भाईयो ये समय पुनर्जागरण का हैं।
हमारे पूर्वजों के बलिदान और उनके कर्मों के कारण आज भी हम हिंदू हैं। हिंदू होना गर्व के बात है पर राजपूत होने किस्मत की बात है।