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महाराणा का असली लक्ष्य "हिन्दू राष्ट्र"

जब श्रधेय प्रताप महाराणा बने तो मेवाड़ युद्ध हारा हुआ, अकबर के जेहाद से रक्तरंजित, अस्त्मान सूर्य था, सीमाए सिकुड़ गई थी!

महाराणा मेवाड़ की जनता, कोल-भील, व्यापारी, सैनिक और सामंतों के लाडले थे, प्रिय थे

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सिसोदिया राजवंश और भीलों के बीच हज़ार वर्ष की कटुता का इतिहास था, पर यही भील श्रधेय प्रताप को भाई जैसा मानते थे, उनके साथ युद्ध में अंतिम सास तक लड़े!
जिस अखंड हिंदुत्व का लक्ष्य भीलों को युगों से न समझ आया, महाराणा की सीख उन्हें तुरंत समझ आ गयी

#महाराणा_प्रताप_जयंती
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मुगलों के पास तुर्की मैचलॉक बंदूकें थी, मालवा के हाथी थे, भारतीयों से लूटा हुआ अकूत पैसा था, मानसिंह और टोडरमल जैसे गद्दार थे, जैसे आज के सेक्युलर!

पर श्रधेय प्रताप के पास जो था वो इन सब से लाख गुना शक्तिशाली था, वो शस्त्र था #सनातनी_स्वाभिमान

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अकबर मीना बाजार लगा कर स्त्रियों से छिछोरी हरकतें करता था!
श्रधेय प्रताप मेवाड़ के स्वतंत्रता की मनौती में ब्रह्मचर्य का व्रत लेते हैं!

अकबर अफीम और शराब पीकर लोगों पर हाथी चढ़ा देता है!
श्रधेय प्रताप भीलों के साथ घास की रोटी खाते हैं!

#महाराणा_प्रताप_जयंती
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मुगलों का बादशाह अपने पिता तुल्य बैरम खान की पत्नियों को हरम में खींच लाया था!

मेवाडियों के सेवक श्रधेय प्रताप अपने कब्जे में आयीं रहीम खानखाना की स्त्रियों को ससम्मान विदा करते है!

जब रहीम की स्त्रियां घर लौटी तो उसने लिखा
"जो दृढ़ राखे निज धर्म को, तिह राखे करतार"

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रहीम ने त्यागपत्र दिया और प्रताप के विरूद्ध शस्त्र ना उठाने का संकल्प लिया, संसार में तलवारो से बहुत शत्रु हटाए गए, पर अपने चरित्र से शत्रु को जीतने वाले अनूठे पुरुष थे श्रधेय प्रताप!

कुछ लोगों को लगता है कि उनका अकबर के विरुद्ध संघर्ष सिर्फ एक पूर्वाग्रह था!

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प्रताप का अकबर को ' तुरक ' कहने के क्या मायने हैं, इन समझने के लिए भारतीय युद्ध नियमो पर एक निगाह डालने की आवश्यकता है

भारत में युद्ध बहुत हुए, पर कत्ल-ए-आम नहीं! भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत ने करीब 8000 जानें गवाईं हैं!

#महाराणा_प्रताप_जयंती

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पर अकबर ने चित्तौड़ जीतने के बाद भी करीब 32000 लोगों को कसाई खाने के पशुओं की तरह कटवा डाला, उसने ठीक ठीक साबित कर दिया था कि धर्म निरपेक्षता के मुखौटे के पीछे जो जानवर छुपा है वो भारत से हिंदुत्व की अवधरणा को खत्म करना चाहता है

#महाराणा_प्रताप_जयंती
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खैर
एक दिन श्रधेय प्रताप वीरगति को प्राप्त हुए और अकबर भी शराब से लिवर खराब होने से मर गया

लेकिन अकबर और जहांगीर की जयंतियां नही मनती!

वही श्रधेय प्रताप राष्ट्र को हमेशा याद रहे उनकी जयंती पर माल्यार्पण होते है, रक्त दान होते है! उन्हें याद कर लोग आज भी रो देते हैं!

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महाराणा के बल, शौर्य व चरित्र के साथ साथ उनके उद्देश्य को जानना समझना जरूरी है!

उनके लक्ष्य को छत्रपति जानते थे, बंकिमचंद्र जानते थे, भगतसिंह जानते थे, सरदार पटेल जानते थे, वर्तमान नेतृत्व जानता हैं!

उनका असली लक्ष्य था अखंड भारत में भगवा ध्वज लहराना!

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नही जानती तो हमारी ये अभागी पीढ़ी कि महाराणा उस सनातन, चिरंतन हिंदू राष्ट्र के लिए लड़े जिसकी भौगोलिक सीमाएं सुदूर ऑक्सस नदी से लेकर कन्याकुमारी तक फैली हुई थीं।

उनके लक्ष्य को समझना ही महाराणा को वास्तविक श्रद्धांजलि है।

श्रधेय प्रताप अमर रहें🙏

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