सिसोदिया राजवंश और भीलों के बीच हज़ार वर्ष की कटुता का इतिहास था, पर यही भील श्रधेय प्रताप को भाई जैसा मानते थे, उनके साथ युद्ध में अंतिम सास तक लड़े!
जिस अखंड हिंदुत्व का लक्ष्य भीलों को युगों से न समझ आया, महाराणा की सीख उन्हें तुरंत समझ आ गयी
मुगलों का बादशाह अपने पिता तुल्य बैरम खान की पत्नियों को हरम में खींच लाया था!
मेवाडियों के सेवक श्रधेय प्रताप अपने कब्जे में आयीं रहीम खानखाना की स्त्रियों को ससम्मान विदा करते है!
जब रहीम की स्त्रियां घर लौटी तो उसने लिखा
"जो दृढ़ राखे निज धर्म को, तिह राखे करतार"
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रहीम ने त्यागपत्र दिया और प्रताप के विरूद्ध शस्त्र ना उठाने का संकल्प लिया, संसार में तलवारो से बहुत शत्रु हटाए गए, पर अपने चरित्र से शत्रु को जीतने वाले अनूठे पुरुष थे श्रधेय प्रताप!
कुछ लोगों को लगता है कि उनका अकबर के विरुद्ध संघर्ष सिर्फ एक पूर्वाग्रह था!
थ्रेड 6/11
प्रताप का अकबर को ' तुरक ' कहने के क्या मायने हैं, इन समझने के लिए भारतीय युद्ध नियमो पर एक निगाह डालने की आवश्यकता है
भारत में युद्ध बहुत हुए, पर कत्ल-ए-आम नहीं! भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत ने करीब 8000 जानें गवाईं हैं!
पर अकबर ने चित्तौड़ जीतने के बाद भी करीब 32000 लोगों को कसाई खाने के पशुओं की तरह कटवा डाला, उसने ठीक ठीक साबित कर दिया था कि धर्म निरपेक्षता के मुखौटे के पीछे जो जानवर छुपा है वो भारत से हिंदुत्व की अवधरणा को खत्म करना चाहता है
खैर
एक दिन श्रधेय प्रताप वीरगति को प्राप्त हुए और अकबर भी शराब से लिवर खराब होने से मर गया
लेकिन अकबर और जहांगीर की जयंतियां नही मनती!
वही श्रधेय प्रताप राष्ट्र को हमेशा याद रहे उनकी जयंती पर माल्यार्पण होते है, रक्त दान होते है! उन्हें याद कर लोग आज भी रो देते हैं!
थ्रेड 9/11
महाराणा के बल, शौर्य व चरित्र के साथ साथ उनके उद्देश्य को जानना समझना जरूरी है!
उनके लक्ष्य को छत्रपति जानते थे, बंकिमचंद्र जानते थे, भगतसिंह जानते थे, सरदार पटेल जानते थे, वर्तमान नेतृत्व जानता हैं!
उनका असली लक्ष्य था अखंड भारत में भगवा ध्वज लहराना!
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नही जानती तो हमारी ये अभागी पीढ़ी कि महाराणा उस सनातन, चिरंतन हिंदू राष्ट्र के लिए लड़े जिसकी भौगोलिक सीमाएं सुदूर ऑक्सस नदी से लेकर कन्याकुमारी तक फैली हुई थीं।
उनके लक्ष्य को समझना ही महाराणा को वास्तविक श्रद्धांजलि है।
श्री जगन्नाथ जी की रथयात्रा के पावन दिवस पर आइए बताता हूँ आपको वो कहानी जो आपको रुला देगी।
क्या आपको पता है भगवान जगन्नाथ मंदिर पर हुए 17 हमलों की वजह से उन्हें 144 वर्षों तक पूरी मंदिर से दूर रहना पड़ा, इस्लामिक आतंकवाद का सच जानिए इस थ्रेड में
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जगन्नाथ मंदिर को नष्ट करने के लिए #पहला_हमला वर्ष 1340 में बंगाल के सुल्तान इलियास शाह ने किया था, उस वक्त ओडिशा, उत्कल प्रदेश था। इलियास ने मंदिर परिसर में बहुत खून बहाया और निर्दोष लोगों को मारा, लेकिन राजा नरसिंह देव, पुजारियों और आमजन मूर्तियों को बचाने में सफल रहे
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वर्ष 1360 में दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने जगन्नाथ मंदिर पर #दूसरा_हमला किया।
मंदिर पर #तीसरा_हमला 1509 में इस्माइल गाजी ने किया। पुजारियों ने मूर्तियों चिल्का लेक द्वीप में छुपा दिया राजा रुद्रदेव ने सुल्तान की सेनाओं को हुगली में हरा दिया और भागने पर मजबूर कर दिया
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