📝मुसलमान जानवरों पर जुल्म करते हैं ? ( किस्त 3 )

पिछली किस्त में हमने देखा कि कुरबानी के फायदे कितने है

ये भी याद रहे कि इस्लाम ने जानवरों के बारे में जो  ताकीद फरमाई है उसकी मिसाल किसी दुसरे मजहब मे देखने नहीं मिलती

जैसे कि
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हुजुर ﷺ एक शख्स के पास से गुजरे जिसने अपनी बकरी पर पाऊं रखा हुआ था ओर अपनी छुरी तेज कर रहा था ओर बकरी उस की तरफ देख रही थी, तो हुजुर ﷺ ने इरशाद फरमाया क्या तुम पेहले ऐसा नहीं कर सकते थे? क्या तुम इसे कई मौते मारना चाहता हो ? इसे लिटाने से पेहले अपनी छुरी क्यूं न  तेज कर  ली?
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📚( المستدرک ، الحدیث 7637)

हुजुर नबी ए रहमत ﷺ ने जानवर के चेहरे पर दागने ओर मारने से मना फरमाया

📚( صحیح ابن حبان  ، الحدیث 5591)

हुजुर ﷺ ने उन लोगों पर लानत फरमाई जो जी रुह शै ( इन्सान ओर जानवर ) को निशाना बनाए ( यानी इन्सान ओर जानवर को सामने रख कर उस
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पर निशाना साध कर मारना )
📚( صحیح مسلم ، الحدیث 5062 )

सय्यिदुना अब्दुल्लाह इब्ने उमर रदीयल्लाहु त'आला अन्हु ने देखा कि एक शख्स अपनी बकरी को जब्ह करने के लिए उसकी टांग को घसीट रहा था , आप रदीयल्लाहु त'आला अन्हु ने फरमाया  " तेरे लिए खराबी है , इसे मौत की तरफ अच्छे अन्दाज
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मे ले कर जा "

📚( المصنف لعبد الرزاق ، الحدیث 8636 )

यहां तक हुक्म है कि अपनी छुरी तेज रखो ताकि जानवर को ज्यादा तकलीफ न हो , जल्दी मर जाए , ओर उसे अच्छे तरीके से जानवर को जब्ह करो ,
एक जानवर के सामने दुसरे जानवर को जब्ह न करो
बिला जरुरत एक चिड़िया को भी कत्ल न करो वगैरह
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इसलिए इस्लाम मे इन्सानों की जरुरत का भी ख्याल रखा गया है ओर दुसरो पर रहम ( दया ) करने का भी हुक्म है

यानी जानवर को जब्ह करने का हुक्म दीया है इसका मतलब ये नहीं कि हम जानवर पर जुल्म करेंगे ओर जैसा चाहे उसे मारे पीटे ओर खराब बरताव करे बल्कि जानवर से अच्छा सुलूक करना चाहिए
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ओर ऐसा भी नहीं कि सिर्फ रहम की बात की जाए अगर सिर्फ रहम रहम की रट लगाएंगे तो दुनिया का निजाम ( Management ) दरहम बरहम ( अस्त व्यस्त ) हो जाएगा ओर इन्सान भुखे मरेंगे

अल्लाह ﷻ हम से बहोत ज्यादा रहीम है फिर भी उसने जानवर को जब्ह करने का हुक्म दिया है इसका मतलब कि इसमे हिक्मत है
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अगर  इस्लाम का कोइ कानून हमे समझ मे नहीं आता तो इसमे हमारी अक्ल का कसुर है ओर बस अल्लाह ﷻ व रसुल ﷺ का हुक्म आंख बंद कर के मान लेना चाहिए.
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#EidAlAdha

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Jul 9
📝मुसलमान जानवरों पर जुल्म करते हैं ? ( किस्त 2 )

ओर दुसरा फायदा ये कि कुरबानी के दिनो मे जो जानवर जब्ह किये जाते हैं उससे मुल्क को करोडो का फायदा होता है ,ये सब को नजर क्यूं नहीं आता ?

अगर भारत मे 2 करोड मुसलमान बकरा जब्ह करते हैं ओर मान लिया जाए के एक बकरा 10,000 का है तो 👇🏼
2 करोड  × 10,000 = 20 हजार करोड
ये पैसे कहा जाते हैं? चाइना मे ? नहीं सिर्फ भारत मे ये पैसा जाता है

ये तो मिसाल है वर्ना  कइ मुसलमान 20 हजार या उससे ज्यादा के जानवर भी खरीदते हैं

अब एक मुसलमान गोश्त काट कर कम से कम 10 लोगो को देता है
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इसलिए 2 करोड × 10  = 20 करोड लोग मुफ्त मे खाना खाते हैं
अब अगर ये पढ कर किसी को तसल्ली न हुइ ओर अभ भी कोइ ये माने के जान वाली चिज को जब्ह करना जुल्म है , तो याद रखे के फिर ये बात बहोत दुर तक जाएगी
आज साइन्सादां ( scientist ) ये केहते है कि पेड ,पौधे भी सजीव ( जानदार है.)
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Jul 9
📝मुसलमान जानवरों पर जुल्म करते हैं  ? ( किस्त 1 )

कुछ लोग जो इन्सानों को भी बेरेहमी से मार देते हैं वोही लोगो को कुरबानी के दीन आते ही जानवर पर रहम आने लगता है

ओर इसका मक्सद फकत इस्लाम पर ऐतराज करना होता है

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अल्लाह तआला ने एक निजाम बनाया हुआ है कि एक चिज को दुसरी चिज खाती है जिसे फुड चेन ( Food Chain ) केहते है

मसलन छोटे किडो को तितीघोडा ( grasshopper ) खाता है , उसे मेंढक खाता है , मेंढक को सांप , उसे बाज ( Hawk ) खाता है वगैरह

अगर इस चेन को तोड दिया जाए तो
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जो नुकसान होगा उसका तसव्वुर ही दिल देहला देता है

मसलन चाइना मे 1958 से 1962 तक एक मुहीम चलाई गइ कि सारी चिड़ियों को मार दिया जाए क्योंकि ये चिड़िया खेतों का अनाज खा जाती है., इसके बाद 4 साल मे लाखो चिड़िया मार दी गई ओर इसका नतीजा ये निकला कि कहतसाली हुई ओर
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Sep 24, 2021
झूटो पर अल्लाह की बेशुमार लानत।
अव्वल तो हवाला अधूरा, और असल रिवायत को ही बदल कर पेश किया गया है।
कुल तहरीर विलादत ए पाक बिना पढ़े ही फैसला कर किसकी पहरवी कर रहे हो।
चलिए आपको तहकीक का असली आईना दिखा देते है और इमाम अहले सुन्नत ने क्या तहरीर फरमाए है उससे रुबरू करवाते है
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जश्न ए ईद मिलाद उन नबी

के मोके पर एक गिरोह वहाबी+देवबंदी हस्ब ए आदत और हस्ब ए मामूल हुज़ूर अकरम शाफे रोज़ जज़ा,सैय्यद उल मुर्सलीन खतिमुल अंबिया

की तारीख ए विलादत ओ तारीख ए विसल से मुत्तलिख झूट बोले और लिखने के साथ साथ ऐक काम ये भी  किया के झूठ को इमाम अहले सुन्नत
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शाह अहमद रजा खान रहमतुल्लाह अलैह की तरफ मनसूब करते होए पमफिल्ट की और इस्तिकर की निकल और फेसबुक पर पोस्टिंग की ।

पैदैश ए नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 8 रबी उल अव्वल है और वफ़ात ए नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 12 रबी उल अव्वल है तहकीक ए आला हज़रत अहमद रज़ा ख़ान बरेलवी
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Read 25 tweets
Sep 1, 2021
कया आपने कुतुब ए अहादीस का मुताला कर के यह रिवायत लिखे हो ?
क्या आपको को पता है की दीगर कुतुब ए साहिहा में मुहादीसीन की शरा: क्या है ?
अगर आपकी पेश करदा रिवायत पर अमल पैरा हो तो फिर शुरू से लेकर तबाईं के दौर तक भी कोई मुसलमान नही रहेगा ।
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मिश्कात किताब उल जनाइज़ बाब दफन सफा १४९
में है की जब आका अलैहि सलाम ने हज़रत उस्मान इब्न मज’उन रज़ी अल्लाह अनहो को दफन फरमाए तो उनकी कबर के सरहाने एक पत्थर नसब फरमाया और फरमाया कि "हम इसे अपने भाई की कबर का निशान लगाएंगे और इसी जगह अपने अहले बयत को दफन करेगे" 👇
इस हदीस से मालूम हुआ के आका अलैहि सलाम ने हज़रत मज’उन रज़ी अल्लाह अन्हो की कबर पे पत्थर लगाकर ये बताए यह किसी खास की कबर है और यहां अहले बयत को दफन करेगे।

📌बुखारी जिल्द 1, किताबुल जनाईज बाब मा जाहा फि कबारिन नबी व अबी बकरिन व उमर में है हज़रत उर्वाह रज़ी अल्लाह अन्हों फरमाते👇
Read 10 tweets
Aug 31, 2021
Angrezo ke wafadar, Rasheed Ahmad Gangohi:

Gangohi sahab ne khud Iqrar kiya hai, chunache Ashiqe Ilaahi Merathi Deobandi, Gangohi ka qaul likhte hain,
"Main jab Haqiqat me sarkar ka farma-bardaar raha hu, to Jhuthe ilzam se mera baal bhi beeka na hoga.
Scan👇 ImageImage
"Aur agar maara bhi gaya to Sarkar Malik hai, usey Ikhtiyar hai jo chahe kare"

(Tazkiratur Rasheed J-1 Pg.121)

Ye baat to wazeh hui ki Deoband ke peshwa Angrezo ke wafadar rahe hain,
Wo bhala Angrezo se jihad kya karenge.??
👇
Balki wo Angrezi sarkar ko apna Malik likha hai, Sarkar ko Ikhtiyar hai jo chahe kare.
.
Magar yehi Deobandiyo ka Ismaeel Dehelvi ki kitab se Aqeeda hai ki "Jiska naam Mohammad ya Ali hai usko kisi chiz ka ikhtiyar nahi"
(MaazALLAH)
(Taqviyatul Eiman Pg.51)
👇
Read 4 tweets
Aug 31, 2021
AKABIREEN DEOBAND KA IQRAR QABAR MEIN GHAUS E AZAM KA NAAM LENE SE BHAKSISH HOGAYI

Kitab Ka Naam :
Hazrat Thanvi K Pasandida Waqiya
Safa No.42.

Dusri Kitaab
Al-Ifazat ul Yomiya
Jild No 02
Safa No 92
👇 ImageImageImage
Deobandiyo Ke Hakeem Ul Ummat Ashraf Ali Thanvi Ne Ek Waqiya Naqal Kiya Hain
Ghaus E Azam Shaykh Abdul Qadir al-Jilani Alayhi Rahma Ka Ek Dhobi Tha Jab Wo Maar Gaya Toh Farishtey Qabar Mein Us Dhobi Se Sawal Kiye
1.Man Rabbuka?
2.Maa Deenuka?
👇 ImageImage
3. Ma kunta taqulu fi haqqi hazar rajul?
Toh Wo Dhobi Kisi Suwal Ka Bhi Jawab Nhin Diya Balkey Har Sawal Ke Jawab Mein Kaha Main Toh GHOUS-E-AAZAM Ka Dhobi Hoon Toh Uski  Bakhshish Ho Gayi..

📚( Hazrat Thanvi K Pasandida Waqiya )

📚( Al-Ifazat ul Yomiya )
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