#कांग्रेस_का_हाथ_देशद्रोहियों_के_साथ!
मोo इस्माइल मुस्लिम लीग के मद्रास प्रांत के बड़े नेता थे,1946 के चुनाव में प्रांत अध्यक्ष रहते उन्होंने जिन्ना को सभी मुस्लिम रिजर्व 29 सीटें जिता कर दी थीं, ताकि जिन्ना अलग इस्लामिक देश पाकिस्तान बना सके।
खिलाफत आंदोलन में भी सक्रिय
रहे ..
और बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था ।
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बन गया लेकिन आपने आज तक एक भी मद्रासी मूल का पाकिस्तानी नहीं देखा होगा....!
क्योंकि जिन मोo इस्माइल ने 1946
में जिन्ना को मद्रास में विजय दिलाई थी वो ना तो खुद पाकिस्तान गए, और ना ही उनके कहने पर जिन्ना को वोट देने
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वाला उनका कोई समर्थक पाकिस्तान गया ।
अब सवाल यह है कि - पाकिस्तान बनवाने के बाद मोo इस्माइल पाकिस्तान क्यों नहीं गए ? और भारत
में रह कर क्या क्या किया ??
मोo इस्माइल ने 1948 में ही एक नई
पार्टी बनाई नाम रखा 'ऑल इंडिया मुस्लिम लीग, और भारत को ही पाकिस्तान बनाने के काम में...
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जुट गए ...!
जिस कांग्रेस के खिलाफ वे 1940 के दशक में जिन्ना के नेतृत्व में लड़ रहे थे
आज वही 'आल इण्डिया मुस्लिम लीग पार्टी' उसी कांग्रेस के साथ मिल कर चुनाव लड़ती है ।
साल 1946 में जिन्ना के साथ मिल कर पाकिस्तान बनवाने वाले मोo इस्माइल के सम्मान में कांग्रेस सरकार ने उनके
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फोटो का एक डाक टिकट
भी जारी किया था ।
अब बताओ क्या भारत विरोधियों का ऐसा सम्मान कांग्रेस के अलावा किसी
अन्य पार्टी में हो सकता है ? हाल ही
में चर्चित देश की एक गद्दार एनजीओ
मालिक तिस्ता जावेद सेतलवाड को
को भी तीन सम्मानों से पुरस्कृत किया
गया था । कांग्रेस में इस तरह के...
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" सम्मान,, बांटने की यह फेहरित काफी लंबी है।
अब तो यह बुराई भाजपा को छोड़ अन्य पार्टियों में भी प्रवेश कर गई है ।
हिंदू तो शनै: शनै: जाग रहा है, लेकिन ....!
क्या सेकुलर की भी आंखें कभी खुलेंगीं ??
शायद नहीं...! वह जान बूझ कर आंखें बंद किए है, क्यों कि ....
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*प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे किया राष्ट्र को समर्पित*
जनपद जालौन के कैथेरी गांव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बटन दबाकर इसे राष्ट्र को समर्पित किया
अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस एक्सप्रेस वे से बुंदेलखंड की तकदीर बदल...
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रही है ।
साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यह भी कहा कि बुंदेलखंड में कई ऐतिहासिक महत्व के किले और धरोहरें है जिन्हें संजोने की आवश्यकता है
हिस्टोरिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से क़दम बढ़ाने को कहा उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड
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में कई ऐतिहासिक महत्व के किले और धरोहरें है जिन्हें संजोने की आवश्यकता है।
हिस्टोरिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से क़दम बढ़ाने को कहा उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं इसे पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए....
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*विधानसभा में CM एकनाथ शिंदे द्वारा निर्भीक होकर राष्ट्र रक्षा पर हिंदुओं की आंखें खोल देने वाला जो वक्तव्य दिया ! क्यों जरूरी हो गया था सत्ता परिवर्तन ?
*विधानसभा में माननीय एकनाथ शिंदे ने खुल कर कहा है कि .. हमारे लिए मुद्दा अस्तित्व का था, और 2024 में दुबारा चुनकर आने का था।
*CM एकनाथ शिंदे ने कहा कि .....
हमारे महाराष्ट्र के महान गौरव *वीर सावरकर* का बार-बार अपमान किया जा रहा था। @Vidyrthilq@Hanuman65037643
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एक से एक अभद्र शब्द उन पर बोले जा रहे थे। जब
कि वह इस दुनिया में नहीं हैं, और ना ही उनके परिवार का कोई सदस्य राजनेता है, जो कि वीर सावरकर से दुर्भावना रखे। उन पर निजी हमले करे। लेकिन उद्धव ठाकरे एकदम चुप रहे ....?? @ModgilSonu @mungeri89_lal @rs414317 @JangBah02098566
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भारत में जिन महिलाओं का जीवन आदर्श, वीरता, त्याग तथा देशभक्ति के लिए सदा याद किया जाता है, उनमें रानी अहल्याबाई होल्कर का नाम प्रमुख है। उनका जन्म 31 मई, 1725 को ग्राम छौंदी (अहमदनगर, महाराष्ट्र) में एक साधारण कृषक परिवार...
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में हुआ था। इनके पिता श्री मनकोजी राव शिन्दे परम शिवभक्त थे। अतः यही संस्कार बालिका अहल्या पर भी पड़े।
एक बार इन्दौर के राजा मल्हारराव होल्कर ने वहां से जाते हुए मन्दिर में हो रही आरती का मधुर स्वर सुना। वहां पुजारी के साथ एक बालिका भी पूर्ण मनोयोग से आरती कर रही थी। .....
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उन्होंने उसके पिता को बुलवाकर उस बालिका को अपनी पुत्रवधू बनाने का प्रस्ताव रखा। मनकोजी राव भला क्या कहते; उन्होंने सिर झुका दिया। इस प्रकार वह आठ वर्षीय बालिका इन्दौर के राजकुंवर खांडेराव की पत्नी बनकर राजमहलों में आ गयी।
इन्दौर में आकर भी अहल्या पूजा एवं आराधना में रत रहती।
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तासीर मोहम्मद रसूख वाले आदमी थे। मजहब में उनकी चर्चा थी..
जलसा हो या मज़लिस, हर जगह उनकी धाक होती थी।
पैसे वाले भी थे। इकलौते बेटे का निकाह था।
पूरा मजमा गया था बारात में,...
नब्बे के दशक की कहानी है।
तब बरात या तो पैदल या तो साइकिल से जाती थी!
रसूख वालों की बारातें बसों...
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में जाया करती थी....
बारात भिंड से चलकर मुरैना आई थी...
भाईजान का निकाह था।
*बिल्कुल "अज़ीम ओ शान शहंशाह" मरहबा वाला माहौल था..*
तो मुर्ग, मुसल्लम और सालन में कोई कमी न थी!!!
अब मियां, भाई के निकाह में दही-चूरा तो चलेगा नहीं।
दुर्भाग्यवश उस बरात में एक "पंडित" जी भी शामिल
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थे। जनेऊधारी। टीका धारी।
*पंडित जी जो नॉनवेज खाना तो दूर, उसकी महक भी नहीं लिए होंगे जीवन में कभी...*
हालांकि वह बिना निमंत्रण आए थे। मजबूरी में आए थे।
अपनी रोजी रोटी के चक्कर में बारात लेकर आए थे। उस बस के ड्राइवर थे
*जिस बस में नब्बे मोमिन सवार होकर बरात आए थे..*
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*ब्रेकिंग न्यूज*
*भारत का विश्व शक्ति* के रूप में उदय*
*48 घंटे पहले तक *रूस* भी यही बोल रहा था कि जो देश *चीन* में जांच की बात करेगा *रूस* उस देश की भी जांच करेगा।
लेकिन *अमेरिका* ने जहां एक तरफ से अपने सारे सहयोगी देशों को एकजुट किया वही *रूस* को मनाने की जिम्मेदारी
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*भारत* को दी गई और आज की बैठक में *रूस* ने *चीन* के कदमों के नीचे से जमीन हटा दी और जांच से संबंधित *ऑस्ट्रेलिया* के प्रस्ताव का *Co_Sponsor* बन गया ....... बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत है *भारत* की इसकी कल्पना भी असंभव थी और *अमेरिका* समेत सारे *पश्चिमी देश* *भारत* की इस बात के.....
लिए प्रशंसा कर रहे हैं, और आज *भारत* दुनिया की इकलौती वह महाशक्ति है: जिसके *अमेरिका* और *रूस* से एक समान घनिष्ट संबंध है जो अपने दम पर इन दोनों देशों की विदेश नीति बदलवाने की क्षमता रखता है। क्या कभी आपने कल्पना की थी कि *भारत* उसी स्थिति में होगा जहां *रूस* जैसा
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#जब_चुल्लू_भर_पानी_भी_नहीं_मिला_डूब_मरने_को !
*300 से ज्यादा पाकिस्तानी छात्र भारतीय झंडा यानी तिरंगा लेकर रुमानिया सीमा में पहुंचे रास्ते में इन्हें रूस की सेनाओं ने नहीं रोका बल्कि रूसी सैनिकों ने हाथ हिलाकर उनका अभिवादन किया*
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क्योंकि बेचारे रूसी समझ रहे थे कि यह भारतीय हैं ...
क्योंकि मोदी और ब्लादीमरी पुतिन की 35 मिनट की बातचीत में यह फैसला हो गया कि *रूस की सेना का एक भी जवान किसी भी भारतीय छात्र को नहीं रोकेगा* और इसका हल यह निकाला गया कि हर भारतीय छात्र अपने हाथ में तिरंगा लेकर चलेगा
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और यदि भारतीय छात्र किसी वाहन पर है तब उस वाहन पर भारतीय झंडा लगाना अनिवार्य होगा !!!
जब
*लेकिन जब रोमानिया के अधिकारियों ने उनसे उनका पासपोर्ट मांगा तब पता चला कि यह सभी के सभी पाकिस्तानी थे फिर रुमानिया ने उन्हें अपनी सीमा के अंदर यह कहकर नहीं आने दिया कि आप की सरकार से
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