#विभाजन_टल_सकता_था_!        भाग -१

‘और 15 अगस्त 1947 को हमारा देश बंट गया..!’😭😭

इस वाक्य के साथ कहानी का अंत नहीं हुआ. वरन एक अंतहीन से दिखने वाले लंबे संघर्ष का प्रारंभ हुआ!😘
बंटवारे का दर्द बहुत तीखा होता है. डेढ़ करोड़ से अधिक भारतीयों ने इस दर्द को झेला था ।😓
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लगभग बीस लाख हिन्दू – सिक्ख इस बंटवारे के कारण मारे गए. लाखों माता – बहनों की इज्जत के साथ खिलवाड़ हुआ है. अनेक घर – बार, आशियाने उजड़ गए.😡

उन मारे गए अभागे हिन्दू – सिक्ख भाइयों की लाशों पर, हमारी मां- बहनों की करुण चीख पुकारों पर, अभागे शिशुओं की वीभत्स मौत पर, हमारे......
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तत्कालीन नेताओं की हठधर्मिता पर और तुष्टीकरण की राजनीतिक नपुंसकता पर.. हमारी स्वतंत्रता खड़ी है!

विभाजन टल तो सकता था, यदि १९२३ के काकीनाडा अधिवेशन में पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर जी को ' वन्दे मातरम' के गायन के विरोध को गांधी जी गंभीरता से लेते. 1923 में कांग्रेस के काकीनाडा👇
अधिवेशन का पहला दिन. अधिवेशन के शुरुआत में वंदे मातरम् गाया जाने वाला था. प्रख्यात गायक पं. विष्णु दिगंबर पलुस्कर खुद इस राष्ट्रगान को गाने वाले थे. मंच पर गांधी जी और कांग्रेस के अध्यक्ष, अली बंधुओं में से एक, मो. अली जौहर, उपस्थित थे. जैसे ही पं. पलुस्कर ने वंदे मातरम् गाना
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प्रारंभ किया, तो गांधी जी की उपस्थिति में मो. अली ने उन्हें रोकने का प्रयास किया. पर, पलुस्कर जी कहां रुकने वाले, वे तो गाते ही चले, यह देखकर गुस्से में मो. अली ने मंच छोड़ दिया. हमारा दुर्भाग्य इतना कि गांधी जी ने अली की भर्त्सना करना तो दूर, उनका साथ दिया।🤔😡
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बस, मुसलमानों के तुष्टीकरण की राजनीति का प्रारंभ हो चुका था, जिसका सबसे बड़ा पड़ाव था, भारत विभाजन!

इन्हीं अली बंधुओं ने गांधी जी को खिलाफत आन्दोलन के लिए तैयार किया था। इन्हीं अली बंधुओं ने भारत को दारुल हरब (संघर्ष की भूमि) बनाने का फतवा जारी करवाया था। यही अली बंधु बाद..
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में देश का बंटवारा करने वाले मुस्लिम लीग में शामिल हुए और जिन्हें महात्मा गांधी अपना भाई कहकर पुकारते थे, उन्ही मो. अली जौहर ने गांधी जी के बारे में कहा, “पतित से पतित, गिरे से गिरा और व्यभिचारी से व्यभिचारी मुसलमान भी मुझे गाँधी से प्यारा है।”

हमारे देश का दुर्भाग्य था...
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फिर भी हमारे तत्कालीन नेतृत्व की आँखे नहीं खुलीं। मुस्लिम लीग को पुचकारना जारी रहा, अगले बीस / पच्चीस वर्ष तुष्टीकरण का यह सिलसिला चलता रहा। मुस्लिम लीग मांगे रखती गई, तत्कालीन कांग्रेस का नेतृत्व प्रारंभ में ना – नुकुर करने के बाद उन्हें मानता रहा, हामी भरता रहा।...
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मुस्लिम लीग झुकाती गई, कांग्रेस झुकती चली गई! किसी जमाने में विश्व व्यापार में सिरमौर रहा, और दुनिया का सबसे समृद्धशाली और वैभवशाली राष्ट्र इस विडंबना को, इस आपमान को सहता रहा।🤔

पूरे भारत वर्ष को एक रखने का आग्रह करने वाले, राष्ट्रीय और स्वाभिमानी नेतृत्व को कांग्रेस ने
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बाजू में रखा, उनको अपमानित भी किया। सुभाषचंद्र बोस जैसा क्रांतिकारी और दूरदर्शी नेतृत्व कांग्रेस को रास नहीं आया। राजश्री पुरषोत्तम दास टंडन जैसे स्वाभिमानी व्यक्ति को कांग्रेस ने मुख्य धारा से अलग कर दिया, महामना मदन मोहन मालवीय जैसे व्यक्ति की अहमियत नहीं रखी😡
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अहमियत नहीं रखी और जवाहरलाल नेहरु जैसे माउंटबेटन परिवार के प्रेम में आकंठ डूबे व्यक्ति के हाथों कांग्रेस की बागडोर आ गई।🤔😡

और देश का भविष्य उसी समय लिखा गया!🥺🥺

…..(क्रमशः)

वंदे मातरम्!🙏🇮🇳🙏

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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Aug 15
#भारत_विभाजन_टल_सकता_था! भाग - २

हमारे देश में जब 1857 का स्वातंत्र्य युध्द समाप्त होने को था, उस समय अमरीका का दृश्य बड़ा भयानक था । 1861 से 1865 तक वहां गृहयुध्द चल रहा था। अमरीका के 34 प्रान्तों में से दक्षिण के 11 प्रान्तों ने गुलामी प्रथा के समर्थन में, बाकी बचे ....
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(उत्तर के) प्रान्तों के ‘यूनियन’ के विरोध में युध्द छेड़ दिया था। उनका कहना था, ‘हम अपने विचारों के आधार पर देश चलाएंगे. इसलिए हमें अलग देश, अलग राष्ट्र चाहिए..!’

वह तो भला था अमरीका का, जिसे अब्राहम लिंकन जैसा राष्ट्रपति उस समय मिला. लिंकन ने अमरीका के बंटवारे का पुरजोर...
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विरोध किया। गृहयुध्द होने दिया, लेकिन बंटवारे को टाला..! और आज..? आज अमरीका विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक और सामरिक ताकत हैं।

यदि 1861 में लिंकन ने अमरीका का बंटवारा स्वीकार किया होता, तो क्या आज अमरीका वैश्विक ताकत बन सकता था..?

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यह तो हमारा दुर्भाग्य था, कि -
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Aug 14
अमीर खान की पिक्चर *इतनी फ्लॉप जाएगी इसका हमें अंदाजा नहीं था* क्योंकि ऐसा लग रहा था कि जब हिंदू इसका बायकाट कर रहे हैं *तो मुस्लिम जाकर पिक्चर देखेंगे और कम से कम 40 से 50% सीट बुक करवाएंगे।*

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*मुसलमान को अपना लक्ष्य अच्छे से मालूम है ।
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इसलिए वह लोग अपना पैसा, अपनी मेहनत की कमाई सही जगह उपयोग करते हैं *दूसरी तरफ हिंदू लक्ष्य हीन है इन्हें ना कल का मालूम है ना यह कल का पता करना चाहते हैं इसलिए अपना पैसा बेदर्दी से उड़ाते हैं।*
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Jul 16
*प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे किया राष्ट्र को समर्पित*

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अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस एक्सप्रेस वे से बुंदेलखंड की तकदीर बदल...
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रही है ।
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हिस्टोरिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से क़दम बढ़ाने को कहा उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड
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में कई ऐतिहासिक महत्व के किले और धरोहरें है जिन्हें संजोने की आवश्यकता है।
हिस्टोरिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से क़दम बढ़ाने को कहा उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं इसे पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए....
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Jul 16
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 *उसके लिए आर्य वीर दल उनका शत-शत नमन और  अभिनंदन करता है* ! 🙏🙏
@badal_saraswat
@Kashi_Ka_Pandit
@BablieSaksham
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*CM एकनाथ शिंदे ने कहा कि .....
हमारे महाराष्ट्र के महान गौरव      *वीर सावरकर* का बार-बार अपमान किया जा रहा था।
@Vidyrthilq @Hanuman65037643
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एक से एक अभद्र शब्द उन पर बोले जा रहे थे। जब
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@ModgilSonu
@mungeri89_lal
@rs414317
@JangBah02098566
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Read 24 tweets
Jul 15
#कांग्रेस_का_हाथ_देशद्रोहियों_के_साथ!
मोo इस्माइल मुस्लिम लीग के मद्रास प्रांत के बड़े नेता थे,1946 के चुनाव में प्रांत अध्यक्ष रहते उन्होंने जिन्ना को सभी मुस्लिम रिजर्व 29 सीटें जिता कर दी थीं, ताकि जिन्ना अलग इस्लामिक देश पाकिस्तान बना सके।
खिलाफत आंदोलन में भी सक्रिय
रहे ..
और बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था ।

14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बन गया लेकिन आपने आज तक एक भी मद्रासी मूल का पाकिस्तानी नहीं देखा होगा....!

क्योंकि जिन मोo इस्माइल ने 1946
में  जिन्ना को मद्रास में विजय दिलाई थी वो ना तो खुद पाकिस्तान गए, और ना ही उनके कहने पर जिन्ना को वोट देने
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वाला उनका कोई समर्थक पाकिस्तान गया ।

अब सवाल यह है कि - पाकिस्तान बनवाने के बाद मोo इस्माइल पाकिस्तान क्यों नहीं गए ? और भारत
में रह कर क्या क्या किया ??

मोo इस्माइल ने 1948 में ही एक नई
पार्टी बनाई नाम रखा 'ऑल इंडिया मुस्लिम लीग, और भारत को ही पाकिस्तान बनाने के काम में...
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May 31
31 मई/जन्म-दिवस

#तपस्वी_राजमाता_अहल्याबाई_होल्कर !

भारत में जिन महिलाओं का जीवन आदर्श, वीरता, त्याग तथा देशभक्ति के लिए सदा याद किया जाता है, उनमें रानी अहल्याबाई होल्कर का नाम प्रमुख है। उनका जन्म 31 मई, 1725 को ग्राम छौंदी (अहमदनगर, महाराष्ट्र) में एक साधारण कृषक परिवार...
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में हुआ था। इनके पिता श्री मनकोजी राव शिन्दे परम शिवभक्त थे। अतः यही संस्कार बालिका अहल्या पर भी पड़े।

एक बार इन्दौर के राजा मल्हारराव होल्कर ने वहां से जाते हुए मन्दिर में हो रही आरती का मधुर स्वर सुना। वहां पुजारी के साथ एक बालिका भी पूर्ण मनोयोग से आरती कर रही थी। .....
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उन्होंने उसके पिता को बुलवाकर उस बालिका को अपनी पुत्रवधू बनाने का प्रस्ताव रखा। मनकोजी राव भला क्या कहते; उन्होंने सिर झुका दिया। इस प्रकार वह आठ वर्षीय बालिका इन्दौर के राजकुंवर खांडेराव की पत्नी बनकर राजमहलों में आ गयी।

इन्दौर में आकर भी अहल्या पूजा एवं आराधना में रत रहती।
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