अब कई दिनों तक शोले फूटेंगें उन जली भुनी तशरीफ़ों से!
*अटलजी का स्वप्न*,
16,610 हेक्टेयर भूमि,
एक बहुत बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, #डीप_सी_कंटेनर_डिपो, "एक वृहद टाउनशिप"...
बनने जा रहा है!
*जानते हैं कहाँ ??*
अटल जी चाहते थे कि
यह सब बने निकोबार द्वीप में..!
केंद्र ने इसके लिए तमाम मंजूरियां प्रदान कर दी हैं !
कुल खर्च होगा 75 हजार करोड़ रुपए....!
_*In this project*
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_ construction of a greenfield international port, an international container transshipment terminal, a township and power plants across 16,610 hectares of pristine forests in a Great Nicobar island will be done*_``
♻️ ```सबसे पहले तो भारतीय नौसेना अत्यंत मजबूत होगी प्रशांत सागर के सम्पूर्ण एरिया में```!
*डीप सी पोर्ट बनने से*
*ट्रांस-शीपमेन्ट कार्गो जो अबतक सिंगापुर में रुकता था !*
वह अब यहीं रुक जाया करेगा!
*यानी सालाना अरबों डॉलर की
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सूखी इनकम भारत को*!
मलक्का स्ट्रेटके ठीक मुहाने पर होने से.
*चीनी नौसेना की धाक सीधे सीधे तौर पर खत्म हो जाएगी प्रशान्त महासागर में!
*इंटरनेशनल एयरपोर्ट
कार्गो को संभालने में महती भूमिका निभाएगा!
*जिसप्रशांतमहासागर में भारत
दब्बू बनाहुआ था!
*अबइसकासम्राट बनने जा
रहा है
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तो जाहिर सी बात है
*_Hope We are prepared for the protests by Leli funded NGOs, tribal groups etc as it will challenge the hegemony of CCP as well as Amrika*
HindiTranslation
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*_आशा है कि हम लेली द्वारा वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों, आदिवासी समूहों आदि के विरोध के लिए तैयार हैं, क्योंकि- यह सीसीपी के साथ-साथ अमेरिका के आधिपत्य को भी चुनौती देगा_*
जय हिन्द !🙏🇮🇳🚩
🇮🇳🇮🇳🇮🇳
- साभार
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*नेहरू ने अँग्रेजों से गुप्त संधि की थी" और कहा था कि “मैं भी मुसलमान हूं”_ (विभाजनकालीन भारत के साक्षी )*
इस शीर्षक को पढ़ कर आप अवश्य चौकेंगे, लेकिन सत्ता के लिए जवाहरलाल नेहरू के ये कुछ व्यक्तिगत रहस्य भी जानने से यह स्पष्ट होता है कि स्वतंत्रता के उपरान्त भी भारत क्यों...
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अपने गौरव को पुन: स्थापित न कर सका __ विनोद कुमार सर्वोदय
श्री नरेन्द्र सिंह जी जो ‘सरीला’ रियासत (टीकमगढ़ के पास,बुंदेलखंड) के प्रिंस थे तथा बाद में गवर्नर जनरल लार्ड वेवल व लार्ड माउण्टबैटन के वे ए.डी.सी. रहे थे। इस कारण 1942 से 1948 तक की वाइसराय भवन में घटित घटनाओं के
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वे स्वयं साक्षी थे। उनसे इस लेख के लेखक (प्रो सुरेश्वर शर्मा) की प्रथम भेंट दिसम्बर 1966 में "इण्डिया इण्टरनेशनल सेंटर, दिल्ली" में हुई थी l प्रिंस आफ़ सरीला श्री नरेंद्र सिंह उस समय काफी वृद्ध थे और इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर में ही रहते थे।
यह सत्य है कि BJP ने वक़्फ़ बोर्ड के राष्ट्रघाती खतरनाक कानूनों को लेकर अबतक कुछ नहीं किया।
लेकिन, ये भी सच है कि कांग्रेस द्वारा बनाये गये ये काले कानून आज अगर चर्चा का विषय हैं तो BJP के ही कारण... नहीं तो किसी को पता भी नहीं चलता और वह लोग इसका इस्तेमाल करते...
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2045 के बाद...! जब वे जनसंख्या में बराबरी पर होते, तब तक वो शांत पड़े रहते।
इतिहासबोध, अधिकारबोध और राष्ट्रबोध का हिन्दुओं में आलम ये है कि - 98% लोगों को तो ये पता भी नहीं कि वक़्फ़ होता क्या है ? अनपढ़ों की ही नहीं, उच्च शिक्षितों की भी स्थिति यही है।...
क्योंकि- इस जानकारी से न तो बैंक बैलेंस बनेगा, न ही कुछ मिलेगा, तो हिन्दू जानकर करेगा क्या, हिन्दू राष्ट्रहित का अर्थ ही भूल चुका है। सिर्फ निजी फायदे या नुकसान का ही उसके लिए महत्व है। यदि किसी को बताओ भी, तो वह सुनने के लिए तैयार ही नहीं। हमने मोदी को वोट दे दिया !
बस....!
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- जिनके लिए मोदी ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं माना !
- जिनके लिए सरकार ने एक्ट में बदलाव किया!
- किसके लिए सरकार ने बदले सारे नियम ?
- जिन्हें हटाने के लिए पूरा विपक्ष और दुनिया के सबसे ताकतवर एनजीओ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे !
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- किसने अकेले ही भारत में वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर दिया?
*ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा*
एसके मिश्रा यूपी से ताल्लुक रखते हैं और 1984 में आईआरएस में चयनित हुए थे। वह उस समय के सबसे कम उम्र के आईआरएस अधिकारी थे।
उन्होंने अपना अधिकांश कैरियर आयकर विभाग में...
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बिताया,वे तेज दिमाग, ईमानदारी और कड़ी मेहनत के लिए मशहूर थे।
वह जानते हैं कि भारत के विकास में सबसे बड़ी बाधा भारत विरोधी ताकतों, विदेशी वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों, भ्रष्ट भारतीय राजनेताओं और उनका ईंधन काला धन है।
वे मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एनजीओ, कॉरपोरेट्स, शेल कंपनियों
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*गुरुकुल घरोंदा के एक आचार्य । #जनसंघ के टिकट पर सांसद बन गए, तो उन्होंने सरकारी आवास नहीं लिया । वे दिल्ली के बाजार सीताराम, दिल्ली-6 के आर्य समाज मंदिर में ही रहते थे । वहीं से #संसद तक पैदल जाया करते थे कार्रवाई में भाग लेने।*
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*वे ऐसे पहले #सांसद थे, जो हर सवाल पूछने से पहले संसद में एक वेद मंत्र बोला करते थे। वे सब #वेदमंत्र संसद की कार्रवाई के रिकार्ड में देखे जा सकते हैं। उन्होंने एक बार संसद का घेराव भी किया था, गोहत्या पर बंदी के लिए ।
*एक बार इंदिरा गांधी ने किसी मीटिंग में उन स्वामी जी को...
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पांच सितारा होटल में बुलाया। वहां जब लंच चलने लगा तो सभी लोग बुफे काउंटर की ओर चल दिये । स्वामी जी ही वहां नही गए । उन्होंने अपनी जेब से लपेटी हुई #बाजरे की सूखी दो रोटी निकाली और बुफे काउंटर से दूर जमीन पर बैठकर खाने लगे।
हमारे देश में जब 1857 का स्वातंत्र्य युध्द समाप्त होने को था, उस समय अमरीका का दृश्य बड़ा भयानक था । 1861 से 1865 तक वहां गृहयुध्द चल रहा था। अमरीका के 34 प्रान्तों में से दक्षिण के 11 प्रान्तों ने गुलामी प्रथा के समर्थन में, बाकी बचे ....
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(उत्तर के) प्रान्तों के ‘यूनियन’ के विरोध में युध्द छेड़ दिया था। उनका कहना था, ‘हम अपने विचारों के आधार पर देश चलाएंगे. इसलिए हमें अलग देश, अलग राष्ट्र चाहिए..!’
वह तो भला था अमरीका का, जिसे अब्राहम लिंकन जैसा राष्ट्रपति उस समय मिला. लिंकन ने अमरीका के बंटवारे का पुरजोर...
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विरोध किया। गृहयुध्द होने दिया, लेकिन बंटवारे को टाला..! और आज..? आज अमरीका विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक और सामरिक ताकत हैं।
यदि 1861 में लिंकन ने अमरीका का बंटवारा स्वीकार किया होता, तो क्या आज अमरीका वैश्विक ताकत बन सकता था..?