1. 2 oct 1994 से शुरू हुआ दुस्साहस, आज इतना बढ़ गया कि उसने उत्तराखंड की एक स्वावलंबी बेटी अंकिता की जिंदगी ले ली। रामपुर तिराहा में हमारी उत्तराखंडी महिलाओं के साथ करा गया कुकृत्य, हमारे राज्य आंदोलनकारियों पर बरसाई गई गोली और उसके बाद उस गोलीबारी को करने का ऑर्डर देने वाले..
2. ..भूरे जनरल डायरों को सरकारी प्रशासन द्वारा बचाव और इस मामलें पर हमारी चुप्पी का नतीज़ा है कि आज हम अपने राज्य में ही अपने संरक्षण की लड़ाई के फिर मुहानें पर हैं।
हमारे राज्य प्रशासन द्वारा सिर्फ टूरिस्म टूरिस्म की बाट जोते रहना बताता है कि कितने दूरदृष्टि वाले हैं ये लोग।
3. हिमालयी राज्यों में आने वाले दिल्ली, हरियाणा, पंजाबी, यूपी के बहुत से "बाॅबी कटारियों" की हुड़दंगी, दबंगई, मनमानी, रसूखदारी, पैसे के सामने देवभूमि उत्तराखंड की "ऑपरेशन मर्यादा" का कैसे मज़ाक उड़ाया जाता रहा है, ये जगजाहिर है।
4. सरकार हर साल "पन्नियाँ" बंद करवाती है, पर कूड़ा प्रबंधन के नाम पर हमारी नदियों को गंदा किया जाता है। बड़े-छोटे रिसार्टों, होटलों की गंदगियाँ इन्ही देवतुल्य नदियों केअंदर घुसता है, जिनकी सफाई के नाम पर आजतक करोड़ो डकारे जा चुके है। जहाँ से नदियाँ जन्म लेती है, वहाँ के कई गाँव..
5. ..आज भी पानी से विहीन है, और खेत सूखे और बंजर हो चुके है। जहाँ कीनदियों पर मेगा हाईद्रों प्रोजेक्ट लगे हो,वहाँ ना नहरों का जाल है, और बिजली की समस्या है। हरियाणा, पंजाब का सतलज-यमुना का विवाद हो या कावेरी को लेकर देश के दक्षिण में, पानी एक मूलभूत जरूरत है।
6. पर यहाँ के लोग और नेता, अलग ही चिरनिद्रा में हैं। ये पानी, नदियाँ हमारी है और इनपर पहला हक़ हमारा है। यहाँ बनाई बिजली हमारी है। ये बात हर राज्य और देश की सरकार को गाँठ बांध लेनी चाहिए, ठीक वैसै ही जैसै बड़े बड़े बाँध हमारी नदियों पर बाँध रहे हो। और इन सबका प्रबंधन ....
7. पहाड़ी मूल के लोगों के हाथों मे होना चाहिए, नाकि बाहर से बसे लोगो के हाथों मे।
ये एक चक्रव्यूह सी जंग है,जहाँ हमें अपनी बहने, बेटियाँ, भाषा, समाज का ढाँचा, संस्कृति, पहाड़, नदियाँ, मंदिर सब बचानी है।
और इसकी शुरूआत अंकिता को न्याय दिलवा कर होगी।
8. अंकिता जैसी और जितनी भुलियाँ गायब और जिनके साथ गलत काम किया गया हो हो,उन सब के लिए राज्य बनने से लेकर आजतक सारे केसों की जाँच पड़ताल के लिए, एक रिटायर्ड जज के अंडर स्पेशल टीम बनाए और जितने भी लोग,रसूखदार, इसमें फँसे, उन सबका नाम सार्वजनिक कर, विधि के अंतर्गत कार्यवाही करी जाए।
9. 2 oct 1994 की गोलीबारी का आदेश देने वाले भूरे जनरल डायरों पर केस को पूरा किया जाएँ और हत्या के आरोप में जेल में सड़ाया जाए। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के साथ बदसलूखी, रेप करने वाले पुलिसवालों को फाँसी हो। अंकिता और उसके जैसी हर बच्ची से किए गए जघन्य अपराधों पर मौत दी जाएँ।
1. माननीय मुख्यमंत्री महोदय @pushkardhami, विधानसभा चुनाव के समय, जब आप चुनाव हारे, तब भी उत्तराखंड की जनता चाहती थी, आपको एक और मौका दिया जाए। जब आपने चंपावत जीता, तब सभी ने आपको बधाईयाँ और शुभकामनाएँ दी। आपको @narendramodi द्वारा मौका दिए जाने पर जनता ने खुशी जाहिर करी थी।
2. आज पूरा उत्तराखंड और पहाड़ी समाज, आपके तरफ देख रहा है कि कैसे आप पहाड़ की बेटी #अंकिता_भंडारी को न्याय दिलाओगे, कैसे आप रसूखवाले विनोद आर्या के बेटे पुलकित और उसके कुकर्म में सहभागियों को कठोर से कठोर दंड दिलवाओगे।
3. अंकिता मात्र 19 साल की बच्ची थी और उसको इस छोटी उम्र में जाना पड़ा है। 19 साल के बच्चे तो जिंदगी जीना सीखते है, गलती करते है और उन गलतीयों से सीख कर परिपक्व बनते है।पर इन दरिंदों ने उसको ये मौका भी नहीं दिया, उसकी नृशंह हत्या कर दी ताकि उनके कुकर्म समाज के सामने ना आ जाए।
बाड़ी मंडूवा खाएंगे,उत्तराखंड बनाएंगे।
हमारे राज्य आंदोलनकारियों को पत्ता था कि सरकारी तंत्र के खिलाफ लड़ाई के लिए और नया राज्य लेने के लिए, हमको तप करना पड़ेगा, भूखा रहना पड़ेगा और लड़ते रहना पड़ेगा।
गिर्दा कहते थे, " तुम लड़ते रया भूला, हम लड़ते रूयो।"
हमारे उत्तराखंडी समाज को एकजूट होने का समय आज ही है।आप किसी भी विचारधारा के हो सकते हो,किसी पार्टी को वोट कर सकते हो,पर अपने समाज को आगे बढ़ाने मे जोर लगे, सुरक्षित करने पर ज़ोर लगे। इसके लिए काम करने की जरूरत है।
लोगो को जोड़ कर रखने की नाकि आगे बढ़ते उत्तराखंडी के पैर खीचने की।
हर गाँव, ब्लाॅक, तहसील, डिस्ट्रिक्ट, शहर के युवा आपस में जूड़े और अपनी क्षेत्रों की आवाज़ बने,अपने भाई,बहनों, मातृभूमि की रक्षा करें। राजनीति, विचारधारा से ऊपर उठकर, एक हो।
पाॅलिटिकल एक्टिविशम करें नाकि पाॅलिटिक्स।
अपनी पहाड़ी नस्ल को मजबूत करें।
जय हिमाल।
अंकिता हमारी भुलि थी,हमारी नौनी थी। इन रसूखवालों को क्या फर्क पड़ता है, मरेगा पहाड़ी, पिसेगा पहाड़ी और मौज़ करेंगे बाबुशाही और राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोग! ये बाहरी देशियों के साथ हमबिस्तरी करेंगे, और सपने रौंदे जाएँगे #uksssc_पेपर_लीक जैसे कांड में पहाड़ी बच्चों के?
इनकी माँ बेटी बहन पढ़ेगी भी, बढ़गी भी और हमारी ईजा, भुलियों से हेलंग जैसी बदसलूकी होगी, उनका हक़ #उत्तराखंडमहिलाआरक्षण उनसे छीना जाएगा! इनके लिए बड़े बड़े अस्पताल लाल कालिन बिछाए रहेंगे और मरेगी चिकित्सा,अस्पताल की कमी से हमारी गर्भवती, मेहनतकश नौनियाँ!
इनके बच्चे पढ़ेंगे दून स्कूल में और पहाड़ी बच्चे जीर्णशीर्ण स्कूल की बिल्डिंग के नीचे दब कर मरेंगे। इनकी माँ, बहन सुरक्षा घेरे, ऊँचेमहलों मे सुरक्षित है और हमारी इन जैसे रसूखवालों की गंदी नज़रों से असुरक्षित?
उत्तराखंडी पहाड़ी का क्या भविष्य होगा, ये आज अभी से आवाज़ उठाने पर है।
The resort reportedly belongs to Pulkit Arya whose father is politically well connected( as per news report). An audio clip with the girl crying over the call to one of the hotel staffer is going viral. I request @uttarakhandcops for free & fair investigation.
Further, I urge the police to make sure, there must not be any kind of contact between alleged accused or anyone from his family with the girl's father or her family which may turn as impedement in investigation and witness tampering of any kind via coercion, undue influence,etc