तब स्टेट बैंक की उस शाखा के चीफ कैशियर वेद प्रकाश मल्होत्रा
होते थे। उस दिन उनके पास इंदिरा गाँधी के तत्कालीन मुख्य सचिव...
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पी. एन. हक्सर का या उनकी आवाज़ में एक फोन आता है...!
'आप के पास एक आदमी फलाँ फलां #कोडवर्ड लेकर आयेगा, आप उसे 60 लाख रु दे देना।'
इसी दौरान पी एन हक्सर ने कथितरूप से इंदिरा गाँधी से भी उनकी बात करवाई। बाद में ऐसा ही हुआ और कैशियर साहब ने उस
आदमी को 60 लाख रुपए दो अटैची में..
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भर कर दे दिये और वह उन्हें ले कर चला गया।
अब आप सोचें...
मान लो कि आपका नाम "अनिल कौशिश" है, और आप पार्क में घूमने गये हुए हैं। तभी कोई नितान्त अनजान आदमी आपके घर आ कर आपकी पत्नी को कहे कि कौशिश साहब ने 100 रु मँगवाये हैं। तो क्या वे उस आदमी को 100 रुपए का नोट पकड़ा देंगी?
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अजी 100 रु की तो बात छोड़िये, वे शायद 10 रु का नोट भी न दें।
पर केवल 300-350 रुपल्ली(उस समय) तनखवाह लेने वाले चीफ कैशियर मल्होत्रा ने उस नितान्त अनजान आदमी को 1971, हाँ जी! 1971 में बिना किसी लिखा पढ़ी और जान पहचान के 60 लाख रु दे दिये थे। है न मजे की बात ?
और भी मजे की....
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बात यह है, कि उस चीफ कैशियर ने इतनी बड़ी रकम शाखा के प्रबंधक से पूछे बिना ही दे दी ।
कमाल है! आज 51 साल के बाद उन 60 लाख रु की कीमत 200-250 करोड़ रु तो बैठती ही होगी। तब सोने का भाव 160 रु प्रति 10 ग्राम होता था।
चलो आगे बढ़ते हैं...
उस आदमी के जाते ही कैशियर
ने...
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प्रधानमंत्री कार्यालय को फोन मिलाया, 'शायद उस समय इंदिरा गाँधी अपने कार्यालय में नहीं होंगी, तो किसी और ने फोन उठाया और चीफ कैशियर ने उसे पी. एन. हक्सर समझ कर यह बता दिया कि फलाने आदमी को 60 लाख रु दे दिये हैं।
मतलब बात लीक हो चुकी थी....!
फिर तो ऊपर से लेकर नीचे तक हड़कंप
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मच गया।उसके अगले दिन के सभी समाचार पत्र इससे रंग गये । तुरंत पुलिस थाने में रपट लिखवायी गयी। उसके तीसरे दिन ही पुलिस ने दिल्ली के ही एक कमरे में उस आदमी को दबोच लिया और उसके पास से 59 लाख 95 हजार रु बरामद कर लिये थे।
आनन फानन में शायद उसी दिन उसे कोर्ट में पेश किया गया।
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० चार्जशीट दाखिल हो गयी।
० आरोप तय हो गये।
० सरकारी वकील ने दलीलें रखी तो बचाव पक्ष ने भी तर्क रखे।
० फिर आपसी बहस (cross examination) भी हो गयी।
० कोर्ट का फैसला भी
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टाइप हो गया।
० और तो और उन्हीं बीस मिनटों में ही नागरवाला को #साढ़े_चार_साल की सज़ा सुना कर जेल भेज दिया गया।
तारीख पर तारीख वाली बात उस दिन नानी के यहाँ गयी हुई थी...! 😀
(यह भी हो सकता है कि उसे वकील उपलब्ध ही न करवाया गया हो)
है ना कमाल की बात!
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उसके बाद उसने जेल में किसी को यह कहा था...!
'यदि मैं मुँह खोल दूँ तो देश की राजनीति में भूचाल आ जायेगा।'
(यह तब के समाचार पत्रों में छपा था और इस समाचार को मैंने स्वयं पढ़ा था) _लेखक
इस बात के तीन दिन के भीतर ही 'हार्ट अटैक' के कारण उसकी मौत बतायी गयी थी।
*पते की बात*
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इतना बड़ा काँड होने के बावजूद स्टेट बैंक के चीफ कैशियर *वेद प्रकाश मल्होत्रा* को पुलिस ने गिरफ्तार तक नहीं किया। बाद में मल्होत्रा ने या तो बैंक की नौकरी 1 दी थी या बैंक ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था,फिर उन्होंने संजय गाँधी की कंपनी में(शायद मारुती कार) में नौकरी करनी शुरू कर
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कर दी थी।
है ना हैरानगी की बात कि इतने बड़े काँड के जिम्मेदार व्यक्ति को *संजय गाँधी ने नौकरी दे दी थी*।
एक बात और ....
इस केस के कुछ गवाहों समेत जाँच करने वाले तीन-चार पुलिस अधिकारी सड़क दुर्घटना और संदेहास्पद स्थितियों में मरे पाये गये थे। 1977 में जनता पार्टी की सरकार..
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बनने के बाद इस मामले की तह तक जाने के लिये #नागरवाला_जाँच_आयोग के नाम से एक आयोग भी बिठाया गया था, मगर उसके हाथ कुछ भी नहीं लगा था।
बात की सत्यता जानने के लिये गूगल पर नागरवाला काँड खोजिये और पढ़िये। इस पर आज भी बहुत सी प्रतिष्ठित वेबसाइट पर यह सब लिखा है।
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*एक मित्र जितेंद्र सिंह जी की पोस्ट:-
24 मई 1971... इंदिरा गाँधी भारत की प्रधानमंत्री थी... उसी समय एक बेहद चौंकाने वाला कांड हुआ था जिसे इतिहास में नागरवाला कांड कहते हैं...!
प्रधानमंत्री कार्यालय से एक महिला का फोन 3 बड़े बैंक के कनॉट प्लेस शाखा के मैनेजर को आता है ...
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महिला ने खुद को प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी कहा और आवाज हूबहू इंदिरा गांधी जैसी ही थी। हालाँकि उस जमाने में ऐसा कोई सॉफ्टवेयर नहीं था जिससे आवाज को बदला जा सके और उस महिला ने कहा कि मिस्टर नागरवाला आपके बैंक में जा रहे हैं.. बांग्लादेश के एक गुप्त मिशन के लिए पैसे की जरूरत है..
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आज मेरे आखिरी पेपर के बाद दीदी को कह देना...! कि जैसे ही मैं परीक्षा कक्ष से बाहर आऊंगा तब पैसा लेकर बाहर खड़ी रहे। मेरे दोस्त की पुरानी बाइक आज ही मुझे लेनी है। और हाँ, यदि दीदी वहाँ पैसे लेकर नहीं आयी तो, "मैं घर वापस नहीं आऊंगा".....! @ManjuSh37235221 @TriShool_Achuk
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*नेहरू ने अँग्रेजों से गुप्त संधि की थी" और कहा था कि “मैं भी मुसलमान हूं”_ (विभाजनकालीन भारत के साक्षी )*
इस शीर्षक को पढ़ कर आप अवश्य चौकेंगे, लेकिन सत्ता के लिए जवाहरलाल नेहरू के ये कुछ व्यक्तिगत रहस्य भी जानने से यह स्पष्ट होता है कि स्वतंत्रता के उपरान्त भी भारत क्यों...
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अपने गौरव को पुन: स्थापित न कर सका __ विनोद कुमार सर्वोदय
श्री नरेन्द्र सिंह जी जो ‘सरीला’ रियासत (टीकमगढ़ के पास,बुंदेलखंड) के प्रिंस थे तथा बाद में गवर्नर जनरल लार्ड वेवल व लार्ड माउण्टबैटन के वे ए.डी.सी. रहे थे। इस कारण 1942 से 1948 तक की वाइसराय भवन में घटित घटनाओं के
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वे स्वयं साक्षी थे। उनसे इस लेख के लेखक (प्रो सुरेश्वर शर्मा) की प्रथम भेंट दिसम्बर 1966 में "इण्डिया इण्टरनेशनल सेंटर, दिल्ली" में हुई थी l प्रिंस आफ़ सरीला श्री नरेंद्र सिंह उस समय काफी वृद्ध थे और इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर में ही रहते थे।
अब कई दिनों तक शोले फूटेंगें उन जली भुनी तशरीफ़ों से!
*अटलजी का स्वप्न*,
16,610 हेक्टेयर भूमि,
एक बहुत बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, #डीप_सी_कंटेनर_डिपो, "एक वृहद टाउनशिप"...
बनने जा रहा है!
*जानते हैं कहाँ ??*
अटल जी चाहते थे कि
यह सब बने निकोबार द्वीप में..!
केंद्र ने इसके लिए तमाम मंजूरियां प्रदान कर दी हैं !
कुल खर्च होगा 75 हजार करोड़ रुपए....!
_*In this project*
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_ construction of a greenfield international port, an international container transshipment terminal, a township and power plants across 16,610 hectares of pristine forests in a Great Nicobar island will be done*_``
यह सत्य है कि BJP ने वक़्फ़ बोर्ड के राष्ट्रघाती खतरनाक कानूनों को लेकर अबतक कुछ नहीं किया।
लेकिन, ये भी सच है कि कांग्रेस द्वारा बनाये गये ये काले कानून आज अगर चर्चा का विषय हैं तो BJP के ही कारण... नहीं तो किसी को पता भी नहीं चलता और वह लोग इसका इस्तेमाल करते...
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2045 के बाद...! जब वे जनसंख्या में बराबरी पर होते, तब तक वो शांत पड़े रहते।
इतिहासबोध, अधिकारबोध और राष्ट्रबोध का हिन्दुओं में आलम ये है कि - 98% लोगों को तो ये पता भी नहीं कि वक़्फ़ होता क्या है ? अनपढ़ों की ही नहीं, उच्च शिक्षितों की भी स्थिति यही है।...
क्योंकि- इस जानकारी से न तो बैंक बैलेंस बनेगा, न ही कुछ मिलेगा, तो हिन्दू जानकर करेगा क्या, हिन्दू राष्ट्रहित का अर्थ ही भूल चुका है। सिर्फ निजी फायदे या नुकसान का ही उसके लिए महत्व है। यदि किसी को बताओ भी, तो वह सुनने के लिए तैयार ही नहीं। हमने मोदी को वोट दे दिया !
बस....!
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- जिनके लिए मोदी ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं माना !
- जिनके लिए सरकार ने एक्ट में बदलाव किया!
- किसके लिए सरकार ने बदले सारे नियम ?
- जिन्हें हटाने के लिए पूरा विपक्ष और दुनिया के सबसे ताकतवर एनजीओ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे !
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- किसने अकेले ही भारत में वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर दिया?
*ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा*
एसके मिश्रा यूपी से ताल्लुक रखते हैं और 1984 में आईआरएस में चयनित हुए थे। वह उस समय के सबसे कम उम्र के आईआरएस अधिकारी थे।
उन्होंने अपना अधिकांश कैरियर आयकर विभाग में...
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बिताया,वे तेज दिमाग, ईमानदारी और कड़ी मेहनत के लिए मशहूर थे।
वह जानते हैं कि भारत के विकास में सबसे बड़ी बाधा भारत विरोधी ताकतों, विदेशी वित्त पोषित गैर सरकारी संगठनों, भ्रष्ट भारतीय राजनेताओं और उनका ईंधन काला धन है।
वे मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एनजीओ, कॉरपोरेट्स, शेल कंपनियों
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