पौण्ड्रक_वासुदेव
हमारे ग्रंथो में द्वापर युग के एक चरित्र का नाम आता है पौण्ड्रक जो श्री_कृष्ण के समकालीन था,संयोग से इसके पिता जी का नाम भी वसुदेव था,वह बहुत ही आत्ममुग्ध था ऐसे लोग अपने आसपास चापलूसों की टोली इक्क्ठा कर लेते है उन्ही चापलूसों ने उसका उपयोग करने के लिए,
उसे चने के झाड़ चढ़ाया और विश्वास दिलाया कि जिस अवतार वासुदेव कृष्ण की चर्चा हो रही है वह वास्तव में तुम हो। धीरे धीरे वह भी इसे सच मानने लगा और श्री कृष्ण के समान मोर पंख,नकली पांचजन्य शंख चक्र गदा कौस्तुभ मणि भी धारण करने लगा। उसके अपने लोग उसकी इस मूर्खता का उपहास करते।
वह श्री कृष्ण का अपमान करता और जानबूझकर धर्म विहीन आचरण करता और उसको श्री कृष्ण के माथे मढ देता। धीरे धीरे उसकी धृष्टता इतनी बढ़ गयी कि श्री कृष्ण को युद्ध की चुनौती दे डाली। और अंततः युध्द में उसने श्री कृष्ण से कहा कि तू मेरा सुदर्शन चक्र मुझे वापस दे दे।
श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र उसे दे दिया और जैसे ही उसने चक्र को धारण किया उसी में समाकर हास्यास्पद रूप से मारा गया। आज कलयुग में भी एक धूर्त स्वयं को जन्माष्टमी पर पैदा होना बताकर स्वयं को श्री कृष्ण का झाडूधारी अवतार बता रहा है।
ऐसे पौण्ड्रको को पहचानना ज़रूरी है।
यदि आपको अरविंद केजरीवालो से देश बचाना है तो लेनिन का इतिहास पढ़ लीजिये,, काट वही मिल जाएगी क्योकि लेनिन रूस का था और भगवान ने रूस को संभलने का कोई मौका नही दिया लेकिन भारत को दिया है।
जैसे आज रूस का नाम रशियन फेडरेशन है , वैसे ही 1917 तक रशियन एम्पायर हुआ करता
था यहाँ राजा था रानी थी। लेकिन मंत्रियों के निकम्मेंपन और रानी के एक गलत सलाहकार के चक्कर मे 300 सालो से चला आ रहा यह साम्राज्य नष्ट हो गया।
रूस में गरीबी बढ़ रही थी और उसका फायदा उठाया वहाँ के अरविंद केजरीवाल यानी व्लादिमीर लेनिन ने।
लेनिन ने फेक्ट्री वर्कर्स और किसानों को भरोसा दिलाया कि फ्री पानी, फ्री बिजली, फ्री ट्रांसपोर्ट सब दूंगा बस राजा को मार दो और मुझे सत्ता दे दो
लोगो ने ऐसा किया भी,1917 में तख्तापलट हुआ जिसे ये लोग क्रांति कहते है। लेनिन सत्ता में आया, देखा तो राजकोष खाली है,
# गुप्त सम्राट चंदगुप्त विक्रमादित्य द्वारा स्थापित महरौली का लौह स्तंभ #
दिल्ली में महरौली में विष्णु स्तम्भ (कुतुब मीनार टॉवर) के पास, शुद्ध लोहे से बना एक स्तंभ है। इसमें 99.72% लोहा, शेष 0.28% अशुद्धियाँ हैं।
इसकी काली-नीली सतह पर, आप जंग के केवल कुछ ही स्थानों पर कठिनाई से देख सकते हैं। यह स्तंभ महान गुप्त सम्राट चंदगुप्त विक्रमादित्य दितीय ने अपनी शकों पर विजय के उपलक्ष्य में स्थापित किया था। इस लौह स्तंभ में आज 1500 डेढ हजार वर्ष बीत जाने के बाद भी जंग नहीं लगी है।
यह लौह स्तंभ गुप्तकाल में हुए वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रगति का घोतक है।
इस कोलोसस का वजन 6.8 टन है। निचला व्यास 41.6 सेमी है, शीर्ष पर यह 30 सेमी तक बढ़ता है। स्तंभ की ऊंचाई 7.5 मीटर है।
The evolving terror funding matrix: Pakistan, ISI and D Company and its global criminal web.
Since Dawood moved to Karachi, the D Company syndicate has expanded incredulously. He is said to have invested over USD $28 billion in assets in Karachi alone and has diversified his
businesses in several countries such as India, Morocco, the UK, UAE, Switzerland, Hong Kong, Thailand, Sri Lanka, Italy and France.
An intricate network of cooperation between terror outfits, local tribal lords, smugglers and corrupt politicians has emerged in South Asia to
diversify and conceal the revenues produced through illicit trade. Instead of struggling to find donors to cater to their causes, most outfits have started operating in the form of a mafia infrastructure. These organizations or groups have resorted to innovative ways to
Ironically, India at 122 hunger index list supplies food, medical services, vaccination, evacuation services etc., to all who are much ahead on the list of hunger index. In fact, ban on food exports upsets many developing countries.
India literally fed people more than the combined population of US and Europe for nearly two years during pandemic 😷 and also helped so many countries including Pakistan, Srilanka who are much ahead of India on the hunger index.
All this is based on a sample size of 1300 out of 1.4 billion people in India and some are going berserk over it. 🤔
NGO, Thoda logic dekhao before you publish your trashy report that took away the entire credibility of the organization.
There are around 200 countries in the world and each has their respective currency and all currencies maintain an exchange rate with the currency of other countries
Exchange rate of a currency depends upon the supply and demand of that currency
Now the question: the dollar is strengthening or the rupee is weakening
Check the USD-INR performance of the last 1 year
Oct 2021 : 1 USD = Rs 75
Oct 2022 :1 USD = Rs 82
It's due to the good performance of USD or due to the bad performance of INR ?
We can't say on the basis of that curve
To check this, we have to find -
1 How Rupee is performing against other major currencies of the world 2. How other currencies are performing against USD
दुनिया का कोई भी मुस्लिम दुनिया में कहीं भी हो कभी भी उनके ईद के त्योहार पर "HAPPY EID" नहीं कहते। वे "ईद मुबारक" ही कहेंगे।
दुनिया के कोई भी ईसाई (क्रिश्चयन) दुनिया में कहीं भी हो वे कभी भी क्रिसमस के दिन "HAPPY CHRISTMAS" नहीं कहते। वे "मेरी क्रिसमस" ही कहेंगे।
Happy DIWALI,
Happy NAVARATRI,
Happy DASHAHARA
ऐसे अंग्रेजी लंगोट लगाए हुए शब्द केवल हिंदू ही बनाते हैं , क्योंकि
शुभ दीपावली, दीपावली की शुभकामनाएँ, दीपावली की राम राम........
शुभ दशहरा, दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं....
शुभ नवरात्रि , नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं....
ये शब्द हमें पिछड़े हुए लगते हैं ना....
ऐसा क्यों?
इसका एकमात्र कारण है कि हमारे में अपनी भाषा, अपनी संस्कृति, अपनी पहचान के प्रति स्वाभिमान-गौरव का भाव नहीं है।
याद रखें कि अपनी भाषा, संस्कृति ही हमारी पहचान है और हमारी पहचान हम खुद ही मिटा रहे हैं।