क्या आप जानते हैं कि छठ माता कौन हैं और इनकी सूर्य के साथ पूजा क्यों की जाती है. सूर्य से इनका क्या संबंध है. छठ पूजा क्यों मनाई जाती है..
छठ पर्व षष्ठी का अपभ्रंश है. कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के 6 दिन बाद कार्तिक👇
शुक्ल को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है.
यह चार दिनों का त्योहार है और इसमें साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. इस त्योहार में गलती की कोई जगह नहीं होती. इस व्रत को करने के नियम इतने कठिन हैं, इस वजह से इसे महापर्व अौर महाव्रत के नाम से संबाेधित किया जाता है.👇
कौन_हैं_छठी_मइया ??
मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर 👇
( तालाब ) के किनारे यह पूजा की जाती है.
षष्ठी मां यानी कि छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं. इस व्रत को करने से संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है
मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित
किया है. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में जाना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं.
वो बच्चों की रक्षा करने वाली देवी हैं. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को इन्हीं देवी की पूजा की जाती है.
शिशु के जन्म के छह दिनों बाद इन्हीं देवी की पूजा की जाती है. इनकी
प्रार्थना से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घ आयु का आशीर्वाद मिलता है.
जानकारों की मानें तो पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है. जानें_क्यों_की_जाती_है_छठ_पूजा_और_क्या_है_इसका #महत्व छठ व्रत कथा
कथा के अनुसार
प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों की कोई संतान नहीं थी. इस बात से राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे. उन्होंने एक दिन संतान प्राप्ति की इच्छा से महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया. इस यज्ञ के फलस्वरूप रानी गर्भवती हो गईं
नौ महीने बाद संतान
सुख को प्राप्त करने का समय आया तो रानी को मरा हुआ पुत्र प्राप्त हुआ.इस बात का पता चलने पर राजा को बहुत दुख हुआ.संतान शोक में वह आत्म हत्या का मन बना लिया.लेकिन जैसे ही राजा ने आत्महत्या करने की कोशिश की उनके सामने एक सुंदर देवी प्रकट हुईं
देवी ने राजा को कहा कि मैं षष्टी देवी हूं
मैं लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं. इसके अलावा जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है, मैं उसके सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण कर देती हूं. यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी. देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया 👇
राजा और उनकी पत्नी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि -विधान से पूजा की. इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई. तभी से छठ का पावन पर्व मनाया जाने लगा.
छठ व्रत के संदर्भ में एक अन्य कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में👇
हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा. इस व्रत के प्रभाव से उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया. t.me/Dharmagyanjais…
जय छठी मैया
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*चिंतन*
ज़रा सा फ़र्क़
राजा राणा छत्रपति, हाथिन के असवार मरना सबको एक दिन,अपनी-अपनी बार॥
ज़रा सा ही फ़र्क़ होता है
लोगों के जिंदा रहने में और एक दिन ना रहने में
अभी कोरोना काल में कुछ ही दिनों में इतने सारे लोग जो गए हैं
क्या कभी इनको देखकर ऐसा लगा था कि ये यूंही चले जायेंगे👇
बिना कुछ कहे, बिना बताए।
उन सब से हमें कुछ लगाव था, कुछ शिकायतें थीं,
कुछ नाराज़गी भी थी,जो कभी कही नहीं हमने
और
कहा तो वो भी नहीं था जो इन सब इंसानों में बेहद पसंद था हमें।
फिर अचानक सुबह एक दिन खबर आती है,ये नहीं रहे, वो नहीं रहे।
नहीं रहे मतलब, कैसे नहीं रहे ?
कैसे एक पल👇
में सब बदल जाता है।
वही सारे लोग जिनसे हम मिले थे अभी कुछ समय पहले,
वे इतनी जल्दी गायब कैसे हो सकते हैं कि दोबारा मिलेंगे ही नहीं।
जैसे वे कभी कुछ बोले ही न थे,
ना जिये,
जैसे कोई बेजान खिलौना,जिसकी चाबी खत्म हो गयी हो।
इस संसार में
सारे शिवमय है सारे शिव है!
शिव के ही अंग है अंश है।
मात्रा सभी एक ही सागर की एक बूंद के समान।
शिव
किसी भी परिभाषा से परे है।
शिव को परिभाषित करने का प्रयास भी एक साहस ही होगा।
एक नामुमकिन मिशन।
शिव को
केवल अनुभव किया जा सकता है बुद्धि से समझा नहीं जा सकता।
वह 👇
बुद्धि से परे है।
विचारों से परे है
एक विशाल सागर
कहाँ एक छोटी कटोरी में समा सकता है भला
मानव की समझ से शिव के कई पहलू है अलग पहचान है जो समय-समय पर धुंधला जाती है
शिव एक सर्वोच्च परब्रम्ह है
एक परिमित अस्तित्व है
शिव एक गृहस्वामी के रूप में मानव अस्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है
एक देव जो पत्नी और बच्चों के साथ है फिर भी अतिश्रेष्ठ व आध्यात्मिकता में अतिदृढ़ और शक्तिशाली है
एक ही समय में वह एक गृहस्थ है और एक गुरु भी है
शिव
गुरुओंके गुरु सर्वोच्च गुरु
और सभी संतों के संत महानतम
संत जो समय के साथ साथ भी है और कालातीत भी हैं
दूसरी ओर
शिव
परब्रह्म के रूप है
चुस्लिम देशाें में काेई मदर टेरेसा क्यों नहीं बनती ?
क्या सारी सेवा की आवश्यकता भारत को ही है ?
क्या सूडान, लीबिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, इराक, सऊदी अरब और सीरिया में गरीब नहीं हैं ?
टेरेसा ने वहाँ पर "सेवा" क्यों नहीं की ?
वहाँ वेटिकन वाले क्याें नहीं जाते ?
मुस्लिम देशाें👇
में वेटिकन सिटी वालों काे इतना साहस ही नहीं है कि वह
मदर टेरेसा जैसी अपनी कर्मचारी भेज सके।
मुस्लिम देश में सेवा के नाम पर
धर्म परिवर्तन की अनुमति नहीं मिलेगी फिर भी अगर वेटिकन परोक्ष ताैर पर भी अपनी करतूत जारी रखी
ताे फिर मुस्लिम देश वेंटिकन के स्टाफ काे फांसी पर लटका देगें।👇
हिन्दू धर्म बहुत उदार है पता नहीं यह उदारता हमारी कमजोरी है या फिर कुछ और।
हमारे अंदर ही ऐसे "सेकुलर प्रगतिशील (कु)बुद्धिजीवी"लोग बिखरे पड़े
है जो हमारी जड़ो में मट्ठा डालते हैं।
भारत में ही मदर टेरेसा क्यों ?
हम ही आखिर क्यों मजारों पर जाते हैं ?
यह हिन्दू धर्म की कमजोरी की
*II संयमित संतुलित व्यवहार : सुखी जीवन का आधार II*
जय छठी मैया, आपकी महिमा अपार
दुनियाँ का इकलौता ऐसा पावन पर्व जिसकी महत्ता दिन ब दिन बढ़ती जा रही हैआज ये पर्व हिंदुस्तान,मोरिसस, सूरीनाम के अलावा लंदन,अमेरिका में भी बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है।
*ये छठ पूजा जरुरी है*👇
धर्म के लिए नहीं अपितु
हम-आप सभी के लिए
जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं।
*ये छठ पूजा जरुरी है*
उन सभी के लिए जो अपनी परंपरा, सभ्यता और संस्कृति से दूर होते जा रहे है।
*ये छठ जरुरी है*
उन बेटों के लिए,
जिनके घर आने का ये बहाना है।
*ये छठ जरुरी है*
उस माँ के लिए जिन्हें अपनी संतान
को देखे महीनों हो जाते हैं
*ये छठ पूजा जरुरी है*
उस परिवार के लिये
जो आज टुकड़ों में बंट गया है।
*ये छठ जरुरी है*
उस आजकल की नई बहुओं के लिए जिन्हें नहीं पता कि दो कमरों से बड़ा भी घर गांव मे होता है।
*ये छठ जरुरी है*
उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में हीं देखा है।