#कैलाश पर्वत पर आज तक कोई क्यों नहीं चढ़ पाया है?
हर हर महादेव .....
हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत का बहुत महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। लेकिन इसमें सोचने वाली बात ये है कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट - एवरेस्ट @Geetaverma07 👇🏾👇🏾
को अभी तक 7000 से ज्यादा लोग फतह कर चुके हैं, जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है, लेकिन कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया, जबकि इसकी ऊंचाई एवरेस्ट से लगभग 2000 मीटर कम यानी 6638 मीटर है। यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक पर्वतारोही ने अपनी @chhotiradha 👇🏾
किताब में लिखा था कि उसने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की थी, लेकिन इस पर्वत पर रहना असंभव था, क्योंकि वहां शरीर के बाल और नाखून तेजी से बढ़ने लगते हैं। इसके अलावा कैलाश पर्वत बहुत ही ज्यादा रेडियोएक्टिव भी है।
कैलाश पर्वत पर कभी किसी के नहीं चढ़ पाने के पीछे @NandiniDurgesh5👇🏾
कई कहानियां प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर शिव जी निवास करते हैं और इसीलिए कोई जीवित इंसान वहां ऊपर नहीं पहुंच सकता। मरने के बाद या वो जिसने कभी कोई पाप न किया हो, केवल वही कैलाश पार कर सकता है।
ऐसा भी माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा सा @Ashish14new 👇🏾
ऊपर चढ़ते ही व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है। चूंकि बिना दिशा के चढ़ाई करना मतलब मौत को दावत देना है, इसीलिए कोई भी इंसान आज तक कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया
1999 में रूस के वैज्ञानिकों की टीम एक महीने तक माउंट कैलाश के नीचे रही और इसके आकार के बारे में शोध करती रही। @yogivishalnand6👇🏾
वैज्ञानिकों ने कहा कि इस पहाड़ की तिकोने आकार की चोटी प्राकृतिक नहीं, बल्कि एक पिरामिड है जो बर्फ से ढका रहता है। माउंट कैलाश को "शिव पिरामिड" के नाम से भी जाना जाता है।
जो भी इस पहाड़ को चढ़ने निकला, या तो मारा गया, या बिना चढ़े वापिस लौट आया।
2007 में रूसी पर्वतारोही 👇🏾👇🏾
सर्गे सिस्टिकोव ने अपनी टीम के साथ माउंट कैलाश पर चढ़ने की कोशिश की। सर्गे ने अपना खुद का अनुभव बताते हुए कहा : 'कुछ दूर चढ़ने पर मेरी और पूरी टीम के सिर में भयंकर दर्द होने लगा। फिर हमारे पैरों ने जवाब दे दिया। मेरे जबड़े की मांसपेशियाँ खिंचने लगी, और जीभ जम गयी। @ANIRUDH_UP 👇🏾
मुँह से आवाज़ निकलना बंद हो गयी। चढ़ते हुए मुझे महसूस हुआ कि मैं इस पर्वत पर चढ़ने लायक नहीं हूँ। मैं फ़ौरन मुड़ कर उतरने लगा, तब जाकर मुझे आराम मिला।
"कर्नल विल्सन ने भी कैलाश चढ़ने की कोशिश की थी। बताते हैं : "जैसे ही मुझे शिखर तक पहुँचने का थोड़ा-बहुत रास्ता दिखता @07thespy👇🏾
शुरू हो जाती। और हर बार मुझे बेस कैम्प लौटना पड़ता "चीनी सरकार ने फिर कुछ पर्वतारोहियों को कैलाश पर चढ़ने को कहा। मगर इस बार पूरी दुनिया ने चीन की इन हरकतों का इतना विरोध किया कि हार कर चीनी सरकार को इस पहाड़ पर चढ़ने से रोक लगानी पड़ी। कहते हैं जो भी इस पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश👇🏾
करता है वो आगे नहीं चढ़ पाता, उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है।यहाँ की हवा में कुछ अलग बात है। आपके बाल और नाखून 2 दिन में ही इतने बढ़ जाते हैं, जितने 2 हफ्ते में बढ़ने चाहिए। शरीर मुरझाने लगता है। चेहरे पर बुढ़ापा दिखने लगता है। कैलाश पर चढ़ना कोई खेल नहीं
29,000 फ़ीट ऊँचा होने👇🏾
के बाद भी एवरेस्ट पर चढ़ना तकनीकी रूप से आसान है। मगर कैलाश पर्वत पर चढ़ने का कोई रास्ता नहीं है। चारों ओर खड़ी चट्टानों और हिमखंडों से बने कैलाश पर्वत तक पहुँचने का कोई रास्ता ही नहीं है। ऐसी मुश्किल चट्टानें चढ़ने में बड़े-से-बड़ा पर्वतारोही भी घुटने टेक दे। हर साल लाखों लोग👇🏾
👉🏾एक समय था कि अफगानिस्तान में बौद्ध मंदिरों को तोपों से उड़ा दिया गया था और आज वहां के राष्ट्रपति हमारे देश पे आतंकवादी हमला हुआ तो उन्होंने दक्षेस सम्मलेन में पाक जाने से मना कर दिया।
👉🏾एक समय था जब ईरान हमारी एक नहीं सुनता था, आज उन्हीने भारत को चाबहार बंदरगाह @Geetaverma07👇🏾
बनाने और ईरान में अपनी फौजें रखने की इज़ाज़त दे दी।
👉🏾एक समय था कि नार्थ ईस्ट में terrorists हमला करके म्यांमार भाग जाते थे। *आज वहां की सरकार के सहयोग से इंडियन आर्मी ने वहीँ जा के उनके terrorist camps तबाह कर दिए।
👉🏾एक समय था जब खाड़ी देश पाक का साथ देते थे। दाऊद बरसों तक👇🏾👇🏾
दुबई में शरण लिए रहा। आज सऊदी अरब ने दाऊद की संपत्ति ही जब्त कर ली।
👉🏾एक समय था जब खाड़ी देश भारत को कमजोर और गरीब समझते थे,
आज अचानक क्या हुआ जो उन्हीने भारत के PM के आगमन पे अपने यहाँ पहला हिन्दू मंदिर बनाने के लिए जमीन दे दी।
इसपर बहुत लोग उलझन में पड़ गए।🤔
किसी ने "देश" कहा और किसी ने "धर्म"...
अगर मुझसे ये सवाल आज से 8 साल पहले पूछा गया होता तो देश बोलने में 1 सेकण्ड नहीं लगाता..
👉🏾पर आज मैं 'धर्म' बोलने में देर नहीं करूँगा।🚩💪🏾
देश... क्या है देश ?❓❓ @Geetaverma07 👇🏾
जब तक आप इस देश में है,,
तब तक आप इस देश में सुरक्षित हैं..
तभी तक तो है ये आपका देश।
देश तो ये तब भी कहलायेगा जब कोई इस देश पर कब्ज़ा कर ले और आपको भगा दे...😢
लेकिन तब ये देश उस आक्रमणकारी का होगा, आपका नहीं।😓
मतलब साफ है :- जब तक देश में आपका राज है तभी तक देश आपका है।👇🏾
देश बचता है "धर्म" से🚩
जिस मजहब के लोगों के पास एक भी देश नहीं था उसने सिर्फ उस पर अडिग रहकर 57 देश बना लिए😡
(सवाल ये नहीं कि उनका मजहब ख़राब है या अच्छा)
जिसने धर्म से ज्यादा राष्ट्रीयता को महत्त्व दिया उसके हाथ से देश निकल गया.!😭
👉🏾"स्त्री" सौंदर्य का पर्याय होती है, तभी स्त्री के ऊपर विद्वानों ने अनेकों ग्रन्थ-ग्रन्थावली रचित की, जिनकी केंद्र बिंदु स्त्री रही।
'सौंदर्य लहरी' आदि शंकराचार्य और पुष्पदंत द्वारा लिखी गई। जिसमें माँ पार्वती के सौंदर्य का वर्णन है तो रीतिकालीन कवियों का केंद्र बिंदु
स्त्री ही रही है।
स्त्रियों के पांव बहुत सुन्दर होते हैं..
इतने सुन्दर की, वह सभ्यता और आँचल की छाप उन पांवों की महावर सँजो कर रखती है। पुरुषों के पांव उतने सुन्दर नहीं होते.. उभरी हुई नशें, निकली हुई हड्डियां, दरकी हुई एड़ियां... ठीक वैसे ही, जैसे मोर के पांव सुन्दर नहीं होते।👇🏾
एक आम देहाती पुरुष अपने पैरों को केवल इसलिए कुरूप बना लेता है, ताकि उसकी स्त्री अपने सुन्दर पैरों में मेहदी और महावर रचा सके। स्त्री के पांव में बिवाई न फटे, इसी का प्रत्यन करते - करते उसके पांव में बिवाई फट जाती है।
भय बिनु होय न एकहुँ कामा !
भय बिनु करे न कोऊ कामा !!
सम्पूर्ण संसार एकमात्र भय, डर (चाहे किसी का हो) के कारण ही सब लोग काम कर रहे हैं और ये संसार चल रहा है !
तुलसीदास जी ने भी कहा है "भय बिनु होय न प्रीति"
"सब गुण बसे बाँस के पोरे" दण्ड के प्रावधान में सारा हल छुपा हुआ है !👇🏾
यह अकाट्य सत्य है कि अगर समाज का भय न हो तो लोग कपड़े पहनने तक से इनकार कर दें !
हर जगह खून खराबा, लूट खसोट शुरू हो जाएगा और अंत में सृष्टि का अंत !
इसीलिए इन सबको नियंत्रित करने के लिए भय/दण्ड का प्रावधान है !
अगर हमारे शास्त्रों में शास्त्रज्ञ या महापुरुष सीधे कहते कि 👇🏾👇🏾
सत्य का पालन करो , हिंसा न करो !
तो मजाल है कोई मानता !
ना बिलकुल नहीं !
हाँ इसको मनवाने के लिए उन्होंने भय का, दंड का सहारा लिया कि अगर तुम इसका पालन नहीं करोगे तो नरक में पड़ोगे, और उसमें भी हर दुष्कृत्य के लिए अलग अलग 28 नरक, 86 नरक कुंड, जैसे रौरव, अन्धतामिश्र, कुम्भीपाक👇🏾
👉🏾यह जो एक कहावत है न कि "ज्ञान कहीं से भी मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए"
यह इतना विनाशकारी सिद्धांत है कि बड़े से बड़े साधक का पतन करा देता है।
यह कहावत कहीं शास्त्रों में नहीं लिखा है।
अपितु यह कहा गया है कि ज्ञान बहुत ही सोच समझकर और अधिकारीजन से ही प्राप्त @Geetaverma07 👇🏾👇🏾
प्राप्त करना चाहिए।
विश्व में जन जन में इतनी भ्रांतियाँ फैली हैं कि लोग ऊपर तक पहुँचकर फिर इतना नीचे गिर जाते हैं कि उनका फिर से ऊपर उठना सम्भव नहीं हो पाता।
जहाँ से चले थे फिर वहीं पहुँच जाते हैं।
इसलिए यह संसार इधर उधर निरन्तर कालचक्र में घूम रहा है, @DamaniN1963@rs414317👇🏾
दुःख से प्लावित है।
यह सिद्धांत मानने वाले कि "ज्ञान कहीं से भी प्राप्त हो, ग्रहण कर लेना चाहिए" उस व्यक्ति की तरह हैं जो यह कहता है कि जल कहीं से भी प्राप्त हो पी लेना चाहिए भले उस का उद्गम मूत्राशय ही क्यों न हो।
सदा ध्यान रखे ज्ञान या जल का उद्गम देखा जाता है। @chhotiradha👇🏾
👉🏾ध्यान से पढ़ना क्योंकि यही आखिरी हथियार व रास्ता है।
अघोरी ने पूछा- विश्व के 31% लोग ईसाई हैं और उनके लिए 13 देश ऐसे हैं जहाँ ईसाइयत कानून से घोषित राष्ट्रीय धर्म है। विश्व की 24% जनसंख्या मुस्लिम है उनके 57 इस्लामिक देश हैं। 14% विश्व के सक्रिय हिन्दू होने @Geetaverma07 👇🏾👇🏾
होने के बाद भी उनके लिए कहीं राजकीय संरक्षण नही, कोई अपना राष्ट्र नहीं..??
भारत विश्व की ज्ञानभूमि है, सभ्यता की जननी है, हिन्दुओं की सनातन व्यवस्था ही सभी तरह की पूजा पद्धति की जननी है। सभी मतों को ईश्वरीय शक्ति का अन्वेषी मानते हुए हिन्दुओं ने सबको अपने यहां स्थान दिया। 👇🏾👇🏾
विश्व के लिए इतना सहयोगी होते हुए भी हिन्दुओं का कोई राष्ट्र नही, राजकीय संरक्षण भी नहीं। पाकिस्तान, बंग्लादेश जैसे अनेक छोटे और कमजोर देश भी इन्हें बुरी तरह प्रताड़ित करते हैं। विडम्बना है कि अपने मौलिक देश में भी हिन्दू निराशाजनक रूप उपहास और उपेक्षा का पात्र बनता रहा है। 👇🏾👇🏾