यह राम जी के रोष रूपी पावक थी जिसमे सोने की लंका जली।
तब 👇
जानकी माता बोलीं-- बेटा ! आग तो अपना पराया नहीं देखती, फिर यह तो बताओ•यह तुम्हारी पूंछ कैसे बच गई? लंका जली थी तो पूंछ भी जल जानी चाहिए थी ।
हनुमान जी ने कहा कि माता! उस आग में जलाने की शक्ति ही नहीं, बचाने की शक्ति भी बैठी थी।
मां बोली -- बचाने की शक्ति कौन है?
हनुमान जी 👇
ने तो जानकी माता के चरणों में सिर रख दिया ओर कह कि माँ ! हमें पता है, प्रभु ने आपसे कह दिया था। तुम पावक महुं करहु निवासा- - उस पावक में तो आप बैठी थीं। तो जिस पावक में आप विराजम तो ओ कैसे जल सकती मेरी पूंछ
जय जय श्री राम youtube.com/channel/UCm4JA…
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आदिपुरुष फिल्म की रिलीज की तारीख
जून 2023 तक टाल दी गई है यह सामान्य खबर
नहीं है एक ऐसी फिल्म जिसे बनाए जाने में करोड़ों रुपया लगाया गया उस फिल्म के माध्यम से आप की संस्कृति को और आपकी मान्यताओं को खंडित किए जाने का प्रयास किया गया
लेकिन समय रहते आप का विरोध सामने आ गया और 👇
जो लोग आपके ऊपर हमलावर होने वाले थे आज वह खुद पीछे हट रहे हैं इस फिल्म का टीजर रिलीज होने पर जब आपका विरोध सामने आया तो उन्होंने काफी कोशिश की कई मंचों के माध्यम से आप को समझाएं जाने का प्रयास किया गया कि यह सिर्फ एक फिल्म है और इससे आपकी मान्यताएं भ्रमित नहीं होती हैं 👇
मनोज मुंतशिर शरीके राष्ट्रवादी भी इस अभियान में
अपने स्वार्थ की खातिर शामिल हो गए और बड़ी कठिनाई
से बनाई गई अपनी राष्ट्रवादी छवि को समाप्त कर बैठे लेकिन आपकी ताकत आपकी एकजुटता उनके भ्रम जाल में नहीं आई और आपकी संगठन शक्ति के मुकाबले वह हार गए और उन्हें पीछे हटना पड़ा
हो सकता है
कोई बच्चा यह तय नहीं कर सकता कि वह किस जाति की माँ के पेट में पलेगा या अपनी इच्छा से जन्म लेगा किसी गरीब या अमीर के घर में ।इसलिए इस देश में पैदा होने वाले हर बच्चे को समान अधिकार दो ।
बच्चों को आरक्षण नहीं, बल्कि उनको संरक्षण दो ।
इसके लिए 12वीं तक भारत में पैदा होने वाले 👇
किसी भी जाति-धर्म के बच्चे को फ्री गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और फ्री स्वास्थ्य सुविधाएं दो । जिससे उसका पूरा शारीरिक और बौद्धिक विकास हो ।
12वीं तक की शिक्षा के दौरान बच्चों में उनके अंदर उपस्थित नैसर्गिक कौशल को पहचान कर उसे उस क्षेत्र में प्रवीण होने के लिए विशेष सुविधाएं दो ।
जैसे कोई बच्चा चित्रकारी में अद्भुत प्रदर्शन करता हो तो उसे इस क्षेत्र में आगे बढ़ाओ ।
बच्चों के एक जैसे माहौल में बारहवीं तक शिक्षित होने के बाद उनको सिर्फ मेरिट के आधार पर उच्च शिक्षा, मेडिकल, इंजिनीयरिंग इत्यादि में प्रवेश दो । इसी तरह नौकरियों में भी मेरिट से ही चयन करो ।👇
प्रातकाल उठि कै रघुनाथा।
मातु पिता गुरु नावहिं माथा॥
आयसु मागि करहिं पुर काजा।
देखि चरित हरषइ मन राजा॥
हमारे नीतिशास्त्रों में सेवा-सहायता को सर्वोपरि धर्म बताया गया है और कहा गया है कि इसकी शुरुआत घर में माता-पिता की सेवा से की जा सकती है
जो व्यक्ति इन सेवा-धर्मों को अपना👇
लेता है।
वह स्वतः मोक्ष पा जाता है।
एक महान संत महाराजजी श्रीमद्भागवत की कथा सुना रहे थे।
एक युवक बड़ी तन्मयता से उनकी कथा सुन रहा था लीला प्रसंगों को सुनकर उसकी आंखें नम हो जाती थीं।
जैसे ही रात को सात बजते, वह कथा बीच में छोड़कर घर लौट जाता।
एक दिन वह कथा से पूर्व संत जी के
दर्शन के लिए आया।
संत जी ने उससे पूछ लिया, बेटा
तुम कथा बीच में छोड़कर क्यों चले जाते हो?
युवक ने बताया कि महाराज, मेरी माताजी का निधन हो चुका है।
घर में पिताजी अकेले रहते हैं।
उन्हें दिखाई नहीं देता।
दिन छिपते ही मैं घर पहुंचे 👇
"#सब_तीरथ_बार_बार_गंगा_सागर_एक_बार "
पुराणों के अनुसार कपिल मुनि के श्राप के कारण ही राजा सगर के 60 हज़ार पुत्रों की इसी स्थान पर तत्काल मृत्यु हो गई थी। उनके मोक्ष के लिए राजा सगर के वंश के राजा भगीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाए थे और गंगा यहीं सागर से मिली थीं। कहा ये भी जाता है 👇
कि, एक बार गंगा सागर में डुबकी लगाने पर 10 अश्वमेध यज्ञ और एक हज़ार गाय दान करने के समान फल मिलता है। गंगासागर मेला महाकुम्भ के बाद सबसे बड़ी Human gathering है। ओर हर साल ये मेला बस एक ही दिन मकर-संक्रांती को भरता है। ग्रहों का विशिष्ट allignment और सागर में पानी की स्थिती ऐसी
स्थिती बनती है ज़िसकी वजह से कहा जाता था की साल में बस एक ही दिन आता है जब पानी के बीच बनी कपिल मुनी की समाधी पुरी दिखाई देती। बड़े ही scientific तरीके से उनकी समाधी बनाई गई थी।
इसीलिये तो कहा जाता था :-
"सब तीरथ बार-बार, गंगा सागर एक बार।
लेकिन,
आज तो मकर संक्रांति नही,👇