थ्रेड: #ड्यू_डिलिजेंस
बैंक में ड्यू डिलिजेंस बहुत जरूरी चीज है। बिना ड्यू डिलिजेंस के हम लोन देना तो दूर की बात है कस्टमर का करंट खाता तक नहीं खोलते।
लोन देने से पहले पचास सवाल पूछते हैं। पुराना रिकॉर्ड चेक करते हैं। चेक बाउंस हिस्ट्री चेक करते हैं।

#12thBPS
#7thDayPastDue
और लोन देने के बाद भी उसकी जान नहीं छोड़ते। किसी कस्टमर के खाते में अगर एक महीने किश्त ना आये तो उसकी CIBIL खराब हो जाती है। और तीन महीने किश्त न आये तो खाता ही NPA हो जाता है और फिर उसे कोई लोन नहीं देता।
#12thBPS
अगर डॉक्यूमेंट देने में या और कोई कम्प्लाइंस में ढील बरते तो बैंक पीनल इंटरेस्ट चार्ज भी करते हैं। लेकिन बैंकों का ये ड्यू डिलिजेंस केवल कस्टमर के लिए ही है। पिछले 56 सालों से बैंकरों का अपना रीपेमेंट टाइम पर नहीं आ रहा। हर पांच साल में बैंकरों का वेज रिवीजन ड्यू हो जाता है।
नियमानुसार वेज रिवीजन की ड्यू डेट के दिन हमारा वेज रिवीजन हो जाना चाहिए। लेकिन इतिहास गवाह है कि आज तक ऐसा नहीं हुआ है। किश्त चुकाने में 10 दिन की देर होने पर कस्टमर को नोटिस
और 90 दिन की देर होने पर लीगल नोटिस देकर केस ठोक देने वाले बैंकर्स का खुद का वेज रिवीजन तीन तीन साल तक नहीं होता। और अब तो ये समय बढ़ता ही जा रहा है। चौथे BPS में 78 दिन की देरी से शुरू होकर ग्यारहवें BPS में रिकॉर्ड 1106 दिन की देरी दर्ज की गई है।
बारहवें BPS का तो ये हाल है कि ड्यू डेट निकलने के दिन तक तो बहुत से महान यूनियन वालों ने चार्टर ऑफ़ डिमांड तक सबमिट नहीं किया था। जहाँ कस्टमर से खाता इर्रेगुलर होने पर पीनल इंटरेस्ट से लेकर कोर्ट केस तक का प्रावधान है,
यूनियन वालों को इसी देरी और इर्रेगुलरिटी के लिए लेवी नामक ईनाम दिया जाता है। मजे की बात ये ही कि वेज रिवीजन जितना देर से होगा लेवी की रकम उसी अनुपात में बढ़ती जायेगी। मतलब कस्टमर जितना देर से किश्त जमा करवाएगा उसे उतना ही ईनाम दिया जाएगा
और जिस दिन किश्त जमा करवाएगा उस दिन पूरा बैंकर मोहल्ला उसे भारी भरकम फूल मालाएं पहनायेगा। क्यों न इन यूनियन वालों के साथ भी कस्टमर जैसा ही सुलूक किया जाए? इनको भी नोटिस दिए जाएँ, इनके भी CIBIL खराब किये जाएँ। वेज रिवीजन की हर फेल मीटिंग के साथ इनका भी चेक बाउंस का चार्ज काटा जाए।
एक बार वेज रिवीजन में 90 दिन से ज्यादा की देरी होने पर इन्हें दुबारा यूनियन में घुसने ना दिया जाए। वैसे भी ये बैंकर थोड़े ही हैं। ये बैंकर थे कई साल पहले। अब तो रिटायर हो चुके हैं। क्यों न इनके हाथ में हमारे वेज रिवीजन की जिम्मेदारी देने से पहले पूरा ड्यू डिलिजेंस किया जाए।

• • •

Missing some Tweet in this thread? You can try to force a refresh
 

Keep Current with WhiteCollarMazdoor

WhiteCollarMazdoor Profile picture

Stay in touch and get notified when new unrolls are available from this author!

Read all threads

This Thread may be Removed Anytime!

PDF

Twitter may remove this content at anytime! Save it as PDF for later use!

Try unrolling a thread yourself!

how to unroll video
  1. Follow @ThreadReaderApp to mention us!

  2. From a Twitter thread mention us with a keyword "unroll"
@threadreaderapp unroll

Practice here first or read more on our help page!

More from @BankerDihaadi

Nov 8
थ्रेड: #हरि_अनंत_हरि_कथा_अनंता

नोटबंदी जैसी तुग़लकी स्कीम जिससे सिर्फ एक पार्टी और चंद पूंजीपतियों को हुआ, लेकिन पूरा देश एक एक पैसे के लिए तरस गया, धंधे बर्बाद हो गए, बैंकरों ने अपनी जान खपा दी, दिन रात पत्थरबाजी झेली, रोज गालियां खाई,
साहब के कपड़ों की तरह दिन में कई कई बार बदले नियमों को झेला, नुक्सान की भरपाई जेब से करी। और जैसा कि होना था, भारी मीडिया मैनेजमेंट और ट्रोल्स की फ़ौज के बावजूद नोटबंदी फेल साबित हुई।
जब नोटबंदी फेल हुई थी तो बड़ी बेशर्मी से इन लोगों ने नोटबंदी की विफलता का ठीकरा बैंकों के माथे फोड़ दिया।
"अजी वो तो बैंक वाले ही भ्रष्ट हैं वरना जिल्लेइलाही ने तो ऐसे स्कीम चलाई थी कि देश से अपराध ख़त्म ही हो जाना था।"
Read 12 tweets
Oct 15
थ्रेड: #परफॉरमेंस
मेरी पिछली कंपनी में एक GM साहब थे। बहुत हाई परफ़ॉर्मर। मतलब जिस माइन के लिए कंपनी ने पांच साल पहले बोल दिया था कि अब इसमें मिट्टी के अलावा कुछ नहीं बचा उसमें से भी पांच साल से प्रोडक्शन देकर टॉप पे रखा हुआ था। 48 की उम्र में GM बन गए थे।
ना खाने का होश, ना पहनने का। फैमिली कहाँ पड़ी है कोई आईडिया नहीं। मतलब, GM साहब को आईडिया होगा लेकिन हमको आईडिया नहीं था क्योंकि हमने तो उन्हें कभी घर जाते देखा नहीं। छुट्टी वगैरह कुछ नहीं। ना खुद लेते थे ना स्टाफ को देते थे। स्टाफ की नाक में दम किया हुआ था।
बिना गालियों के तो बात ही नहीं करते थे। खौफ का दूसरा नाम। कंजूस इतने कि क्लब नाईट में भी खाने में केवल पूरी और परवल की सब्जी बनवाते थे। मतलब पूरी तरफ से कंपनी को समर्पित।
Read 12 tweets
Oct 1
थ्रेड: #Hierarchy
समाजशास्त्र में एक सिद्धांत है। "Power is zero sum game" का। मतलब जैसे ऊर्जा उत्पन्न या नष्ट नहीं की जा सकती केवल एक स्वरुप से दूसरे स्वरुप में परिवर्तित की जा सकती है वैसे ही शक्ति भी केवल एक व्यक्ति से दूसरी व्यक्ति को ट्रांसफर की जा सकती है।
अगर किसी व्यक्ति कि शक्ति बढ़ रही है बदले में किसी न किसी कि शक्ति कम भी हो रही है। मानव समाज विकास के प्रारंभिक चरण को "प्रिमिटिव कम्युनिज्म" कहा जाता है जहाँ सबके पास सामान शक्ति हुआ करती थी।
धीरे धीरे शक्ति का असंतुलन बढ़ता गया और सत्ता कुछ लोगों के हाथ में केंद्रित होकर रह गई। धीरे धीरे एक पूरी शक्ति की एक पूरी हायरार्की बन गई। सबसे ऊपर राजा, फिर सामंत, फिर राज कर्मचारी, फिर व्यापारी, फिर आम प्रजा।
Read 16 tweets
Oct 1
बैंकों में दो तरह के लोग मिलते हैं। एक वो जो बड़ी सोच लेकर चलते हैं। उनको टारगेट से ज्यादा मतलब नहीं होता। हर कस्टमर को सर्विस देते हैं। अकाउंट खोलने के लिए लॉगिन डे का इंतज़ार नहीं करते। जिस दिन फॉर्म आता है अकाउंट खोल देते हैं। जो काम आता है उसे करने में विश्वास रखते हैं।
उनकी टेबल पे आपको "ये मेरा काम नहीं है, फलाने से बात करो", "टाइम नहीं है, कल आना" टाइप की चीजें सुनने को नहीं मिलती। कई बार दो कदम आगे जाकर कस्टमर और साथी स्टाफ की मदद करते हैं। इनके लिए कस्टमर का सेटिस्फैक्शन और बैंक की इमेज सर्वोपरि होती है।
फिर दूसरे तरीके के लोग आते हैं। हर बात में नियम झाड़ते हैं। टारगेट पूरा करने के लिए घटिया से घटिया लोन भी कर देंगे, बद्तमीज कस्टमर के पैरों में गिरकर भी इन्शुरन्स के लिए गिड़गिड़ाएंगे। लेकिन जैसे ही टारगेट पूरा हुआ उस दिन अच्छे से अच्छे कस्टमर को भी घुसने नहीं देंगे।
Read 6 tweets
Sep 20
रोज किसी न किसी बैंक से किसी न किसी उच्चाधिकारी के सनकीपन की खबर आरही है। कोई स्टाफ की सैलरी रोक देने की बात करता है, कोई रात के 12 बजे ब्रांच खुलवा रहा है, कोई बीमा नहीं करने पर स्टाफ का खाता डेबिट करने की धमकी दे रहा है,
एक भाईसाहब चाहते हैं कि अगर उनको व्हाट्सप्प पर रिपोर्ट नहीं मिली तो ब्रांच मैनेजर उनके ऑफिसर आकर उनके श्रीचरणों में ब्रांच की डेली रिपोर्ट प्रस्तुत करे। एक अन्य महाशय का मानना है कि दादी-नानी तो मरती रहती हैं, ब्रांच के टारगेट ज्यादा जरूरी हैं।
एक साहब ने बताया कि माँ मर गई तो कौनसी बड़ी बात हो गई, बूढी ही तो थी, छुट्टी नहीं मिलेगी, जाओ ब्रांच चलाओ और बीमा बेचो। एक स्टाफ छुट्टी पे थी और ट्रेन से अपने निजी काम से कहीं जा रही थी तो उन्हें जबरदस्ती DGM की मीटिंग ज्वाइन करवाई गई।
Read 13 tweets
Sep 18
थ्रेड: #रिकवरी

भारत में रिकवरी की प्रक्रिया कैसी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि "Enforcement of contracts" के मामले में भारत कि रैंकिंग 190 देशों में 163 है। "Enforcement of contracts" Ease of doing business के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण पैरामीटर है।
कस्टमर्स की अक्सर शिकायत रहती है कि भारत में बैंकों में लोन के लिए या सिंपल अकाउंट खुलवाने के लिए जितने साइन करवाए जाते हैं उतने पूरी दुनिया में कहीं नहीं करवाए जाते। बड़े बिज़नेस लोन का सैंक्शन लेटर करीब 50 पन्नों का होता है।
उसमें हर पेज पर बोर्रोवेर और गारंटर का साइन चाहिए। सैंक्शन लेटर में लोन की सारी टर्म्स एंड कंडीशंस होती हैं। अगर आप सैंक्शन लेटर की टर्म्स एंड कंडीशंस पढ़ेंगे तो ऐसा लगेगा की बैंक आपकी आत्मा को गिरवी रख रहा है।
Read 19 tweets

Did Thread Reader help you today?

Support us! We are indie developers!


This site is made by just two indie developers on a laptop doing marketing, support and development! Read more about the story.

Become a Premium Member ($3/month or $30/year) and get exclusive features!

Become Premium

Don't want to be a Premium member but still want to support us?

Make a small donation by buying us coffee ($5) or help with server cost ($10)

Donate via Paypal

Or Donate anonymously using crypto!

Ethereum

0xfe58350B80634f60Fa6Dc149a72b4DFbc17D341E copy

Bitcoin

3ATGMxNzCUFzxpMCHL5sWSt4DVtS8UqXpi copy

Thank you for your support!

Follow Us on Twitter!

:(