"#सब_तीरथ_बार_बार_गंगा_सागर_एक_बार "
पुराणों के अनुसार कपिल मुनि के श्राप के कारण ही राजा सगर के 60 हज़ार पुत्रों की इसी स्थान पर तत्काल मृत्यु हो गई थी। उनके मोक्ष के लिए राजा सगर के वंश के राजा भगीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाए थे और गंगा यहीं सागर से मिली थीं। कहा ये भी जाता है 👇
कि, एक बार गंगा सागर में डुबकी लगाने पर 10 अश्वमेध यज्ञ और एक हज़ार गाय दान करने के समान फल मिलता है। गंगासागर मेला महाकुम्भ के बाद सबसे बड़ी Human gathering है। ओर हर साल ये मेला बस एक ही दिन मकर-संक्रांती को भरता है। ग्रहों का विशिष्ट allignment और सागर में पानी की स्थिती ऐसी
स्थिती बनती है ज़िसकी वजह से कहा जाता था की साल में बस एक ही दिन आता है जब पानी के बीच बनी कपिल मुनी की समाधी पुरी दिखाई देती। बड़े ही scientific तरीके से उनकी समाधी बनाई गई थी।
इसीलिये तो कहा जाता था :-
"सब तीरथ बार-बार, गंगा सागर एक बार।
लेकिन,
आज तो मकर संक्रांति नही,👇
तो मैं आज गंगा सागर को क्यूँ याद कर रही हूँ। उसका कारण है कपिल मुनि। सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि ने भले ही समाधि गंगासागर में लगाईं हो, किन्तु अपनी तपोस्थली के रूप में हमारे बीकानेर की पवित्र भूमि कोलायत धाम को चुना। आज भी दर्शन शास्त्र के अध्ययन में सबसे अधिक पढ़ाई सांख्य
की ही करवाई जाती है।आज कार्तिक पूर्णिमा को कोलायत धाम में उनका मेला भरता है।
हमारे बीकानेर के कोलायत धाम में कपिल मुनी की तपोस्थली है।जी ये वही कोलायत जी है जहाँ Robert Vadra ने ज़मीनें खरीद डाली। सोचो सोचो, कुछ तो अद्भूत होगा ना बीकानेर में।यही पर धन-धन सतगुरु डेरा सच्चा सौदा
का एक बहोत बड़ा आश्रम भी बना था। Gypsum की बड़ी-बड़ी खानें भी है यहां। शायद आने वाले समय में तैल का कोई कुआं ही ना निकल आये। उफ़ क्या-क्या नही होता इस रेगिस्तान में। लोग आज से 30 साल आगे का सोच के कब्जा या Investment कर ही देते हैँ। सिक्ख श्रद्धालू अचानक से पूर्णिमा के दिन बहुत
अधिक मात्र में आने लगे हैं। तालाब के बाजू में गुरुद्वारा बन गया है।
वहां बहुत हो सुन्दर तालाब है, जिसपर छतरियाँ बना दी गई है।एक मजेदार कीवदंती हम शहर वालों में ये भी है की आज के दिन जब कोलायत जी का पानी हिलता है आज के मेले में।तो शीत लहर चालू हो जाती हैकोलायत धाम पश्चिमी क्षेत्र
के सबसे बड़े धाम है, वहां पर किसी परिवार में मरण के बाद सवा महीने के कपड़े बदलने आसपास के लोग ज़रूर जाते हैं। हमारे लिए तो कपिल सरोवर ही हमारी गंगा जी और कोलायत धाम हमारा हरिद्वार और बनारस है।कोलायत के छोटे से तालाब में 52 घाट है।और कार्तिक पूर्णीमा को कपिल मुनी के दर्शन करने लोग
दूर-दूर से आते है। कोलायत जी एक दिन नहा लिए तो किसी बड़े तीर्थ स्थल में 10 साल रहने जितना ही पुण्य मिलता है। कपिल मुनी का एक बहोत प्यारा सा मंदिर सरोवर के पास बना हुआ है
जय जय कपिल मुनि। भाग खुल गए हमारे धोरों के आपने कोलायत को अपनी तपोस्थली चुना। youtube.com/channel/UCm4JA…
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कहां है जातिवाद ?
स्कूल में है ? *नहीं है।*
कॉलेज में है ? *नहीं है।*
ट्यूशन में है ? *नहीं है।*
हॉस्पिटल में है ? *नहीं है।*
प्राइवेट जोब में है ? *नहीं है।*👇
मोबाईल खरीदने में है ? *नहीं है।*
सिमकार्ड खरीदने में है ? *नहीं है।*
ऐमज़ॉन, फ्लिपकार्ट पे है ?*नहीं है।*
बैंक में है ? *नहीं है।
किसी भी बिसिनेस में है ?*नहीं है।*
राशन की दुकान में है ?*नहीं है।*
मॉल में है ? *नहीं है।*
मूवी थिअटर में है ?*नहीं है
रेस्टोरेंट में है ? *नहीं है।
होटल्स में है ? *नहीं है।*
बस, ट्रैन, प्लैन में है ? *नहीं है।*
स्कूटर लेने जाओगे वहाँ है ? *नहीं है।*
श्मशान में है ? *नहीं है।*
सब्जी मंडी में पूछते हो ? *नहीं है।*
पार्टी में पूछते हो ? *नहीं।*
त्योहार मनाते वक़्त पूछते हो ? *नहीं।*
विप्रधेनु सुरसन्त हित
लीन्ह मनुज अवतार ||
भावयत्येष सत्वेन लोकान् वै लोकभावन: |
लीलावतारानुरतो देव तिर्यङ्नरादिषु ||
अर्थात
ये लोकभावन श्रीहरि
देव तिर्यंङ् नर आदि में तत्तत् सजातीय रूप से लीला के द्वारा अवतार में अनुरत हो कर लोकों की सत्व गुण से युक्त होकर भावना पालन करते हैं।👇
अथवा
लीला द्वारा अवतार ले लेकर तत्परता से लोक पालन करते हैं।
निज इच्छा निर्मित तनु।
इच्छामय नर वेष सँवारे। सम्भवाम्यात्ममायया
अपनी माया सङ्कल्प से ही सम्भूत होते हैं।
जीवों के शरीर धारण में
व श्रीभगवान् के शरीर धारण में
यह एक बड़ा अन्तर है।
जीव कर्मों के अधीन उनके भोगों के लिये
शरीर धारण करते हैं।
श्रीभगवान् स्वेच्छा से जीवों का पालन करने के लिए शरीर धारण करते हैं।
जीवों के शरीर प्राकृत होते हैं।
श्रीभगवान् के शरीर अप्राकृत सच्चिदानन्द मय शुद्धसत्व मय होते हैं।
श्रीभगवान् के अवतार का मुख्य प्रयोजन लोक पालन ही है।
लोक पालन के लिए उपयोगी होने से दुष्टों
चाचा नेहरू और जींस-टॉप
एक ईसाई मिशनरी स्कूल ने आने वाले " बाल-दिवस "पर नर्सरी से लेकर बारहवीं कक्षा तक के छात्राओं को "जींस-टॉप " पहनकर आने का आदेश अनिवार्य किया है।
चुंकि ये विश्व के सबसे धूर्त-नस्लों में से एक हैं इसलिए इन्होंने विवाद अथवा भारतीय दंड संहिता से बचने के लिए कोई👇
लिखित आदेश नहीं दिया है। आदेश मौखिक है।अतः मैं यहां विद्यालय का नाम नहीं लिख रहा हूँ।
एक बार अचानक उस विद्यालय के बच्ची के घर गया था किसी काम से।बच्ची ने मेरे सामने मम्मा-पापा को जींस-टॉप के लिए कहा।मम्मी तो चुप थीं पर पापा ने छड़ी निकाली और डांटा,कहा ये हमारी भारतीय लड़कियों
के पोशाक नहीं हैं।"
अभिभावक एक निम्नवर्गीय हिंदू दलित परिवार से आते हैं। बेहतर शिक्षा के लालच में इनलोगों ने बच्ची का नाम ऐसे स्कूल में करा दिया जहाँ का फी भरना इनके लिए कठिन है बल्कि समय-समय पर भारतीय संस्कारों, परम्पराओं और संस्कृति को अपना भोजन बनाने के लिए ऐसे जींस-टॉप वाले
मनीष सिसोदिया ने असम के मुख्यमंत्री पर बिना किसी सबूत के यह झूठा आरोप लगाया था कि उन्होंने अपनी पत्नी की कंपनी को PPE किट खरीदने का टेंडर दिया है
असम के मुख्यमंत्री ने चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट की अदालत में क्रिमिनल मानहानि केस कर दिया
तब ये धूर्त गुवाहाटी हाई कोर्ट में याचिका👇
दायर किया की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप तो लगते रहते हैं इस पर क्रिमिनल मानहानि केस नहीं होना चाहिए
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने मनीष सिसोदिया की याचिका खारिज किया और कहा कि आपने एक राज्य के मुख्यमंत्री पर संगीन आरोप लगाए हैं या तो आप सबूत दे दीजिए या आपके ऊपर क्रिमिनल मानहानि का केस
चलता रहेगा और यदि सुनवाई के दौरान आप आरोप को साबित नहीं कर पाए तब कोर्ट तय करेगी कि आप को क्या सजा दी जाती है
मैं हेमंत विश्व शर्मा से यही अपील करूंगा कि जो गलती अरुण जेटली और नितिन गडकरी तथा बादल परिवार ने किया था वह गलती आप मत करिएगा...👇
कृष्णदर्शन अवतार
भगवान शिव ने इस अवतार में यज्ञ आदि धार्मिक कार्यों के महत्व को बताया है। इस प्रकार यह अवतार पूर्णत: धर्म का प्रतीक है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इक्ष्वाकुवंशीय श्राद्धदेव की नवमी पीढ़ी में राजा नभग का जन्म हुआ। विद्या-अध्ययन को गुरुकुल गए नभग जब बहुत दिनों तक न 👇
लौटे तो उनके भाइयों ने राज्य का विभाजन आपस में कर लिया। नभग को जब यह बात ज्ञात हुई तो वह अपने पिता के पास गए। पिता ने नभग से कहा कि वह यज्ञ परायण ब्राह्मणों के मोह को दूर करते हुए उनके यज्ञ को सम्पन्न करके, उनके धन को प्राप्त करे।तब नभग ने यज्ञभूमि में पहुंचकर वैश्य देव सूक्त के
सूक्त के स्पष्ट उच्चारण द्वारा यज्ञ संपन्न कराया। अंगारिक ब्राह्मण यज्ञ अवशिष्ट धन नभग को देकर स्वर्ग को चले गए। उसी समय शिवजी कृष्णदर्शन रूप में प्रकट होकर बोले कि यज्ञ के अवशिष्ट धन पर तो उनका अधिकार है।
विवाद होने पर कृष्णदर्शन रूपधारी शिवजी ने उसे अपने पिता से ही निर्णय कराने