और आप आज तक समझ नहीं पाए...!
बकरी ईद से पहले परिवार करीब 10 दिनों तक बकरी/बकरे को रखता है।
इस समय के दौरान,वे इसे खिलाते हैं,इसे नहलाते हैं, इसके साथ खेलते हैं और लगभग एक बच्चे की तरह इसकी देखभाल करते हैं।
घर के बच्चे इसके प्रति बहुत स्नेही हो जाते हैं👇
फिर एक सुबह बकरी को #हलाल किया जाता है।
बच्चों की आंखों के ठीक सामने।
बच्चे शुरू में क्रोधित, उन्मादी और उदास हो जाते थे लेकिन अंततः उन्हें इसकी आदत हो जाती है।
यह प्रक्रिया 1 से 18 वर्ष की आयु के बच्चे पर हर साल दोहराई जाती है।
जब वे 18 वर्ष के होते हैं, तब तक वे जान
जाते हैं कि #मज़हब के लिए जीवन की सबसे प्रिय वस्तु की भी कुर्बानी दी जाती है। यहां तक कि जिस बकरे को आप पाल रहे थे और जिसे प्यार से पाल-पोस कर आपने बड़ा किया वो भी मायने नहीं रखता।
इसलिए जब वे आपसे दोस्ती करते हैं, आपके लिए मददगार होते हैं, आपको भाई-बहन कहते हैं,और आपके करीब
हो जाते हैं.
#याद_रखें
कि उन्होंने बचपन से हर साल इस कला का अभ्यास किया है।
आप बकरी से अलग नहीं हैं।
#तुम्हारा अब्दुल अलग नहीं है, वो एक प्रशिक्षित #कसाई है.!
👇 youtube.com/shorts/shcgcAW…
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बॉलीवुड में हि-न्दूद्रोही & ज़ि_हाद कितना ताकतवर और ख-तरनाक हो गया इसका सबसे माRक या कहें कि घAतक उदाहरण आज इस पोस्ट में लिख रहा हूं।
1973 में 29 वर्ष के एक संगीतकार ने हिंदी फ़िल्मों में प्रवेश किया था।अगले 15 वर्षों में इस संगीतकार ने 36 फिल्मों में संगीत दिया था।1987 में इस👇
संगीतकार ने चरम को तब छूआ था जब दूरदर्शन पर कालजयी धरावाहिक "रामायण" प्रसारित हुआ था।
रामायण को सर्वकालीन सर्वाधिक लोकप्रिय धारावाहिक बनाने में उस धारावाहिक के अमर संगीत का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। रामायण धारावाहिक का अमर गीत "हम कथा सुनाते राम सकल गुण धाम की" जिसे पिछले वर्ष
दिसंबर में यूट्यूब पर अपलोड किया गया और उसे अब तक 11.76 करोड़ लोग देख चुके हैं।
इतनी अभूतपूर्व सफलता के आस-पास तक कोई दूसरा गीत आज-तक नही पहुंच सका है। उस गीत को अपने संगीत से सजाने के साथ ही साथ लिखा भी उसी संगीतकार ने। उनका नाम था #आदरणीय_रविंद्र_जैन_जी।
ताहि देइ गति राम उदारा।
सबरी कें आश्रम पगु धारा॥
सबरी देखि राम गृहँ आए।
मुनि के बचन समुझि जियँ भाए॥
उदार प्रभुश्रीराम
कबन्ध नामक राक्षस को गति देकर शबरीजी के आश्रम में पधारे
शबरीजी ने श्री रामचंद्रजी को घर में आए देखा तब मुनि मतंगजी के वचनों को याद करके उनका मन प्रसन्न हो गया।👇
आज मेरे
गुरुदेव का वचन पूरा हो गया।
उन्होंने कहा था की राम आयेगे।
और प्रभु आज आप आ गए।
निष्ठा हो तो शबरी जैसी।
बस गुरु ने एक बार बोल दिया की राम आयेगे और विश्वास हो गया।
हमे भगवान इसलिए नही मिलते क्योकि हमे अपने गुरु के वचनो पर भरोसा ही नही होता।
जब शबरी ने
श्री राम को देखा तो
आँखों से आंसू बहने लगे और चरणो से लिपट गई है।
सबरी परी चरन लपटाई ||
सबरी मुह से
कुछ बोल भी नही पा रही है चरणो में शीश नवा रही है।
फिर सबरी ने दोनों भाइयो राम लक्ष्मण जी के चरण धोये है।
कुटिया के अंदर गई है
और बेर लाई है।
वैसे रामचरितमानस में कंद-मूल लिखा हुआ है।
लेकिन संतो
*मुस्लिम युवको के द्वारा हिन्दू लड़कियों को अपना फर्जी हिन्दू नाम बताकर और लव जिहाद मे फसाकर हिंदुओं की आबादी कम करने की साजिश रची गयीं है हिंदुओं दिमाग लगाओ*
*हिंदुओं लड़को की शादी करने के लिए लड़कियों की बहुत कमी है ,और रोज लव जिहाद के नए नए केस सामने आ रहे हैं क्योंकि जब👇
हिंदुओं की शादी करने के लिए लड़की नहीं रहेंगी तो हिंदू लड़कों की शादी कैसे होगी ,और जब हिंदुओं की शादी होगी नहीं तो हिंदुओं की आबादी बढ़ेगी कैसे, हिंदुओं की आबादी तेजी से कम हो रही हैं आप लोग ध्यान दे*
*हिंदू बहनों को छल-कपट से फंसा कर हिंदुओं को खत्म करने की बहुत बड़ी साजिश
चल रही है कृपया ध्यान दे हमारी हिन्दू बहनों और बेटियों की लाश कही सूटकेस में तो कही 35 टुकड़ों में मिलती है कल श्रद्दा को आफताब के द्वारा 35 टुकड़ो मे काटने की खबर आई थी तो आज एक और लव जेहाद में फसी हिन्दू लडकी को लखनऊ मे चौथी मंजिल से नीचे फेंक कर हत्या कर दी गयी तो आज ही मेरठ
हिन्दू शब्द
"हिन्दू" शब्द
करोड़ों वर्ष प्राचीन संस्कृत शब्द है।
अगर संस्कृत के इस शब्द का
सन्धि विछेदन करें तो पायेंगे
हीन+दू = हीन भावना + से दूर
अर्थात
जो हीन भावना या दुर्भावना से दूर रहे मुक्त रहे वो हिन्दू है।
हमें बार-बार
हमेशा झूठ ही बतलाया जाता है कि "हिन्दू" शब्द 👇
मुगलों ने हमें दिया जो "सिंधु" से "हिन्दू" हुआ।
"हिन्दू" शब्द की वेद से ही उत्पत्ति हुई है।
जानिए ?
कहाँ से आया हिन्दू शब्द ?
और कैसे हुई इसकी उत्पत्ति ?
भारत में
बहुत से लोग हिन्दू हैं।
एवं वे हिन्दू धर्म का पालन करते हैं।
अधिकतर लोग "सनातन धर्म" को हिन्दू धर्म मानते हैं।
कुछ
लोग यह कहते हैं कि
"हिन्दू शब्द सिंधु से बना है"।
औऱ यह "फारसी" शब्द है।
जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है।
हमारे वेदों और पुराणों में
"हिन्दू" शब्द का उल्लेख मिलता है।
आज हम आपको बता रहे हैं कि
हमें "हिन्दू" शब्द कहाँ से मिला है।
"ऋग्वेद" के "ब्रहस्पति अग्यम" में हिन्दू शब्द का उल्लेख👇
हेग से 50 साल के श्रमसाध्य कारावास का निर्णय आए हुए कुछ समय बीत चुका चुका था..
जीवन अंडमान के इस कारावास के अनुरूप हो चला था..
खटमलों से भरी रातों और नारियल की जटाओं से रस्सी बनाने के काम में घावों से भरे हाथों के साथ दिन बीत रहे थे..
अच्छी या बुरी किसी अप्रत्याशित घटना की कोई👇
गुंजाइश अब यहां नहीं थी..
जेल की कोठरी की छत और दीवार के बीच की दरार में कुछ हलचल की आहट हुई.. कबूतरों के एक जोड़े ने वहां अपना घरौंदा बना लिया था..
वे कबूतर अब उनके साथ ही रहते थे पर वे पक्षी आजाद थे और ये परतंत्र..
तिस पर भी कबूतरों के उस जोड़े से मन बहल जाया करता था...कुछ
दिन ऐसे ही बीत चले.. सहसा एक रोज हवलदार ने दरवाजे पर दस्तक दी..
उनके कानों में एक तिलिस्मी शब्द गूंज गया "चलो"
एक कैदी के लिए "चलो" का मतलब है आजादी..
भले ही वह क्षणिक ही हो.. पर कोठरी से बाहर निकलने को तो मिलता ही है..
हवलदार आगे आगे चलता और वे पीछे पीछे ..
बस इतना ही पता था कि
प्रथम भक्ति संतन्ह कर संगा ||
भक्ति के प्रधान 2भेद हैं
एक साधन रूप
जिसको वैध और नवधा के नाम से भी कहा गया है।
दूसरा साध्य रूप
जिसको प्रेमा प्रेम लक्षणा आदि नामों से कहा है।
इनमें नवधा साधनरूप है।
और प्रेम साध्य है।
तो"वैध-भक्ति"किसका नाम है ?
इसके उत्तर में यही कहा जा सकता है👇
कि स्वामी जिससे संतुष्ट हो उस प्रकार के भाव से भावित होकर उसकी आज्ञा के अनुसार आचरण करने का नाम "वैध-भक्ति" है।
तुलसीकृत रामायण में
शबरी के प्रति भगवान् श्रीरामचंद्र जी कहते हैं
प्रथम भगति संतन्ह कर संगा ।
दूसरि रति मम कथा प्रसंगा॥
गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान ।👇