मुंडेश्वरी मंदिर, कैमूर, बिहार - भारत 🇮🇳
भारत में पूजा-अर्चना के लिए एक से बढ़कर एक मंदिर हैं। लेकिन मान्यता है कि देश में माता का सबसे प्राचीन मंदिर बिहार के कैमूर जिले में है। माता का यह मंदिर है- मुंडेश्वरी मंदिर। यह मंदिर शिव और शक्ति को समर्पित है।❤️
यह मंदिर देश-दुनिया में अपनी महिमा और मान्यता के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के पूर्व में माता मुंडेश्वरी की एक दिव्य और भव्य प्रतिमा है। माता की पत्थर की मूर्ति वाराही रूप में है। माता के इस रूप का वाहन महिष है।
मुंडेश्वरी मंदिर के बीच में देवों के देव महादेव का
पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है। कुदरत का करिश्मा या प्रकृति का चमत्कार कहिए कि जिस पत्थर से यह पंचमुखी शिवलिंग निर्मित है, वह सूर्योदय से सूर्यास्त तक की सूर्य की स्थिति के साथ रंग भी बदलता रहता है। बताया जाता है कि इसका रंग सुबह, दोपहर और शाम को अलग हो जाता है। अचरज की
बात है कि आपके देखते-देखते शिवलिंग का रंग कब बदल जाएगा, आपतो पता भी नहीं चलेगा।
देवी मां का यह मुंडेश्वरी मंदिर पत्थर से बना एक अष्टकोणीय मंदिर है। वैसे तो मंदिर में प्रवेश के चार द्वार हैं, लेकिन एक को बंद कर दिया गया है। यह मंदिर कैमूर जिले के रामगढ़
में पंवरा पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर करीब 600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर के पूर्व में माता मुंडेश्वरी, मध्य में पंचमुखी शिवलिंग और पश्चिम में पूर्व की ओर मुख किए हुए विशाल नंदी की मूर्ति है।
मंदिर की वास्तुकला और बनावट अद्भत है। यहां पत्थरों पर काफी सुंदर नक्काशी और
कलाकारी की गई है। बताया जाता है कि माता का यह मंदिर 635-636 ईस्वी से पहले बनाया गया था। लेकिनशिलालेख के अनुसार उदय सेन नामक क्षत्रप के शासन काल में 389 ईस्वी के बीच इसका निर्माण हुआ था। जो भी हो देश के इस सबसे प्राचीन मंदिर को लेकर लोगों में उत्सुकता बनी रहती है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि देवी माता यहां चंड और मुंड नामक असुर का संहार करने के लिए आई थी। चंड के संहार के बाद मुंड युद्ध के क्रम में यहां के घने जंगलों के बीच इसी पहाड़ी में छिप गया। लेकिन वह ज्यादा देर तक छिपा नहीं रह सका और माता ने मुंड का भी संहार कर लोगों को
उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। तभी से यह माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से प्रसिद्ध है।
माता मुंडेश्वरी देवी का मंदिर एक शक्तिस्थल है। देश के अन्य देवी मां के मंदिरों की तरह ही यहां भी बलि देने की प्रथा है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बलि के दौरान बकरे को चढ़ाया तो जाता है,
मगर उसका वध नहीं किया जाता। इस अनोखे मंदिर में बलि की प्रथा कुछ अलग है। यहां बलि के लिए लाए गए बकरे को माता की मूर्ति के सामने लाकर पूजा की जाती है। पुजारी बकरे पर पुष्प अक्षत डालकर संकल्प करा लेते और बकरे को मुक्त कर देते हैं। बलि की यह सात्विक परंपरा देश में शायद ही और कहीं हो।
इस मंदिर के पास शिवरात्रि और रामनवमी के अवसर पर काफी भीड़ रहती है। यहां प्रतिदिन काफी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। #जयमातादी ❤️🚩 #हर_हर_महादेव__ॐ 🕉️🌸
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शत्रु की आधी शक्ति खींच लेने वाला बाली हनुमान जी से कैसे हार गया❤️
बाली, रामायण में किष्किंधा का राजा था। वह इंद्र के धर्म पुत्र, वृषराज के जैविक पुत्र, सुग्रीव के बड़े भाई और अंगद के पिता अप्सरा तारा के पति थे। बाली को वरदान प्राप्त था कि जिससे भी वह युद्ध करेगा
उसकी आधी शक्ति बाली में स्थान्तरित हो जाएगी। बाली इतना बलशाली था कि उसने दुदम्भी नामक राक्षस और उसके भाई का वध कर दिया था बाली ने लंकापति रावण को अपनी कांख में दबा कर चार समुन्द्रों की परिक्रमा की थी यहां तक कि प्रभु श्री राम ने भी बाली का छुप के वध किया था।
बाली का हनुमान जी से हुआ था युद्ध।📿🚩
बात एक समय की है बाली अपने बल के घमंड में चूर हो कर नगरों और जंगल से होता हुआ किष्किंधा जा रहा था और सबको ललकार रहा था "है कोई जो मुझसे युद्ध कर सके है कोई जिसने मां का दूध पिया हो जो मुझसे युद्ध कर सके "
समयसूचक AM और PM का उदगम
भारत ही था।
पर हमें बचपन से यह रटवाया गया, विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दों AM और PM का मतलब होता है :
AM : एंटी मेरिडियन (ante meridian)
PM : पोस्ट मेरिडियन (post meridian)
एंटी यानि पहले, लेकिन किसके?
पोस्ट यानि बाद में, लेकिन किसके?
यह कभी साफ नहीं किया गया, क्योंकि यह चुराये गये शब्द का लघुतम रूप था।
अध्ययन करने से ज्ञात हुआ और हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को अपनी आंधियों में उड़ा दिया और अब, सब कुछ साफ-साफ दृष्टिगत है।
कैसे?
देखिये...
AM = आरोहनम् मार्तण्डस्य Aarohanam Martandasya
PM = पतनम् मार्तण्डस्य Patanam Martandasya
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सूर्य, जो कि हर आकाशीय गणना का मूल है, उसीको गौण कर दिया। अंग्रेजी के ये शब्द संस्कृत के उस 'मतलब' को नहीं इंगित करते जो कि वास्तव में है।
आरोहणम् मार्तण्डस्य Arohanam Martandasaya यानि सूर्य का आरोहण
Pre Diwali preparations🪔😍
1)Main Door Decoration:
Main Door plays a very important role in vastu,it's the most n sensitive part in vastu as it attracts all positive as well as negative vibes,wrong main entrance in wrong
direction may create unnecessary stress,but in diwali it's the most important part as it's the door that welcomes Maa Lakshmi as well as all our guests,so clean the main entrance,decorate with flowers,mango leaves,put a focus light above main door to enhance positivity,
putting Lakshmi padukas,swastik esp made of metals like silver,copper would attract all positivity❤️
2) Lantern/Kandeel/Akash deep in windows:
Windows needs to be decorated not only with lights but also Kandeel or aakash deep,since according to shastras,it should float in air,
हरि नारायण गोविंदा❤️🌸 #भंडारा_श्रद्धा_का :
तीन दोस्त भंडारे मे भोजन कर रहे थे कि
उनमें से पहला बोला " काश " हम भी ऐसे भंडारा कर पाते
दूसरा बोला हां सैलरी आने से पहले जाने के रास्ते बनाकर आती हैं
तीसरा बोला खर्चे इतने सारे होते है तो कहा से करें भंडारा...
पास बैठे एक गुरु जी भी भंडारे का आनंद ले रहे थे वो उन दोस्तों की बाते सुन रहे थे
गुरु जी उन तीनों से बोले:
बेटा भंडारा करने के लिए धन नहीं केवल अच्छे मन की जरूरत होती है❤️
वह तीनो आश्चर्यचकित होकर गुरु जी की ओर देखने लगे🚩
गुरु जी ने सभी की उत्सुकता को देखकर हंसते हुए कहा...
🕉️बच्चों बिस्कुट का पैकेट लो और उन्हें चीटियों के स्थान पर बारीक बनाकर उनके खाने के लिए रख दो देखना अनेकों चीटियां उन्हें खुश होकर खाएगी, हो गया भंडारा!
🕉️गेहूं बाजरा (अनाज) के दाने लाओ उसे बिखेर दो चिडिया कबूतर आकर खाऐंगे
हो गया भंडारा...
🕉️थोड़ा टाइट गुदा आटा घर से लाओ और
The Somnath Jyotirlinga:
The Somnath temple is located in Prabhas Patan in Saurashtra, West Gujarat in India – at the confluence of the Divine Saraswati, Hiranya and Kapila rivers – the Triveni Sangam.
It is considered to be the first of the jyotirlingas – the first place where Shiva manifested himself.
History of Somnath Jyotirlinga:
It is believed that the original temple was built by the Moon God with gold in the Satya Yuga;
by Ravana in Treta Yuga in silver; and by Shree Krishna in Dwapara Yuga in sandalwood.
This temple has been looted and demolished many times by various invaders – by Mahmud of Ghazni (1024), Afzal Khan, Ala-ud-din Khilji’s commander (1296), Muzaffar Shah (1375),
Where is the Bhimashankar Jyotirlinga located?
It is located in the village of Bhorgiri, about 125 km from Pune, in Maharashtra, India in the Ghat region of the Sahyadri Mountains. It is the place where the Bhima river’s source can be found.
This river finally merges with the Krishna River.
History of Bhimashankar Jyotirlinga:
The Bhimashankar temple is a testament to the skills of the Vishwakarma sculptors. It was built around the 13th century. Structures such as the shikhara (spires) were added by Maratha empire
statesman, Nana Phadnavis, in the 18th century.
The Maratha ruler, Chhatrapati Shivaji Maharaj, is also believed to have facilitated worship here through his endowments.
Special features of Bhimashankar Temple:
It is believed that the ancient shrine was built around