#पोस्ट कड़वी है लेकिन आज की #सच्चाई है...
यदि आप एक हिंदू होकर भी अपने बच्चों को प्रखर व मुखर हिंदू नहीं बनाएंगे तो निश्चित ही वह ईसाई अथवा मुसलमान की ओर आकर्षित होकर उनका धर्म स्वीकार कर लेगा नहीं तो निश्चित ही वह हिंदुओं को गाली देने वाला "वामपंथी" बन जाएगा।
निम्न घटना👇
का अध्ययन अवश्य करें-
हैदराबाद के एक पाठशाला में प्रधानाध्यापक हैं। उनके घर में दूध देने वाला कृष्णा एक दिन अचानक 'भागा भागा आया और उनके पैरों में गिर गया। बोला की उसकी लड़की ने घर से भागकर एक मुसलमान लड़के से शादी कर ली है, और उसके परिवार के साथ ही रहने लगी हैं। उनसे प्रार्थना
की कि मास्टरजी आपही कुछ कीजिए, कृपया हमे इस बर्बादी से बचा लिजिये।
मेरे मित्र उनके एक जानकार मुसलमान व्यक्ति को साथ लेकर लड़की से बात करने लड़के के घर गए लड़की उस मुसलमान परिवार के घर में थीलड़की को देखकर मेरा मित्र आश्चर्यचकित रह गया,वह संपूर्णतः मुसलमान लड़की की वेशभूषा में थी
मित्र ने पूछा, बेटी तुम ने ऐसा क्यों किया, तुम्हारे मां बाप परेशान हैं।
लड़की ने कहा कि वह उस मुसलमान लड़के के साथ पिछले एक साल से प्यार कर रही थी। इस दरमियान उस लड़के ने उसे सारे आयत समझाया, सिखाया, अल्लाह की करामात बताई, उसकी मां ने यानी अब उस लड़की की सास ने उसे कुरान सिखाया
घर में सब साथ मिलजुलकर प्रार्थना करने, मिलकर खानेपीने का रिवाज सिखाया, एक दूसरे के लिए जान तक कुर्बान करने की जज़्बा सिखाया।
वह बोली की मेरे 23 साल में मेरे माता पिता ने मुझे कभी भी रामायण, महाभारत, गीता, भगवान का प्रार्थना, नियमानुसार मंदिर जाना ऐसा कोई चीज नहीं सिखाई। मैने तो
इस लड़के के साथ आने के बाद ही अल्लाह की सच्ची इबादत, उसकी रहमत पाना सीखी।
पापा को तो बस पैसे कमाने से फुरसत ही नही थी, उन्हें पूजा करते मैंनें कभी देखा नहीं, मां अपने साड़ी ब्लाउज के मैचिंग, टेलर के चक्कर काटने, मेकअप वगैरा में ही खुद भी और मुझे भी व्यस्त रखती थी। पिताजी और मां
घर में अक्सर झगड़ते रहते थे, खासकर जब दादा–दादी आते तो मां घर में युद्ध छेड़ देती।
मिजुलकर सम्मान से एक परिवार की तरह कभी शांति पूर्वक खुशी–खुशी रहते देखा नहीं, कभी ऐसे अच्छे अनुभव नहीं मिले। लेकिन अब यहां मुझे वो सब कुछ मिला और इसिलिए इनके यहां आने से मैं खुश हूं, अब बताइए,
क्या मैं गलत हूँ?
लड़की की सारी बात सही है। यह सब सुनकर मित्र कुछ नही कह सका और वापस लौट आया, कृष्ण से बस यह कहां कि जैसा बोएंगे, वैसा ही पाऐंगे।
अफसोस की बात यह है की 80% हिंदू परिवार में धर्म की शिक्षा नहीं होती हैं। माता पिता कपड़ों के सिलेक्शन, मैचिंग नही, अपने बच्चों को👇
संस्कृती, आचार–व्यवहार सिखाएं; सुख भोगना नहीं, रीति–रिवाज, शिष्टाचार बचपन से ही सिखाएं। आप बच्चों के आदर्श बनें।
#धर्मो_रक्षती_रक्षिताः अर्थात् धर्म उनकी रक्षा करता हैं जो धर्म की रक्षा–पालन करते हैं।👇
मित्रों सचेत रहिए।
अगर आप अपने बच्चों को धर्म नहीं सिखाएंगे, तो बाहर वाले उन्हे अपनाधर्म सिखाएंगे।
बॉलीवुड में हि-न्दूद्रोही & ज़ि_हाद कितना ताकतवर और ख-तरनाक हो गया इसका सबसे माRक या कहें कि घAतक उदाहरण आज इस पोस्ट में लिख रहा हूं।
1973 में 29 वर्ष के एक संगीतकार ने हिंदी फ़िल्मों में प्रवेश किया था।अगले 15 वर्षों में इस संगीतकार ने 36 फिल्मों में संगीत दिया था।1987 में इस👇
संगीतकार ने चरम को तब छूआ था जब दूरदर्शन पर कालजयी धरावाहिक "रामायण" प्रसारित हुआ था।
रामायण को सर्वकालीन सर्वाधिक लोकप्रिय धारावाहिक बनाने में उस धारावाहिक के अमर संगीत का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। रामायण धारावाहिक का अमर गीत "हम कथा सुनाते राम सकल गुण धाम की" जिसे पिछले वर्ष
दिसंबर में यूट्यूब पर अपलोड किया गया और उसे अब तक 11.76 करोड़ लोग देख चुके हैं।
इतनी अभूतपूर्व सफलता के आस-पास तक कोई दूसरा गीत आज-तक नही पहुंच सका है। उस गीत को अपने संगीत से सजाने के साथ ही साथ लिखा भी उसी संगीतकार ने। उनका नाम था #आदरणीय_रविंद्र_जैन_जी।
ताहि देइ गति राम उदारा।
सबरी कें आश्रम पगु धारा॥
सबरी देखि राम गृहँ आए।
मुनि के बचन समुझि जियँ भाए॥
उदार प्रभुश्रीराम
कबन्ध नामक राक्षस को गति देकर शबरीजी के आश्रम में पधारे
शबरीजी ने श्री रामचंद्रजी को घर में आए देखा तब मुनि मतंगजी के वचनों को याद करके उनका मन प्रसन्न हो गया।👇
आज मेरे
गुरुदेव का वचन पूरा हो गया।
उन्होंने कहा था की राम आयेगे।
और प्रभु आज आप आ गए।
निष्ठा हो तो शबरी जैसी।
बस गुरु ने एक बार बोल दिया की राम आयेगे और विश्वास हो गया।
हमे भगवान इसलिए नही मिलते क्योकि हमे अपने गुरु के वचनो पर भरोसा ही नही होता।
जब शबरी ने
श्री राम को देखा तो
आँखों से आंसू बहने लगे और चरणो से लिपट गई है।
सबरी परी चरन लपटाई ||
सबरी मुह से
कुछ बोल भी नही पा रही है चरणो में शीश नवा रही है।
फिर सबरी ने दोनों भाइयो राम लक्ष्मण जी के चरण धोये है।
कुटिया के अंदर गई है
और बेर लाई है।
वैसे रामचरितमानस में कंद-मूल लिखा हुआ है।
लेकिन संतो
*मुस्लिम युवको के द्वारा हिन्दू लड़कियों को अपना फर्जी हिन्दू नाम बताकर और लव जिहाद मे फसाकर हिंदुओं की आबादी कम करने की साजिश रची गयीं है हिंदुओं दिमाग लगाओ*
*हिंदुओं लड़को की शादी करने के लिए लड़कियों की बहुत कमी है ,और रोज लव जिहाद के नए नए केस सामने आ रहे हैं क्योंकि जब👇
हिंदुओं की शादी करने के लिए लड़की नहीं रहेंगी तो हिंदू लड़कों की शादी कैसे होगी ,और जब हिंदुओं की शादी होगी नहीं तो हिंदुओं की आबादी बढ़ेगी कैसे, हिंदुओं की आबादी तेजी से कम हो रही हैं आप लोग ध्यान दे*
*हिंदू बहनों को छल-कपट से फंसा कर हिंदुओं को खत्म करने की बहुत बड़ी साजिश
चल रही है कृपया ध्यान दे हमारी हिन्दू बहनों और बेटियों की लाश कही सूटकेस में तो कही 35 टुकड़ों में मिलती है कल श्रद्दा को आफताब के द्वारा 35 टुकड़ो मे काटने की खबर आई थी तो आज एक और लव जेहाद में फसी हिन्दू लडकी को लखनऊ मे चौथी मंजिल से नीचे फेंक कर हत्या कर दी गयी तो आज ही मेरठ
हिन्दू शब्द
"हिन्दू" शब्द
करोड़ों वर्ष प्राचीन संस्कृत शब्द है।
अगर संस्कृत के इस शब्द का
सन्धि विछेदन करें तो पायेंगे
हीन+दू = हीन भावना + से दूर
अर्थात
जो हीन भावना या दुर्भावना से दूर रहे मुक्त रहे वो हिन्दू है।
हमें बार-बार
हमेशा झूठ ही बतलाया जाता है कि "हिन्दू" शब्द 👇
मुगलों ने हमें दिया जो "सिंधु" से "हिन्दू" हुआ।
"हिन्दू" शब्द की वेद से ही उत्पत्ति हुई है।
जानिए ?
कहाँ से आया हिन्दू शब्द ?
और कैसे हुई इसकी उत्पत्ति ?
भारत में
बहुत से लोग हिन्दू हैं।
एवं वे हिन्दू धर्म का पालन करते हैं।
अधिकतर लोग "सनातन धर्म" को हिन्दू धर्म मानते हैं।
कुछ
लोग यह कहते हैं कि
"हिन्दू शब्द सिंधु से बना है"।
औऱ यह "फारसी" शब्द है।
जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है।
हमारे वेदों और पुराणों में
"हिन्दू" शब्द का उल्लेख मिलता है।
आज हम आपको बता रहे हैं कि
हमें "हिन्दू" शब्द कहाँ से मिला है।
"ऋग्वेद" के "ब्रहस्पति अग्यम" में हिन्दू शब्द का उल्लेख👇
हेग से 50 साल के श्रमसाध्य कारावास का निर्णय आए हुए कुछ समय बीत चुका चुका था..
जीवन अंडमान के इस कारावास के अनुरूप हो चला था..
खटमलों से भरी रातों और नारियल की जटाओं से रस्सी बनाने के काम में घावों से भरे हाथों के साथ दिन बीत रहे थे..
अच्छी या बुरी किसी अप्रत्याशित घटना की कोई👇
गुंजाइश अब यहां नहीं थी..
जेल की कोठरी की छत और दीवार के बीच की दरार में कुछ हलचल की आहट हुई.. कबूतरों के एक जोड़े ने वहां अपना घरौंदा बना लिया था..
वे कबूतर अब उनके साथ ही रहते थे पर वे पक्षी आजाद थे और ये परतंत्र..
तिस पर भी कबूतरों के उस जोड़े से मन बहल जाया करता था...कुछ
दिन ऐसे ही बीत चले.. सहसा एक रोज हवलदार ने दरवाजे पर दस्तक दी..
उनके कानों में एक तिलिस्मी शब्द गूंज गया "चलो"
एक कैदी के लिए "चलो" का मतलब है आजादी..
भले ही वह क्षणिक ही हो.. पर कोठरी से बाहर निकलने को तो मिलता ही है..
हवलदार आगे आगे चलता और वे पीछे पीछे ..
बस इतना ही पता था कि
प्रथम भक्ति संतन्ह कर संगा ||
भक्ति के प्रधान 2भेद हैं
एक साधन रूप
जिसको वैध और नवधा के नाम से भी कहा गया है।
दूसरा साध्य रूप
जिसको प्रेमा प्रेम लक्षणा आदि नामों से कहा है।
इनमें नवधा साधनरूप है।
और प्रेम साध्य है।
तो"वैध-भक्ति"किसका नाम है ?
इसके उत्तर में यही कहा जा सकता है👇
कि स्वामी जिससे संतुष्ट हो उस प्रकार के भाव से भावित होकर उसकी आज्ञा के अनुसार आचरण करने का नाम "वैध-भक्ति" है।
तुलसीकृत रामायण में
शबरी के प्रति भगवान् श्रीरामचंद्र जी कहते हैं
प्रथम भगति संतन्ह कर संगा ।
दूसरि रति मम कथा प्रसंगा॥
गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान ।👇