देेश की #श्रद्धा काट दी गयी है!
पैंतीस टुकड़ों में जानवरों को बाँट दी गयी है!
आप अभी आराम कीजिए बहुत रात है!
सोते रहिए सामान्य सी बात है!
आफ़ताब तो जीहादी है!
श्रद्धा ही अंधी है!
बहुत गंदी है!
श्रद्धा आपकी न बेटी है, न सम्बन्धी है!
उसके लिए क्यों 👇
नींद ख़राब की जाए!
आइए जश्न मनाया जाए,
शराब पी जाए!
आफ़ताब ने श्रद्धा को श्रद्धा से काटा है
तभी तो इतना सन्नाटा है!
न कोई अवार्ड वापसी!
न कोई मोमबत्ती जुलूस!
श्रद्धा थी ही मनहूस!
तभी तो
कोई भी सेक्युलरस्टि!
अथवा कम्युनिस्ट!
देता हुआ संविधान की दुहाई!
सड़क पर नहीं दिया दिखाई!
संविधान का पंथ निरपेक्षी पृष्ठ
उलीच रहा अमावसी उजाला है
तहज़ीब के शहर ने #सुफियान संस्कार से देश की #निधि को मार डाला है
नजारा है कितना अजीब!
अफीम खाकर बेहोश पड़ी है
गंगाजमुनी तहज़ीब!
श्रद्धा के कत्ल में असहिष्णुता भी कहीं किसी बुद्धिजीवी को नजर नहीं आई!
मेरे भाई!
आग लगकर
फ़ैल चुकी है, आ रही है
बढ़ती हुयी आपके द्वार पर !
आप इसे बुझाने की जिम्मेदारी,
छोड़िये सरकार पर!
क्योंकि
अग्निशमन आपका नहीं शासन का काम है!
आपका काम तो आराम है!
कम्बल खींचीए चैन से सोइए!
किस किस को याद करिए,
किस किस को रोइए??
सुबह उठकर चटखारे लेकर पढ़ लेना अख़बार!
पता कर लेना
पढ़कर समाचार
लड़की का कौन सा है परिवार?
कौन सी है जात?.
क्या है जमात?
उसी को बनाकर आधार!
अपनी सुविधानुसार,
व्यक्त कर देना मित्रों में सामाजिक_ समरसता,
सहिष्णुता
और भाईचारे
पर अपने उदार विचार!
फिलहाल!
सो जाइए अभी बहुत रात है!
सोते रहिए यह सामान्य सी बात है!👇
मजहब मे मानवता,प्रेम जैसे मानवीय मूल्यों के लिए कोई जगह नही है,इसके उदाहरण मजहब व मजहबी जीवन शैली में खूब मिलते हैं,बकरीद से पहले परिवार बकरे को पालता है,खिलाता हैं,नहलाता हैं,इसके साथ खेलता हैं और लगभग एक बच्चे की तरह इसकी देखभाल करता हैं घर के बच्चे इसके साथ स्नेही हो घुल मिल👇
जाते हैं बिल्कुल एक पारिवारिक मेम्बर की तरह,फिर बकरीद की सुबह बकरा/बकरी को हलाल किया जाता है उन्ही बच्चों व महिलाओं की आंखों के सामने,सबसे बड़ी बात उनके ही हाथों से ताकि उनकी संवेदनाएं मर जाये,बच्चे शुरुआत में क्रोधित,उन्मादी,उदास होते है लेकिन अंतत उन्हें इस की आदत हो जाती है,
युवावस्था तक आते आते वे जान जाते हैं मजहब के लिए जीवन की सबसे प्रिय वस्तु भी कुर्बान कर दी जाती है,इस लिए जब वे आपसे दोस्ती करते हैं तो आप के लिए मददगार भी होते हैं,आपको भाई बहन कहते हैंऔर आपके करीब हो जाते हैं उन्होंने बचपन से ही हर साल इस कला का अभ्यास किया है, कोई भी उनके लिए
एक गाय घास चरने के लिए एक जंगल में चली गई। शाम ढलने के करीब थी। उसने देखा कि एक बाघ उसकी तरफ दबे पांव बढ़ रहा है।
वह डर के मारे इधर-उधर भागने लगी। वह बाघ भी उसके पीछे दौड़ने लगा। दौड़ते हुए गाय को सामने एक तालाब दिखाई दिया। घबराई हुई गाय उस तालाब के अंदर घुस गई।
वह बाघ भी उसका👇
पीछा करते हुए तालाब के अंदर घुस गया। तब उन्होंने देखा कि वह तालाब बहुत गहरा नहीं था। उसमें पानी कम था और वह कीचड़ से भरा हुआ था।
उन दोनों के बीच की दूरी काफी कम थी। लेकिन अब वह कुछ नहीं कर पा रहे थे। वह गाय उस कीचड़ के अंदर धीरे-धीरे धंसने लगी। वह बाघ भी उसके पास होते हुए भी उसे
पकड़ नहीं सका। वह भी धीरे-धीरे कीचड़ के अंदर धंसने लगा। दोनों ही करीब करीब गले तक उस कीचड़ के अंदर फंस गए।
दोनों हिल भी नहीं पा रहे थे। गाय के करीब होने के बावजूद वह बाघ उसे पकड़ नहीं पा रहा था।
थोड़ी देर बाद गाय ने उस बाघ से पूछा, क्या तुम्हारा कोई गुरु या मालिक है?
बाघ ने
नरेंद्र मोदी असाधारण स्तर के विचारक है,वर्तमान कालखंड मे उनके स्तर का कोई दूसरा विचारक हिंदू समाज में नही है जो इतनी गहराई से और इतना सघन जाल बिछा सके जहाँ से निकलना संभव हो!
कई साल पहले जब आम बजट में मोदी सरकार ने मदरसो के आधुनिकीकरण के लिए 100 करोड़ के बजट का प्रावधान किया था👇
तब लक्कड़बग्घों ने भयंकर कोहराम मचाया था! त्राहिमाम इस स्तर का था कि लिखा नही जा सकता! लक्कड़बग्घों ने मोदी को मौलाना मोदी, नरेंदरुद्दीन और पता नही क्या क्या बता डाला था! आज यही 100 करोड़ रुपये मदरसो के लिये नाक का दर्द बन गए है, मदरसो के सर्वे का जो दांव खेला गया है उसका प्रभाव
बहुत व्यापक है!इस्लामिक थिंक टैंक को समझ नहीं आ रहा है कि मोदी ने ये कौन सी पटकनी मारी है!ना उगलते बन रहा है और ना निगलते!
पहले तो ना नकुर के बाद सर्वे के लिए हामी भर दी और अब ये निगला नही जा रहा!मदरसो के सर्वे से मुस्लिम समाज तिलमिलाया हुआ है और इस्लामिक थिंक टैंक तमतमाया हुआ है
पापा पापा मुझे चोट लग गई खून आ रहा है 5 साल के बच्चे के मुँह से सुनना था कि पापा सब कुछ छोड़ छाड़ कर गोदी में उठाकर एक किलोमीटर की दूरी पर क्लिनिक तक भाग-भाग कर ही पहुँच गए!
दुकान कैश काउंटर सब नौकर के भरोसे छोड़ आये👇
सीधा डाक्टर के केबिन में दाखिल होते हुए।
डॉक्टर को बोले,देखिये डॉक्टर साहब मेरे बेटे को क्या हो गया है ?
डॉक्टर साहब ने देखते हुए कहा,अरे भाई साहब घबराने की कोई बात नहीं है मामूली चोट है
ड्रेसिंग कर दी है जल्दी ठीक हो जायेगी!डॉक्टर साहब कुछ पेन किलर लिख देते तो दर्द कम हो जाता !
अच्छी से अच्छी दवाईया लिख देते ताकि जल्दी ठीक हो जाये घाव जल्दी भर जाये !!
डाक्टर-अरे भाई साहब क्यों इतने परेशान हो रहे हो कुछ नहीं हुआ है 3-4 दिन में ठीक हो जायेगा !!
बच्चे को लेकर लौटे तो नौकर बोला सेठ जी,आपका ब्रांडेड महंगा शर्ट खराब हो गया,खून लग गया अब ये दाग नही निकलेंगे
ऐसा नहीं है कि हम खुद चॉकलेट पेरेंटिंग में बड़े हुए, ना ही हम वेल्वेट केक पेरेंट्स रहे हैं. पिटे भी हैं, बच्चों को पीटा भी है. पर अब पलट कर देखता हूं तो लगता है कि शायद 99% केस में पिटना या पीटना दोनों अनावश्यक थे. स्ट्रिक्ट पेरेंटिंग लगभग बिना मार पिटाई के की जा सकती है, लेकिन👇
इतना फाइन बैलेंस रहता कहां है. अक्सर तो अपना गुस्सा, अपनी खीज और फ्रस्ट्रेशन ही बच्चों पर निकलता है.
एक दिन शाम के आठ बजे बाइक खड़ी करके घर में घुसा तो देखा, बेटा पढ़ाई के बदले उधम मचाए हुए है... बिस्तर पर चढ़ कर नाच रहा है.
लग गए दो उल्टे हाथ...
थोड़ी देर बात रोते रोते उसने
मम्मा को बोला... ऐसा कैसे हो गया? आज मुझे पापा की बाइक की आवाज सुनाई कैसे नहीं दी?
उसने एक सिस्टम डेवलप कर रखा था कि वह दूर से बाइक की आवाज पहचानकर भाग कर किताब के सामने बैठ जाता था.अफसोस उसे था तो बस इस सिस्टम के फेल होने का.
अक्सर बच्चे अपनी हरकतों में ऐसे सिस्टम को इंटीग्रेट