बॉलीवुड में हि-न्दूद्रोही & ज़ि_हाद कितना ताकतवर और ख-तरनाक हो गया इसका सबसे माRक या कहें कि घAतक उदाहरण आज इस पोस्ट में लिख रहा हूं।

1973 में 29 वर्ष के एक संगीतकार ने हिंदी फ़िल्मों में प्रवेश किया था। अगले 15 वर्षों में इस संगीतकार ने 36 फिल्मों में संगीत दिया था1987 में इस👇
संगीतकार ने चरम को तब छूआ था जब दूरदर्शन पर कालजयी धरावाहिक "रामायण" प्रसारित हुआ था।

रामायण को सर्वकालीन सर्वाधिक लोकप्रिय धारावाहिक बनाने में उस धारावाहिक के अमर संगीत का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। रामायण धारावाहिक का अमर गीत "हम कथा सुनाते राम सकल गुण धाम की.जिसे पिछले वर्ष
दिसंबर में यूट्यूब पर अपलोड किया गया और उसे अब तक 11.76 करोड़ लोग देख चुके हैं।

इतनी अभूतपूर्व सफलता के आस-पास तक कोई दूसरा गीत आज-तक नही पहुंच सका है। उस गीत को अपने संगीत से सजाने के साथ ही साथ लिखा भी उसी संगीतकार ने। उनका नाम था #आदरणीय_रविंद्र_जैन_जी

1987 में शुरू हुआ
रामायण धारावाहिक 1988 में खतम हुआ था। इसी के साथ रविन्द्र जैन पर #बॉलीवुड_ज़िहाद चला रहे #बॉलीवुड_माफिया का कहर बरसने लगा था।

आपको आश्चर्य होगा कि 15 वर्षों की समयावधि में अपने सुपरहिट गीत संगीत से सजी हुईं चोर मचाए शोर, गीत गाता चल, अंखियों के झरोखों से, नदिया के पार, चितचोर
फकीरा सरीखी अनेक फिल्मों समेत 36 फिल्मों के संगीतकार रहे रविंद्र जैन जी के पास 1987-88 में रामायण को मिली कालजयी सफलता के बाद काम का अकाल पड़ गया था।

15 वर्षों में 36 फिल्मों का संगीत देने वाले रविन्द्र जैन को अगले 26 वर्षों में केवल 10 फिल्मों में काम मिला था। जिनमें हिना को
छोड़कर शेष 9 फिल्में छोटे मोटे निर्माताओं की बी और सी ग्रेड की फिल्में थीं। जबकि होना यह चाहिए था कि "रामायण" के संगीत की अभूतपूर्व सफलता के बाद उनके पास काम की बाढ़ आ जानी चाहिए थी।

लेकिन बॉलीवुड के ज़िहाद माफिया को रविंद्र जैन द्वारा "हम कथा सुनाते राम सकल गुण धाम की. सरीखी
अमर रचना करने वाला गीतकार संगीतकार अपने राह की सबसे बड़ी बाधा लगा था।

अतःउसे सुनियोजित तरीके से समाप्त कर दिया गया था।

केवल रविंद्र जैन ही नहीं रामायण के बाद दूसरे सबसे सफल धारावाहिक महाभारत में भीअमर संगीत को देने वाले संगीतकार राजकमल ने महाभारत से पहले 16वर्षों में16फिल्मों
में संगीत दिया था लेकिन महाभारत की अभूतपूर्व सफलता के बाद अगले 16 वर्षों में केवल 3 फिल्मों में संगीतकार का कार्य मिला था।

वह तीनों ही फिल्में बहुत छोटे निर्माताओं की बी & सी ग्रेड की ही फिल्में थीं।
अब यह भी जान लीजिए कि भजनों से सजे भक्ति संगीत को घर घर तक पहुंचाने वाले गुलशन
कुमार की 1997 में Hत्या कर दी गयी।

अनूप जलोटा, अनुराधा पौड़वाल सरीखे भजन गायक अचानक गायब हो गए।

चैनलों के पर्दों पर नाचने, गाने वाले रैपर और रीमिक्सर गायक, गायिकाएं छा गए। इन्होंने भारतीय सभ्यता & संस्कृति को पूरी तरह तहस नहस करने वाली अश्लीलतम प्रस्तुतियों की भरमार कर दी।
एक और हैरतअंगेज तथ्य यह भी जानिए कि 1954 में शुरू हुए फ़िल्फेयर एवार्ड में 1989 तक दिए गए वर्ष के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के 34 एवार्ड में से 3 बार यह एवार्ड जीतने वाले संगीतकार मुस्लिम थे

लेकिन इसके बाद 1990 से 1921तक दिए गए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के 32एवार्ड में से 20बार यह एवार्ड
पाने वाले संगीतकार मुस्लिम थे।

1990 के दशक में उभरे उदित नारायण, कुमार सानू, सोनू निगम, अभिजीत सरीखे कई प्रतिभाशाली गायक उभरे और गायब हो गए। उनकी जगह पाकिस्तान से आयातित गायक, गायिकाएं बॉलीवुड पर किस तरह छा गए यह पूरे देश ने देखा है।

हिन्दू, हिंदुत्व,हिन्दू धर्म के ख़ि-लाफ़👇
बॉलीवुड के इस सुनियोजित ज़ि-हाद की यह कहानी बहुत लंबी है।

हिन्दूओ हर बस, ट्रेन, सार्वजनिक जगह पर यह लिखा होता था लावारिस वस्तु को न छुए, "ब-म" हो सकता है ।

youtube.com/channel/UCm4JA…

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Nov 27
चीन से लगा एक बंजर देश है,
मंगोलिया।
वहाँ के चरवाहे,
पूरे संसार की लगभग सभी सभ्यताओं को नष्ट कर दिये।
इसी मंगोलों कि एक शाखा ने इस्लाम ग्रहण किया।
तबाही मचा दिये।

एक वाक्य में सूत्र है।
' सभ्यता, खानाबदोश के सामने हारती आई है। '
इसमें अपवाद भी नहीं है।👇
सभ्यता के पास युद्ध से भी अधिक बहुत कुछ खोने को रहता है।
घर, परिवार, शिक्षा, संस्कृति, धर्म , प्रियजन।
किताबें, पुस्तकें जो लिखी है। वह तो ठीक है।
थोड़ा विवेक , बुद्धि तो ईश्वर ने उन लोगों को भी दिया तो होगा ही। जो यह प्रश्न करते, हम तुर्को , मुगलों के सामने क्यों हारते थे।
उनसे
कौन सी सभ्यता नहीं हारी है ?
सब तो नष्ट ही हो गये।
मात्र 200 वर्ष में एशिया, अफ्रीका , यूरोप के भाग इस्लामिक हो गये।
जिस समय यह सब, संसार में हो रहा था।
भारत की हर नदी के मैदान युद्ध क्षेत्र बने थे।
भारत में निशानी के रूप में, विजय से अधिक,उनकी कब्र मिलेगी।
भारत का इतिहास, दिल्ली
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Nov 27
हर समाज के लिए विचारणीय:

(1) आज काफी लड़कियों के माँ- बाप अपनी बेटियों की शादी में बहुत विलंब कर रहे हैं उनको अपने बराबरी के रिश्ते पसंद नहीं आते और जो बड़े घर पसंद आते हैं उनको लड़की पसंद नहीं आती,शादी की सही उम्र20 से 25होती है। आज माँ-बाप ने और अच्छा करते-करते उम्र 30 से 36👇
कर दी है,जिससे उनकी बेटियों के चेहरे की चमक भी कम होती जाती है,और अधिक उम्र में शादी होने के उपरांत वो लड़का उस लड़की को वो प्यार नहीं दे पाता जिसकी हकदार वो लड़की है किसी भी समाज में 30% डिवोर्स की वजह यही दिखाई दे रही है,आज जीने की उम्र छोटी हो चुकी है,पहले की तरह 100+ या 80+
नहीं होती। अब तो केवल 65+तक जीने को मिल पायेगा,इसी वजह से आज लड़के उम्र से पहले ही बूढ़े नजर आते हैं,सर गंजा हो जाता है
(2)आज ज्यादातर लड़की वाले लड़के वालों को वापस हाँ ना का जवाब नहीं दे रहे हैं,संभवत:कुछ लोग मन में आपको बुरा-भला बोलते होंगे। आप अपनी लाडली का घर बसाने निकले हैं
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Nov 27
एक हृदयस्पर्शी कहानी.....! \

एक घर में एक बेटी ने जन्म लिया जन्म होते ही माँ का स्वर्गवास हो गया। बाप ने बेटी को गले से लगा लिया रिश्तेदारों ने लड़की के जन्म से ही ताने मारने शुरू कर दिए कि पैदा होते ही माँ को खा गयी।

मनहूस पर बाप ने कुछ नही कहा अपनी बेटी को,बेटी का पालन पोषण👇
शुरू किया, खेत में काम करता और बेटी को भी खेत ले जाता, काम भी करता और भाग कर बेटी को भी संभालता।

रिश्तेदारों ने बहुत समझाया के दूसरा विवाह कर लो पर बाप ने किसी की नही सुनी और पूरा ध्यान बेटी की और रखा। बेटी बड़ी हुयी स्कूल गयी फिर कॉलेज।
हर क्लास में फर्स्ट आयी बाप बहुत खुश होता
लोग बधाइयाँ देते।

बेटी अपने बाप के साथ खेत में काम करवाती, फसल अच्छी होने लगी, रिश्तेदार ये सब देख कर चिढ़ गए। जो उसको मनहूस कहते थे वो सब चिढ़ने लग गए।

लड़की एक दिन अच्छा पढ़ लिख कर पुलिस में SP बन गयी।

एक दिन किसी मंत्री ने उसको सम्मानित करने का फैसला लिया और समागम का
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Nov 27
दुनिया का सबसे छोटा संविधान चीन का है: कोई अपराधी बचता नहीं है।
सबसे भारी भरकम संविधान भारत का है: कोई अपराधी फंसता नहीं है।

सरकारी राशन की दुकान पर भीड़ देखिये। हाथ में 20,000 का मोबाइल लेकर 70,000 की बाइक पर बैठकर 2 रुपये किलो चावल लेने आते हैं ये गरीब लोग।

हाथ मे 50,000 👇
का फोन चेहरे पर 10,000 का चश्मा उन महिलाओ को दिल्ली मे बस का सफर फ्री है।

बैंक में जनधन खाते से पांच सौ रुपए निकालने के लिए पति सतर हजार की मोटरसाइकिल पर पत्नी को लाता है और पूछता है के अगले पैसे कब आयेंगे यही तो हमारे देश की सुंदरता है
फिर भी कहते है के सरकार कुछ नहीं कर रही है
जिस देश में नसबन्दी कराने वाले को सिर्फ़ 1500₹ मिलते हों और बच्चा पैदा होने पर 6000₹ मिलते हों तो जनसंख्या कैसे नियन्त्रित होगी।

एक बादशाह ने गधों को क़तार में चलता देखा तो धोबी से पूछा, "ये कैसे सीधे चलते है..?"
धोबी ने जवाब दिया, "जो लाइन तोड़ता है उसे मैं सज़ा देता हूँ, बस
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Nov 27
कई लोग कॉमेंट में ये सवाल पूछते है- इतने कम संख्या और पतित होने के बाद भी मुग़लों ने कैसे राज्य किया? उत्तर सभी को पता है लेकिन फिर भी स्वीकार करने से दिल मना कर देता है। उसका उत्तर अपने शब्दों में नहीं दूँगा। उसका उत्तर कुछ विदेशी यात्रियों के शब्दों में दूँगा।

नोट- 👇
ये ऑब्ज़र्वेशन भिन्न यात्रियों के ट्रैवल्ज़ से हैतो कृपया मुझे इंगित करके अपशब्द ना कहे यदि आपको जातीय बेज्जती महसूस हो
टवर्नीर लिखता है मूर्थीपूजक और मोमिन आबादी का अनुपात सात के बराबर एक हैफिरभी मूर्तिपूजक प्रजा बेबस होकर प्रताड़ित हो रही हैबेरनीर्र और मनुचि भी यही नोटिस करतेहै
कुछ सालों के बाद ये बताते है हमारा समाज मुख्यतः सात जातियों श्रेणी में बंटा हुआ है।
लड़ाकू जाति केवल दो है- राजपूत क्षत्रिय और शूद्र। राजपूत समाज घुड़सवार और शूद्र पैदल सैनिक दोनो जातियों का समाज में बहुत सम्मान है और दोनो जातियों में युद्ध के प्रति बहुत अभिमान- दोनो ही पीठ दिखा
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Nov 27
संघ को गरियाना आसान है पर संघ बनना मुश्किल है।जहाँ मात्र 2 लोगो के सन्गठन में चंदे को लेकर 100 दिनों में घमासान हो जाता है वही संघ 2 वर्षों बाद अपने 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है

किसी भी संगठन के लिए कार्यकर्ता और कार्यपद्धति मेरुदंड की तरह होते है और उसमे कार्यकर्ता अगर सन्गठन👇
के सिद्धात और कार्य पद्दति को समझ उस पर चलने वाला हो तभी सन्गठन दीर्घायु हो सकता है ।

अधिष्ठानं तथा कर्ता करणं च पृथग्विधम्।
विविधाश्च पृथक्चेष्टा दैवं चैवात्र पञ्चमम् ॥

अधिष्ठान : अर्थात कार्यकर्ताओ के ध्येय-संकल्प का सैधांतिक आधार । हमारा गन्तव्य क्या है 👇
(Our Mission) हम क्या सिद्ध करने जा रहे है ।

"करणं च प्रथग्विधम" अर्थात हमारे अलग अलग साधन माध्यम क्या है ? पृथकचेष्टा का मतलब है, हम हमारे साधन-माध्यम-पद्यति के आधार पर तरह तरह के कैसे प्रयास करते है ।

"कर्ता" यह तो हमारे कार्य का साधक (साध्य करने वाला) घटक,
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